बंगाल में इस्तीफा देने वाले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय कल बीजेपी में होंगे शामिल

कहा,सत्तारूढ़ दल के तानों के कारण मुझे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट से मंगलवार सुबह इस्तीफा देने वाले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय बीजेपी में शामिल होंगे। इसकी इन्होंने आज दोपहर में औपचारिक घोषणा कर दी। इससे पहले इन्होंने सुबह ही हाईकोर्ट में जज के पद से इस्तीफ़ा दिया था। अभिजीत गांगुली 7 मार्च को बीजेपी में शामिल होंगे। अभिजीत गांगुली ने कहा कि भाजपा ही टीएमसी के खिलाफ लड़ सकती है। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा, जिसकी प्रतियां CJI डीवाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम को भेज दी है।पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर अभिजीत गांगुली ने कहा कि यह आलाकमान तय करेगा कि मैं किस सीट से चुनाव लड़ूंगा।अभिजीत गांगुली कई बार लगा चुके हैं ममता सरकार को फटकार: पिछले दो सालों में जस्टिस अभिजीत गांगुली को अकसर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और उसके शासन की आलोचना करते देखा गया है। कुछ रिपोर्ट्स से पता चलता है कि जस्टिस गांगुली भाजपा के टिकट पर तमलुक लोकसभा सीट क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में तमलुक सीट पर तृणमूल के दिब्येंदु अधिकारी ने जीत हासिल की थी। तमलुक सीट तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रही है। पार्टी ने 2009 के चुनाव के बाद से ही इसपर जीत दर्ज की है। के रूप में देखा जाता था, जब तक कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो गए। जस्टिस गांगुली ने कहा, “सत्तारूढ़ दल के तानों के कारण मुझे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उनके तानों और बयानों ने मुझे यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। सत्ता पक्ष ने कई बार मेरा अपमान किया। उनके प्रवक्ताओं ने मुझ पर असंसदीय शब्दों का प्रयोग किया। मुझे लगता है कि उन्हें अपनी शिक्षा को लेकर समस्या है।”भूमि राजस्व अधिकारी के रूप में शुरू किया था करियर: जस्टिस गांगुली का जन्म 19 अगस्त 1962 को हुआ था। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हाजरा लॉ कॉलेज से ग्रेजुएट अभिजीत ने अपना करियर पश्चिम बंगाल सिविल सेवा के ग्रेड ए अधिकारी के रूप में शुरू किया। एक भूमि राजस्व अधिकारी के रूप में उन्होंने स्थानीय भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की, तो उन्हें मौत की धमकियां मिलने लगी। इसके बाद उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा। फिर वो वापस कोलकाता चले गए। इसके बाद उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और कई बीमा कंपनियों और बीमा नियामक के लिए पैनल वकील के रूप में कार्य करते रहे।
CJI भी जता चुके हैं नाराजगी: 2022 में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया था। पिछले साल ही जस्टिस गांगुली को शिक्षकों की भर्ती घोटाले से संबंधित लंबित मामले में एक समाचार चैनल को इंटरव्यू देने के बाद सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। इसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबंधित मामले को दूसरे जस्टिस को सौंपने का आदेश दिया। बता दें कि जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय इसी साल रिटायर होने वाले थे। उन्होंने ऐलान किया है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मई 2018 से हाई कोर्ट के जज बने जस्टिस गंगोपाध्याय कभी बड़ी बेंचों के आदेशों की अनदेखी करके तो कभी न्यूज चैनलों को इंटरव्यू देकर विवादों में रहे हैं। बंगाल के कथित शिक्षा घोटाले को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार के साथ उनका टकराव लगभग पिछले 2 सालों से होता आ रहा है। यहां तक कि उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के अपने साथी जज पर “राज्य की एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम करने” का आरोप तक लगा दिया था।चलिए आपको बताते हैं कि हाल में कैसे जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय कई मौकों पर सुर्खियों में रहे हैं।
सुनवाई के बीच टीवी इंटरव्यू दिया तो SC ने बेंच से हटाया
अभिजीत गंगोपाध्याय 2 मई 2018 को कोलकाता हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त हुए. 2022 से, उन्होंने CBI और ED को पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल नौकरियों घोटाले की जांच करने का निर्देश देने वाले कई आदेश पारित किए हैं। हालांकि बाद में एक खंडपीठ ने इन आदेश पर रोक लगा दी। जस्टिस गंगोपाध्याय विवादों में उस अप्रैल 2023 में आए जब वो ‘पैसे के बदले स्कूलों में नौकरी देने वाले घोटाले’ के संबंध में याचिकाओं की सुनवाई कर ही रहे थे और उन्होंने इस घोटाले को लेकर एक स्थानीय बंगाली समाचार चैनल को इंटरव्यू दे दिया। उन्होंने इंटरव्यू में TMC के दूसरे नंबर के नेता और सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की संपत्ति पर खुलेआम सवाल उठाया. इस इंटरव्यू पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा जजों को टीवी चैनलों को इंटरव्यू नहीं देना चाहिए।
भारत के CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट मांगी थी कि क्या जस्टिस गंगोपाध्याय ने इंटरव्यू दिया था। जवाब हां में मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को आदेश दिया कि इस मामले को जस्टिस गंगोपाध्याय से लेकर किसी दूसरे बेंच को सौंप दिया जाए।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के कुछ घंटों के अंदर ही, जस्टिस गंगोपाध्याय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक आदेश पारित किया जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को यह निर्देश दिया कि वह बंगला मीडिया को दिए गए उनके इंटरव्यू पर SC में जमा की गयी रिपोर्ट और आधिकारिक ट्रांसलेशन उनके सामने पेश करें।इस स्वत: संज्ञान आदेश के बाद मजबूरन, सुप्रीम कोर्ट को इस पर रोक लगाने के लिए देर शाम एक विशेष सुनवाई करनी पड़ी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने यह भी कहा कि जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा ऐसा आदेश देना ‘न्यायिक अनुशासन के खिलाफ’ था। जब साथी जज पर लगाया खास पार्टी के लिए काम करने का आरोप: शुरू में, जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने एक MBBS कैंडिडेट द्वारा दायर याचिका पर पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में MBBS कैंडिडेट्स के एडमिशन में कथित घोटाले की CBI जांच का निर्देश दिया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ (2 जजों की बेंच) का रुख किया. इसके बाद जस्टिस सौमेन सेन और उदय कुमार की खंडपीठ ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी। इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल जज बेंच ने कहा कि खंडपीठ द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए. जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में जस्टिस सेन पर राज्य की एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम करने का भी आरोप लगाया है। बंगला थिएटर भी कर चुके हैं जस्टिस गंगोपाध्याय :रिपोर्ट के अनुसार 1962 में कोलकाता में जन्मे जस्टिस गंगोपाध्याय ने दक्षिण कोलकाता के एक बंगाली-माध्यम स्कूल, मित्रा इंस्टीट्यूशन (मेन) में पढ़ाई की. उन्होंने कोलकाता के हाजरा लॉ कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान उन्होंने बंगाली थिएटर भी किया। ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने उत्तर दिनाजपुर जिले में पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (WBCS) ग्रेड-ए अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया। बाद में उन्होंने सिविल सेवा छोड़ दी और कलकत्ता हाई कोर्ट में राज्य वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 2018 में एडिशनल जज के पद पर प्रमोट किया गया। दो साल बाद उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया। रिपोर्ट अशोक झा

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