बंगाल से बनाए फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे चार साल से देश विदेश घूम रहा था बांग्लादेशी मीनार हेमायत सरदार गुजरात से गिरफ्तार
बंगाल पर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की है पैनी नजर
नई दिल्ली: बंगाल से फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर देश विदेश में साजिश रचने वाला बांग्लादेशी नागरिक मीनार हीमायत सरदार को गुजरात की सूरत की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने गिरफ्तार किया है। उसके संबंध में बंगाल पुलिस से संपर्क करने पर हड़कंप मचा हुआ है। इतना ही नहीं केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को इस पूरे नेटवर्क को खंगालने के लिए लगाया गया है। इस प्रकार बांग्लादेशी और रोहिंग्या को भारत में प्रवेश कराने वाले पूरे नेटवर्क से कोई सफेदपोश जुड़ा है या नहीं यह भी पता किया जा रहा है।
बताया जाता है की सूरत पुलिस ने गुजरात में अवैध रूप से रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने भारत में रहने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। पुलिस ने उसके पास से कई फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनमें भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड, पश्चिम बंगाल का स्कूल एलसी, कतर का रेजिडेंसी परमिट और बांग्लादेशी पहचान दस्तावेज शामिल हैं। अवैध तरीके से भारत में प्रवेश और फर्जी पहचान:जांच में पता चला कि आरोपी, जिसका असली नाम मीनार हेमायत सरदार है, 2020 में बांग्लादेश से भारत आया था। उसने सतखिरा सीमा पार कर बोंगाव के रास्ते सूरत में प्रवेश किया। भारत में प्रवेश करने के बाद, उसने एक हिंदू नाम, सुनील दास, धारण किया और फर्जी दस्तावेजों का एक सेट बनाया। इन दस्तावेजों का उपयोग उसने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए किया।
विदेश यात्रा और वापसी: 2021 में, फर्जी पासपोर्ट के सहारे, मीनार कतर के दोहा शहर गया और वहां 2023 तक सेंटिंग मजदूर के रूप में काम किया। 2023 में, वह वापस सूरत लौट आया और एक निर्माण श्रमिक के रूप में काम करने लगा।गिरफ्तारी और जांच:।सूचना मिलने पर पुलिस ने मीनार को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। पुलिस ने उसके खिलाफ घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों के उपयोग के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल, पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या मीनार के भारत में रहने के दौरान कोई और आपराधिक गतिविधि भी थी।
जानकारी के मुताबिक आरोपी का नाम मिनार है और उसने पश्चिम बंगाल के हेमायत सरदार के स्कूल मदरसा का एलसी बनवाया। फिर इसी एलसी के आधार पर पैन कार्ड और पासपोर्ट भी बनवाया। आरोपी ने पश्चिम बंगाल के दस्तावेज से बने पासपोर्ट से विदेश यात्रा भी की । पुलिस उससे इस बात को लेकर भी पूछताछ क्या वह देश विरोधी कृत्यों में शामिल तो नहीं रहा है। पूछताछ पूरी होने के बाद ही इस मामले में पुलिस किसी ठोस नतीजे तक पहुंच सकती है। किस मकसद से आया था भारत?
