डॉक्टर्स डे : फरिश्ते से कम नहीं होते है डॉक्टर
– पेशे में व्यावसायिकता हावी है, लेकिन आज भी कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जो निस्वार्थ भाव से सेवा करते है
अशोक झा, सिलीगुड़ी : डॉक्टर सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ते हैं और दूसरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का काम करते हैं। यह सुनिश्चित करने में उनका योगदान बहुत बड़ा है कि हम एक अच्छा जीवन जी सकें। वे रोगियों की देखभाल करते हैं, उन्हें आश्वस्त करते हैं, आवश्यक दवाएं देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि रोगी समय के साथ ठीक हो जाए। समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा का हर दिन जश्न मनाया जाना चाहिए और उसका सम्मान किया जाना चाहिए। लोगों के प्रति उनकी सेवा के लिए उनका सम्मान करने के लिए हर साल ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है। डॉक्टर्स धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं। भगवान के इसी अवतार के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हर वर्ष एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इनके बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। अमूमन हर किसी के जीवन में ऐसा दुखद क्षण आता है, जब वह बीमारी से पीड़ित हो जाता है। ऐसे समय में यदि आर्थिक संकट हो तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। यह सिर्फ एक प्रोफेशन नहीं बल्कि एक इंसान कि लाइफ लाइन है। देश के सभी डॉक्टर्स के योगदान को ध्यान में रखते हुए साल 1 जुलाई के दिन ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानें क्यों और कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत?: जानकारी के अनुसार, देश में डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत 1 जुलाई 1991 से की गई थी। यह दिन प्रसिद्ध चिकित्सक शिक्षाविद और बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। इनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। सन् 1976 में इन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था। उनके तमाम योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल 1 जुलाई का दिन ‘डॉक्टर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है।इस दिन को मनाने का महत्व: इस खास दिन को मनाने के पीछे एक ही कारण है कि देश के सभी डॉक्टर्स जो दिन-रात अपने मरीज की जान बचाने के लिए जुटे रहते हैं उन्हें सम्मानित करना। कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जो अपनी भूमिका निभाई है वह किसी से छिपी नहीं है। इस खास दिन को मनाने के पीछे यही कारण यही है कि उन्हें सम्मानित करना। उन्हें दूसरे के सेवा के लिए प्रेरित करना। डॉक्टर्स के प्रति अपना सम्मान दिखाने के लिए इससे खास दिन और कोई हो नहीं सकता है। वैसे तो इस पेशे में व्यावसायिकता हावी है, लेकिन जिले में आज भी कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जो निस्वार्थ भाव से मरीजों का इलाज करते हैं। उनके लिए फीस नहीं, मरीजों की सेवा मायने रखती है। ऐसे ही एक दंत चिकत्सक है डॉक्टर प्रशांत झा। वे पैसा से ज्यादा रोगी की सेवा में ध्यान देते है। नक्सलबाड़ी के नूरुल हुदा ने बताया की उनका दुर्घटना में दांतों का हाल बेहाल हो गया था। इलाज के लिए कई डॉक्टरों के पास गया लेकिन काफी पैसा की मांग की गई। इसी बीच मुझे डॉक्टर प्रशांत झा के बारे में पता चला। उनके मोबाइल नंबर 7001441636 से बात होने पर उन्होंने इलाज का ना सिर्फ वादा किया बल्कि कम पैसे में उचित इलाज किया। आज इस दिवस के वास्तविक सम्मान के हकदार है। मेरा तो सभी लोगों से आग्रह है की हाथी मोड़ स्थित डॉक्टर प्रशांत डेंटल हब में जाकर एक बार जरूर जाए। यहां सस्ता और अच्छा इलाज मिलेगा।