असम में बाढ़ के कारण 17 वन्य जीवों की मौत, 60 लोग समय काल के गाल में
कोलकाता: बंगाल के पड़ोसी राज्य असम में बाढ़ की स्थिति दिन व दिन खराब होते जा रही है। इंसान तो इंसान जानवरों को जान बचाना मुश्किल हो रहा है। 17 की मौत हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के अधिकांश हिस्सों में बाढ़ आ गई है।वन अधिकारियों ने बताया कि जलमग्न शिविरों में से 75 शिविर पार्क के अगराटोली और काजीरंगा रेंज में हैं। बढ़ते बाढ़ के पानी के कारण वन रक्षकों ने पार्क के अंदर स्थित नौ शिविरों को छोड़ दिया है। वन अधिकारियों द्वारा बाढ़ की स्थिति पर जारी अपडेट के अनुसार, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति पैदा होने से 17 वन्यजीवो की मौत हो गई है, जबकि 72 वन्यजीवों को बचाया गया है।अधिकारी ने बताया कि उद्यान में 11 हॉग हिरण की मौत डूबने से हुई जबकि पांच की मौत इलाज के दौरान हुई। वन अधिकारियों ने 63 हॉग हिरण, दो-दो ऊदबिलाव व साम्भर और एक स्कोप उल्लू सहित 72 जानवरों को बचा लिया है। अधिकारी ने बताया कि अभी 26 जानवरों का उपचार हो रहा है जबकि 29 अन्य पशुओं को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बुधवार तक डूबने के कारण 11 पशुओं की मौत हो गयी थी जबकि 65 अन्य को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से बचाया गया था। अधिकारी ने बताया कि पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग में कुल 233 कैम्प में से 141 अब भी जलमग्न हैं। इस बीच, राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने तथा वाहनों की गति 20 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे रखने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गयी है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने स्थिति का जायजा लेने के लिए पार्क के कुछ हिस्सों और आसपास के इलाकों का दौरा किया।उन्होंने कहा कि वन्यजीवों को बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को तैनात किया गया है।अधिकारियों ने कहा कि इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर एंड वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सहयोग से असम वन विभाग द्वारा प्रबंधित वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र (सीडब्ल्यूआरसी) ने कई जानवरों को बढ़ते पानी से बचाया है और उन्हें पास के वन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया है।अधिकारियों ने कहा कि पार्क के कई हिस्सों में तीन मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा इकाइयां तैनात की गई हैं।हर साल, एक बार जब बाढ़ का पानी काजीरंगा में प्रवेश कर जाता है, तो गैंडे और हाथियों सहित वन्यजीव पार्क के किनारे स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग- 37 को पार करके सुरक्षा के लिए दूसरी तरफ पहाड़ियों और ऊंचे इलाकों में चले जाते हैं। इस दौरान दुर्घटनाओं से बचने के लिए राज्य सरकार ने 1 जुलाई से कुछ यातायात नियम लागू किए हैं, जिनमें पार्क के साथ लगे राष्ट्रीय राजमार्गों पर व्यवसायिक ट्रकों के चलने पर प्रतिबंध भी शामिल है।राज्य के 27 जिलों में 16.25 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. असम में धुबरी सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है जहां 2.23 लाख लोग पीड़ित हैं. असम के 24 जिलों में राज्य सरकार 515 राहत शिविर और राहत वितरण केंद्र चला रही है, जहां वर्तमान में 3,86,950 लोगों ने शरण ले रखी है। असम में इस साल बाढ़, भूस्खलन और तूफान से अब तक 60 लोगों की जानें जा चुकी हैं।रिपोर्ट अशोक झा