पुलिस का कहना है की हमने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो कि पिछले कई दिनों से गुजरात के सूरत शहर में रह रहा था, वो भी फर्जी दस्तावेजों के साथ। उसके पास से कई ऐसे दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो कि उसके हिंदुस्तानी होने की पुष्टि करते हैं, लेकिन वो हिंदुस्तानी नहीं है। अब हम यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर वो किस मकसद से भारत आया था? फिलहाल पुलिस की टीम आरोपी बांग्लादेशी नागरिक से पूछताछ कर रही है। जांच के आधार पर पुलिस ने बताया कि आरोपी ने अवैध रूप से सीमा पारकर भारत में प्रवेश किया था और बाद में पश्चिम बंगाल के नादिया के एक स्कूल से फर्जी लीविंग सर्टिफिकेट बनवा लिया था। इसी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के आधार पर बांग्लादेशी नागरिक ने भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवा लिया। बंगाल से बने इन डॉक्यूमेंट के माध्यम से ही आरोपी ने एक बार विदेश यात्रा भी की है।आरोपी के देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने के एंगल पर एसओजी की टीम जांच कर रही है। इसके पहले भी
आइजीआई एयरपोर्ट थाना पुलिस ने फर्जी दस्तावेज पर बांग्लादेशी नागरिकों के लिए भारतीय पासपोर्ट बनाकर विदेश भेजने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपित ट्रैवल एजेंसी की आड़ में लोगों को विदेश भेज रहे थे। इनके कब्जे से पुलिस ने 21 पासपोर्ट, खाली स्टांप पेपर, 25 फोटोग्राफ और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। गिरफ्तार आरोपितों में बंगाल के नादिया का दीपक राय व ओडिशा के गंजाम का एस दीनबंधु शामिल है। आइजीआई थाना प्रभारी इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दोनों की तलाश शुरु की। तकनीकी निगरानी कर पुलिस ने पहले दीपक राय और फिर एस दीनबंधु को ओडिसा से गिरफ्तार कर लिया। छानबीन में पता चला कि दीपक पिछले कई साल से नादिया में राय ट्रैवल के नाम से एक टूर एंड ट्रैवल्स कार्यालय चला रहा था। जो लोगों को विदेश भेजने का काम करता था। वह एजेंटों के संपर्क में आने के बाद विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने लगा। एस दीनबंधु एजेंट के रूप में काम कर रहा था: वह अपने साथियों असित, गोविंदा और दिनेश की मदद से बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय पहचान देने के लिए उनके लिए नकली भारतीय दस्तावेज तैयार करता था और उन्हें विदेश भेजने के लिए नकली दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट की व्यवस्था करता था। एस दीनबंधु एजेंट के रूप में काम कर रहा था। वह ओडिशा में महावीर ट्रेनिंग के नाम से एक संस्थान चला रहा था जो लोगों को विदेश भेजने का भी काम करता है। पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश होते हुए म्यांमार तक फैलीं थीं मामले की जड़ेंडीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, जांच के दौरान पाया गया कि यह मामला सिर्फ फर्जी रशियन वीजा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इस मामले की जड़ें पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश होते हुए म्यांमार तक पहुंच रहीं हैं। जांच में खुलासा हुआ कि मॉस्को से डिपोर्ट किए गए दोनों यात्री मूल रूप से म्यांमार के नागरिक हैं और रोहिंग्या हैं। इनका असली नाम रबिया बीबी और अनवर सादिक है। म्यांमार की बदलती परिस्थितियों के चलते दोनों बांग्लादेश आ गए थे। दोनों अपने परिजनों के साथ बांग्लादेश में बतौर शरणार्थी रह रहे थे। इन्होंने नूर आलम नामक एक एजेंट की मदद से भारतीय पासपोर्ट और वीजा हासिल किया था। पूछताछ दौरान, यह भी पता चला कि नूर आलम पश्चिम बंगाल के एक एजेंट शेख आरिफ अली की मदद से आधार कार्ड सहित अन्य भारतीय दस्तावेज तैयार करवाता था। इन्हीं दस्तावेजों की मदद से भारतीय पासपोर्ट हासिल किया गया था. जांच में पता चला कि शेख आरिफ पश्चिम बंगाल के 24 उत्तर परगना के मिठोपुरा का रहने वाला है. जिसके बाद, आईजीआई एयरपोर्ट थाने के एसएचओ विजेंदर राणा के नेतृत्व में इंस्पेक्टर वीरेंद्र पाखरे और हेडकॉन्स्टेबल कृष्ण को पश्चिम बंगाल रवाना कर दिया गया. लंबी जद्दोजहद के बाद आईजीआई पुलिस टीम ने शेख आरिफ अली को गिरफ्तार कर लिया था। @रिपोर्ट अशोक झा