अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस पर तेनजिंग नोर्गे शेरपा को भारत रत्न देने की मांग
अशोक झा, सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में 71वां अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। शहर के दार्जिलिंग मोड़ स्थित तेनजिंग नोर्गे शेरपा की प्रतिमा पर सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव, डिप्टी मेयर रंजन सरकार और नैफ की ओर से अनिमेष बसु अपनी टीम के साथ तेनजिंग नोर्गे शेरपा की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सिलीगुड़ी के मेयर ने तेनजिंग नोर्गे शेरपा को भारतरत्न देने की मांग की। यह कार्यक्रम सिलीगुड़ी नगर निगम और हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन (एचएनएएफ ) द्वारा मनाया गया है। श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मेयर गौतम देव ने कहा कि भारत सरकार से काफी समय से तेनजिंग नार्गे शेरपा को भारत रत्न देने की मांग की जा रही है। अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। बताया गया कि अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस’ प्रत्येक वर्ष 29 मई को मनाया जाता है, इसे ‘माउंट एवरेस्ट दिवस’ भी कहते हैं। यह दिवस दो बहादुर एवं महान पर्वतारोहियों सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे शेरपा को सम्मानित करने हेतु समर्पित है, जिन्होंने 29 मई 1953 को दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत के शिखर को पहली बार फतह किया था।यह दिवस उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, जो तमाम चुनौतियों से जूझते हुए माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करते हैं. यह दिन उनके लिए भी बहुत प्रेरणादायक दिन है, जो ट्रैकिंग एवं पहाड़ी पर चढ़ाई का शौक रखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का इतिहास
गौरतलब है कि 29 मई 1953 के दिन सर एडमंड हिलेरी (न्यूजीलैंड) और तेनजिंग नोर्गे शेरपा (नेपाल) द्वारा अथक प्रयास और संघर्ष के बाद माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई पूरी की थी. नेपाल सरकार ने साल 2008 में एवरेस्ट पर पहली चढ़ाई करने वाले दोनों पर्वतारोहियों को सम्मान देने के लिए इसकी 55वीं वर्षगांठ पर 29 मई को अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. इसके बाद से ही प्रत्येक वर्ष की 29 मई को यह दिवस विशेष मनाया जा रहा है। यह दिवस पर्वतारोहण एवं साहसिक खेलों में रुचि रखने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है, साथ ही माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वालों को अपने सपने साकार करने के लिए प्रेरित करता है।अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस को ऐसे करें सेलिब्रेशन:
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस मनाने के लिए यहां कुछ रोमांचक एवं रोचक टिप्स दिये जा रहे हैं। इन्हें फालो करते हुए इस दिन को खास बनाया जा सकता है।इस अवसर पर स्थानीय पर्वतीय क्लब या संगठन में जाकर उन पर्वतारोहियों से प्रेरणा और टिप्स ले सकते हैं, जो संघर्ष और जोखिमों की परवाह किये बिना पहाड़ों पर चढ़ना पसंद करते हैं। इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए आप कुछ किमी लंबी पैदल यात्रा या कैंपिंग कर सकते है. आप भले पर्वतारोही नहीं हों लेकिन दिन का आनंद लेने के लिए किसी पहाड़ी पर चढ़ने की योजना बनाएं. हां किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना न भूलें।
माउंट एवरेस्ट के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य
एवरेस्ट पर पहली बार चढ़ाई करने वाले पर्वतारोही थे न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी, उनके गाइड तेनजिंग नोर्गे थे. दोनों ने इस अभियान को 1953 में पूरा किया था। ब्रिटिश सर्वेक्षकों ने भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित माउंट एवरेस्ट को विश्व की सबसे ऊंची चोटी बताया था। तिब्बती माउंट एवरेस्ट को सबसे ऊंची चोटी चोमोलुंगमा या चोमोलंगमा कहते हैं, जिसका अर्थ है पहाड़ों की देवी। माउंट एवरेस्ट का नेपाली नाम सागरमाथा, जिसका अर्थ है आकाश पर मस्तक. यह पहाड़ अब सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है। माउंट एवरेस्ट का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है, जो 1830 से 1843 तक भारत के सरकारी सर्वेक्षण के निदेशक थे। माउंट एवरेस्ट की खोज सर्वप्रथम भारतीय सर्वेक्षक और गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने की थी. इसका गठन लगभग 450 मिलियन वर्ष पहले हुआ था, जो हिमालय से भी पुराना है।विश्व का यह सबसे ऊंचा पर्वत उत्तर में चीन और दक्षिण में नेपाल के साथ स्थित है। यह तिब्बत के शानदार क्षेत्रों से लेकर नेपाल तक फैला हुआ है।