संघ और समाज के दीपक थे वरिष्ठ स्वयंसेवक जगदीश अग्रवाल: सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर


– मौका था हमारे जगदीश जी, एक जीवन एक ही लक्ष्य”पुस्तक का विमोचन का
अशोक झा, सिलीगुड़ी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-सरकार्यवाह रामदत्त की मौजूदगी में सिलीगुड़ी के वरिष्ठ स्वयंसेवक दिवंगत जगदीश प्रसाद अग्रवाल की पावन पुण्य स्मृति में एक लघु पुस्तिका “हमारे जगदीश जी, एक जीवन एक ही लक्ष्य” का विमोचन किया गया। सेवक रोड स्थित उत्तर बंगाल मारवाड़ी भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर, संघ के क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख विद्युत मुखर्जी, संघ के अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य अद्वैत चरण दत्त ने पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर स्वर्गीय जगदीश अग्रवाल के पुत्र प्रवीण अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, अरुण अग्रवाल समेत परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख विद्युत मुखर्जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा की संघ से जुड़े सभी लोग कभी भी जगदीश दा को नहीं भूल सकते। वह हर क्षेत्र में अपने मेधा का लोहा सामने वाले से मनवाते थे। वे हमेशा कहते थे संघ में जाति नहीं पूछी जाती है। हमने कभी खोजा नहीं, कभी प्रयास नहीं किया कि कौन किस जाती से आता है। तो इस कारण से हमें पता नहीं कौन किस जाति का है ? काम करने वाले को हमेशा बड़ा दायित्व दिया जाता है। स्वयंसेवक काम करते-करते आगे बढ़ जाता है वैसे ही थे जगदीश अग्रवाल। वे कहते थे हमारा लक्ष्य है सम्पूर्ण हिन्दू समाज को सक्षम बनाना और जो भी चुनौतियां सामने आएंगी। उनको साहस और जिम्मेदारी से निभाने के लिए समाज को तैयार करना। हिन्दू समाज की सबसे अधिक अपेक्षा राष्ट्रीय स्वयंसेवक से है। संघ के लिए आदर्श स्थिति वह है जब समाज पूर्ण रूप से संगठित हो जाए और इसमें संघ की भूमिका की चर्चा न हो। 100 वर्ष की यात्रा में वर्तमान स्थिति एक पड़ाव पार करने जैसी है और ऐसे और भी पड़ाव हमें पार करने हैं, परन्तु आगे भी बहुत लंबी यात्रा बाकी है। मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व है।
संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर ने कहा की आज हम सभी स्वर्गीय जगदीश अग्रवाल की याद ओर उनसे जुड़ी पुस्तक के विमोचन के लिए एकत्र हुए है। यह इस बात को साबित करता है की अकेला मनुष्य शक्तिहीन है, जबकि संगठित होने पर उसमें शक्ति आ जाती है। संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से कर सकता है। संगठन में ही मनुष्य की सभी समस्याओं का हल है। जो परिवार और समाज संगठित होता है वहां हमेशा खुशियां और शांति बनी रहती है और ऐसा देश तरक्की के नित नए सोपान तय करता है। इसके विपरीत जो परिवार और समाज असंगठित होता है वहां आए दिन किसी न किसी बात पर कलह होती रहती है जिससे वहां हमेशा अशांति का माहौल बना रखता है। रामदत्त ने कहा कि बच्चों में राष्ट्र प्रथम का भाव भी परिवार में विकसित होता है। इस भाव को जगाने की आवश्यकता है, इसमें माता की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत में माता का परिचय बच्चों से होता है, वे ही बच्चों को संस्कार देती हैं। माता बच्चों के विचारों को दिशा देती है। जैसे स्वामी विवेकानन्द ने अपने बचपन में कहा कि वह तांगा चलाने वाला बनना चाहते हैं, तब उनकी माता ने उनको उलाहना देने के बजाय कुरूक्षेत्र की फोटो दिखाकर कहा अगर तांगा चलाने वाला बनना है तो अर्जुन का रथ चलाने वाले कृष्ण की तरह तांगा चलाने वाला बनना होगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों को दिशा दी। उन्होंने कहा, भावी पीढ़ी को संस्कार देने के लिए हमें अपने घर से पहल करनी होगी, इसके लिए सभी को अपने लिए संकल्प लेना होगा। परिवार मजबूत होगा, एक एक परिवार किला बनाएगा तब भारत राष्ट्र भी शक्तिशाली होगा। भारत की शक्ति सामूहिकता में है।इसलिए हम सभी को पांच संकल्प लेना होगा। कुटुंब प्रबोधन सप्ताह में एक दिन कुटुंब के सभी लोग मिलकर भजन, सामूहिक भोजन, अच्छी बातों की चर्चा करें। परिवार संस्कारित हो, मेल-जोल के साथ रहे। सामाजिक समरसता बढ़ाने सभी वर्गों के लोगों को साल में एक बार सम्मानपूर्वक भोजन पर बुलाएं। घर के कर्मियों को भोजन पर बुलाएं। इससे समरसता बढ़ेगी।पर्यावरण की रक्षा, बिना अन्न और पानी के कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं लेकिन बिना ऑक्सीजन के एक पल रहना संभव नही है इसलिए परिवार को प्रति वर्ष 10 पेड़ लगाने और पेड़ों को बड़ा करने का संकल्प लेना चाहिए। हरियाली बढ़ाने का आंदोलन चलना चाहिए।स्व की जागृति, देशी खानपान, वेशभूषा, मातृभाषा को सम्मान देना हमें सीखना होगा। नागरिक बोध, देश के नियम कानून का पालन करना होगा। राष्ट्र के प्रतीकों का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा की ज्याततर लोग आज पारस बनने की लालसा रखते है लेकिन यह ठीक नहीं है। इससे आप सिर्फ सोना ही बना सकते है। जीवन और समाज को कुछ देना है तो दीपक बनो। एक दीपक से सैकड़ों और लाखों दीपक जल सकता है। संघ परिवार में इसी प्रकार के दीपक थे स्वर्गीय जगदीश अग्रवाल। जो सादा जीवन उच्च विचार से जीवन के अंतिम समय तक संघ में अपना योगदान दिया। इस मौके पर वहां उपस्थित लोगों ने अपने विचार और स्मरण को बताया। वीएचपी के प्रवक्ता सुशील रामपुरिया ने कहा की संघ परिवार में उनसे ज्यादा सुलझा हुआ अभिभावक कोई दूसरा नहीं हो सकता। हमेशा संघ के माध्यम से समाज को आगे ले जाने की ललक उनमें थी जो आज दूसरे में स्वयं देखने को नहीं मिलता।1940 में जन्में जगदीश अग्रवाल निर्भीक भी थे इस बात का ज्ञात इसी बात से होता है की 1956 में जब डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिलीगुड़ी में सभा करना चाहते थे तो कांग्रेस विरोध कर रही थी। अग्रवाल उनकी सभा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली और सभा की सफल बनाया। आपातकाल में वे जेल की यातनाएं सही परन्तु अपने राष्ट्रभाव से कभी पीछे नहीं मुड़े। समारोह में जनपथ के संपादक विवेक बैद्य, करण सिंह जैन, विनोद अग्रवाल ऊर्फ विन्नू समेत शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। रिपोर्ट अशोक झा

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