संजय झा के जदयू कार्यकारी अध्यक्ष बनने से सीमांचल और मिथिलांचल में खुशी की लहर
संजय झा के जदयू कार्यकारी अध्यक्ष बनने से सीमांचल और मिथिलांचल में खुशी की लहर
-पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता रहे दिवंगत अरुण जेटली की पाठशाला में वे तैयार हुए कार्यकर्ता है झा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यसभा सांसद संजय झा को अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। जेडीयू में वे इस समय नीतीश के सबसे करीबी नेताओं में से एक हैं और अब नंबर दो की भूमिका में आ गए हैं।
उन्हें सर्वसम्मति से जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। उनके कार्यकारी अध्यक्ष बनने से मिथिलांचल और सीमांचल के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वह इसलिए भी माना जाता है की बिहार की राजनीति में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ झा
हो या आरजेडी के कद्दावर नेता मोहम्मद तसलीमुद्दीन हमेशा कहते थे। बिहार की राजनीति में हाजी और झांजी की बहुत जरूरत है। भाजपा के विद्वान नेता और प्रदेश अध्यक्ष रहे तराकांत झा से बिहार के कांग्रेस की बदहाली पर जब पूछा गया था तो कहा था कि बभना यानि ब्राह्मण रूठ गया और बधना यानि मुस्लिम फुट गया इसलिए कांग्रेस लूट गया। संजय झा का भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नजदीकी होने की चर्चा भी राजनीतिक गलियारों में होती रहती है। इसका कारण यह है कि झा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी से ही की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता रहे दिवंगत अरुण जेटली की पाठशाला में वे तैयार हुए। हालांकि बाद में वे बीजेपी छोड़कर जेडीयू में आ गए। अपने दो दशक के करियर में संजय झा की सियासत ने बार-बार परीक्षा ली। संजय झा 2009 में दरभंगा में लोकसभा चुनाव में प्रबल दावेदार थे। उस समय वे बीजेपी के एमएलसी हुआ करते थे। मगर उन्हें टिकट नहीं मिल पाया। 2014 में जेडीयू के सिंबल पर वे दरभंगा से लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें सवा लाख वोट ही मिले और हार का सामना करना पड़ा। 2019 और 2024 में भी बिहार एनडीए में दरभंगा सीट जेडीयू के खाते में जाने की चर्चा तेज हुई। 2019 में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ही कहा था कि हमने बस एक ही सीट के लिए बीजेपी पर दबाव बनाया था, वह दरभंगा सीट थी। हालांकि, बीजेपी ने यह सीट अपने पास ही रखी। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के बाद जब केंद्र में एनडीए की सरकार बनी तो, संजय झा के नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल होने की चर्चा हुई। मगर जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह रेस में आगे निकल गए।
अरुण जेटली से नजदीकी के जरिए संजय झा ने मिथिला को दिलाया फायदा: संजय झा पर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के नजदीकी होने की चर्चा होती रहती है। झा बीजेपी में दिवंगत अरुण जेटली के सबसे खास रहे थे। जेडीयू में आने के बाद भी उनकी जेटली से नजदीकी बनी रही। केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद उन्होंने इसका फायदा भी उठाया। संजय झा दरभंगा में एयरपोर्ट और एम्स जैसी परियोजना लाने में सफल रहे। नीतीश के बाद जेडीयू में संजय झा अब नंबर दो की भूमिका में आ गए हैं। कुछ दिन पहले ही उन्हें राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल का नेता भी बनाया गया था। इससे पहले वे बिहार की नीतीश सरकार में जल संसाधन समेत कई अहम विभागों के मंत्री भी रहे। संजय झा बिहार के मिथिला क्षेत्र से आते हैं और जेडीयू का चर्चित ब्राह्मण चेहरा है। वह इस समय जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के सबसे करीबी नेताओं में से एक हैं। करीब 5 महीने पहले नीतीश कुमार की इंडिया गठबंधन से एनडीए में वापसी कराने में संजय झा ने सूत्रधार की भूमिका निभाई थी।
जेडीयू के नए कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा का जन्म 1 दिसंबर 1967 को मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड स्थित अररिया संग्राम गांव में हुआ था। उन्होंने प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया है। उनकी पत्नी का नाम एनाक्षी झा है और दोनों के तीन बच्चे हैं। संजय झा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2004-05 में की थी। 2006 में वे पहली बार बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। इसके बाद वे लगातार एमएलसी बनते रहे। फरवरी 2024 में जेडीयू ने उन्हें वशिष्ठ नारायण सिंह की जगह राज्यसभा में भेजा। इससे पहले वे तीन बार बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। संजय झा ने नीतीश सरकार में जल संसाधन विभाग और सूचना और जनसंपर्क विभाग सहित महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी निभाई। वे 2 जून 2019 से 16 नवंबर 2020 तक, 9 फरवरी 2021 से 9 अगस्त 2022 तक, और 16 अगस्त 2022 से 28 जनवरी 2024 तक मंत्री रहे। झा बिहार के मिथिला क्षेत्र से आते हैं, इस वजह से उन्होंने अपने क्षेत्र में विकास के कई काम किए। खासकर दरभंगा में बाढ़ की विभीषिका को कम करने के लिए वे कई योजना लेकर आए और बाढ़ के पानी को रोकने में सफल भी रहे। संजय झा ने कुशेश्वरस्थान प्रखंड में कई योजनाएं लागू कीं, जहां किसान खेती नहीं कर पाते थे आज खूब खेती हो रही है। इस क्षेत्र को बाढ़ मुक्त बनाने के लिए उन्होने ‘कमला जनसंपर्क यात्रा की और ग्राउंड जीरो पर जाकर समस्याओं को देखा और जाना। उन्होंने कमला बलान बायां एवं दायां तटबंध का ऊंचीकरण और सुदृढ़ीकरण एवं पक्कीकरण का कार्य करवाया। इससे मधुबनी एवं दरभंगा जिले के कई प्रखंडों के बड़े इलाके को बाढ़ से स्थायी सुरक्षा मिल गई, जिससे लाखों लोग को फायदा पहुंचा। साल 2019 में जब कमला नदी का तटबंध कई स्थानों पर टूट गया था। तब संजय झा ने बतौर जल संसाधन मंत्री मिथिला को कमला नदी की बाढ़ से कारगर एवं दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम को बुलाया और पूरे इलाके का सर्वे कराया। टीम की रिपोर्ट और कमला नदी के उच्चतम जलस्तर के आंकड़ों का अध्ययन कर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की विस्तृत योजना तैयार की गई। इसमें नेपाल सीमा पर जयनगर में 405 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक कमला बराज का निर्माण हो रहा है, जबकि कमला नदी के दोनों तटबंधों के कुल 136 किलोमीटर से अधिक लंबाई में दो फेज में कुल 622.99 करोड़ रुपये की लागत से ऊंचीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं शीर्ष पर पक्कीकरण का कार्य कराया गया। संजय झा की उपलब्धि में सबसे बड़ा काम तब हुआ जब वर्षो से उपेक्षित मिथिला के मोक्ष धाम सिमरिया घाट को सजाने का काम किया गया। यहां 500 मीटर में घाट का निर्माण किया जा गया है। धर्मशाला, कल्पवास, बाथरूम, शौचालय का निर्माण कार्य किया पूरा कर लिया गया है। बतौर जल संसाधन मंत्री उन्होंने कमला नदी के दोनों तटबंधों को मजबूत कराया। दोनों ही तटों पर सड़कें बनी हैं। इससे बाढ़ की समस्या का काफी हल निकला है। रिपोर्ट अशोक झा