रेल दुर्घटना: सुबह निकाला था हंसता हंसाता घर से आज घर लौटा अर्थी पर लेटा

पत्नी और बहन की विडंबना बूढ़ी मां से कह भी नही पा रहे की बेटा अब नहीं है दुनिया में

– दुर्घटना में मरने बालों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है
अशोक झा, सिलीगुड़ी: रंगापानी रेल दुर्घटना में सिलीगुड़ी का रेलवे गार्ड की मौत हो गई। आशीष दे (52) सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 32, बालाका मोड़ का निवासी था। इसके अलावा घायलों में एक बच्चे की मौत के बाद इसकी संख्या 10 पहुंच गई है। दुर्घटना में मारे गए कंचनजंग्घा के गार्ड सोमवार की सुबह परिवार को हंसता हंसता छोड़ कर गया था। आज घर में अर्थी पर लेटा उसका पार्थिव शव आया है। परिवार के लोग बताते है कि वह मुस्कुराते हुए घर से निकला। दोपहर को जब वह घर लौटा, तब भी उसके चेहरे पर मुस्कान थी। अंतर बताने के लिए, केवल आत्मा ही नहीं है। सोमवार को एक रेल दुर्घटना ने सिलीगुड़ी के वार्ड नंबर 32, बालाका मोड़ निवासी आशीष दे (52) की जान ले ली। खुशमिजाज, शरारती शख्स के निधन से सिलीगुड़ी का पूरा इलाका शोक में डूबा हुआ है।आशीष रेलवे में गार्ड के पद पर कार्यरत था। बंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस के साथ-साथ कंचनजंगा एक्सप्रेस में भी उनकी ड्यूटी थी। इस दिन उनकी ड्यूटी कंचनजंगा एक्सप्रेस में लगी थी।आशीष निर्धारित समय से कुछ देर पहले ही एनजेपी जंक्शन के लिए निकल गए। रास्ते में उसे सड़क पर कुछ परिचित लोग मिले। सभी को हँसाया। हादसे की खबर इलाके में पहुंचते ही इलाके में दहशत फैल गई। जैसे ही आशीष की बहन रिंकी सरकार को खबर मिली कि घायलों को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लाया जा रहा है, तो वह वहां पहुंच गयी। तब तक रेलवे अधिकारी भी वहां पहुंच चुके थे। आशीष के नहीं रहने की बात सुन कर रिंकी रोने लगी। उन्होंने कहा, ”मैं अपने भाई को इस तरह खोने की कल्पना नहीं कर सकता। घर पर बूढ़ी मां है। वह कुछ नहीं जानती। एक मां को यह बर्दाश्त नहीं होता कि उसका बेटा इस उम्र में मातम मनाए। पिता की मौत के बाद आशीष को नौकरी मिल गई। आशीष सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 31 के अशोकनगर इलाके का रहने वाला है। बाद में उन्होंने बालाका क्लब के सामने एक फ्लैट खरीदा और वहीं रहने लगे। स्थानीय क्लबों में उनका नियमित दौरा होता था। मृतक के रिश्तेदार राजू साहा ने कहा, ‘आशीष काफी मिलनसार व्यक्ति था। सामाजिक आयोजनों से लेकर खेल-कूद, पूजा-अर्चना की व्यवस्था में सबसे पहले उनका ही पता चलता था। मैं ऐसे इंसान को इस तरह खोने की कल्पना भी नहीं कर सकता। नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में पोस्टमॉर्टम के बाद आशीष के शव को बालाका मोड़ स्थित एक फ्लैट में ले जाया गया। आशीष के अंतिम दर्शन के लिए वहां भीड़ जमा हो गई। आशीष की पत्नी दीपिका और बेटी स्निग्धा पूरी तरह से टूट चुकी हैं।

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