भ्रष्टाचार सामने आने पर किसानों के धान की नही हो रही खरीदारी, उत्तर बंगाल में चल रहा लूट
सिलीगुड़ी: मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल के दौरे पर है। राशन वितरण घोटाले के साथ धान खरीद घोटाला भी सामने आया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की गिरफ्तारी के बाद इस साल पश्चिम बंगाल में राज्य संस्थाओं द्वारा खाद्यान्न खरीद के लिए किसानों के पंजीकरण की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। ज्योतिप्रिय मल्लिक को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के राशन वितरण मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) शुभेंदु अधिकारी के अनुसार, चूंकि किसानों के पंजीकरण की संख्या में गिरावट मंत्री की गिरफ्तारी के साथ हुई है; इससे स्पष्ट है कि पहले पंजीकरण संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई जा रही थी।नेता प्रतिपक्ष ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि पिछले साल 29 लाख किसानों ने अनाज खरीद के लिए अपना पंजीकरण कराया था। इस साल अब तक यह संख्या सिर्फ 11 लाख है। अब, यह ध्यान में रखना होगा कि केंद्र द्वारा सभी राज्यों को खाद्यान्न खरीद के लिए धन अग्रिम रूप से प्रदान किया जाता है। इसलिए हमारा मानना है कि पिछले साल खरीद प्रक्रिया में किसानों के फर्जी पंजीकरण के माध्यम से धन की हेराफेरी की गई थी। मेरे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस मद में फंड की हेराफेरी पांच हजार करोड़ रुपये से कम नहीं होगी। अधिकारी ने कहा, हालांकि यह गबन का एक तरीका है, दूसरा तरीका किसानों को वास्तव में उनसे खरीदे गए अनाज की मात्रा के मुकाबले कम पैसे देना है। शुभेंदु ने आरोप लगाया, “राज्य में कई जगहों से शिकायतें आ रही हैं कि खरीद एजेंसियां किसानों को वास्तव में खरीदे गए प्रत्येक 20 क्विंटल अनाज के मुकाबले सिर्फ 19 क्विंटल अनाज की कीमत दे रही हैं। इसलिए राज्य सरकार किसानों को भी वंचित कर रही है।” इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। ईडी को संदेह है कि इस घोटाले के तार भी राशन घोटाले में गिरफ्तार मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक से जुड़े हो सकते हैं और इस घोटाले का पैसा उन तक पहुंचाया गया होगा।सरकार और सहकारी समितियों के बीच मध्यस्थता का काम रहे एजेंट: ईडी सूत्रों के मुताबिक, सहकारी समितियां धान उत्पादक किसानों से सरकारी मूल्य पर धान खरीदती हैं। धान की कीमत सीधे किसानों के खाते में जाने की बात है, लेकिन जांच के दौरान पता चला है कि धान खरीद में कुछ एजेंट सरकार और सहकारी समितियों के बीच मध्यस्थता का काम कर रहे थे। मिल मालिक इन एजेंटों के माध्यम से सरकारी दर से कम कीमत पर धान खरीदते थे।धान खरीद के लिए खातों में की गई हेराफेरी: धान खरीद के लिए खातों में हेराफेरी की गई थी। ये एजेंट कुछ किसानों को इकट्ठा करते थे। उनके नाम पर बैंक खाते खोलते थे। इन किसानों को सहकारी समिति के खातों में दर्शाया जाता था तथा उनके नाम पर धान खरीदा जाता था। बाद में खाते से पैसे निकाल लिए जाते थे। इस तरह धान खरीदने से मिल मालिकों को प्रति क्विंटल 200 रुपये का मुनाफा होता था। माना जा रहा है कि इस लाभ से मिल मालिक के अलावा एजेंट और सरकारी अधिकारी लाभान्वित हुए हैं।
सूत्रों ने कहा कि मामले की जांच से पता चला है कि राशन वितरण मामले की आय को कई शेल फर्मों के माध्यम से डायवर्ट किया गया था। मल्लिक की पत्नी और बेटी, साथ ही उनके करीबी विश्वासपात्र इन फर्जी कंपनियों में निदेशक थे। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को इन फर्जी कंपनियों के बैंक खातों में कई लेनदेन भी मिले हैं, जहां जमा होने के कुछ ही मिनट बाद भारी मात्रा में रकम डेबिट (निकाली) की गई थी। सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारियों का मानना था कि मल्लिक के बैंक खाते उन्हें मामले में अतिरिक्त जानकारी प्रदान कर सकते हैं और इसलिए उनसे पूछताछ जरूरी हो गई है। अकाउंटेंट के बैंक खाते ईडी की जांच के दायरे में हैं। इस बीच, ईडी के अधिकारियों ने बुधवार को राशन वितरण मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए पहले कोलकाता स्थित व्यवसायी बकीबुर रहमान को कोलकाता की एक विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया। विशेष अदालत ने रहमान की न्यायिक हिरासत 13 दिसंबर तक बढ़ा दी क्योंकि उनकी पहचान मंत्री के प्रमुख सहयोगी के रूप में की गई है। उन पर फर्जी किसान सहकारी समितियां खोलकर किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर धान खरीदने और फिर उसी धान को खुले बाजार में एमएसपी से ऊपर कीमत पर बेचने का भी आरोप लगाया गया था। मामला सबके सामने आने के बाद भी उत्तर बंगाल में धान खरीद के नाम पर लूट जारी है। नियमों का पालन नहीं करते हुए धान की खरीदारी कागज पर ही चल रहा है। सीएम चाहे तो इसकी जनकारी या जॉच के आदेश दे सकती है। @ रिपोर्ट अशोक झा