श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार करने बाला अब नहीं कहलाएगा डोम
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार करने में मदद करने वालों को अब डोम नहीं कहा जाएगा। उन्हें नया नाम मिल मिल गया है। डोम को अब से सरकारी रिकॉर्ड में ‘संस्कार कार्यकर्ता’ के रूप में जाना जाएगा। उन्हें सर्वत्र इसी नाम से पुकारा जायेगा. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व में बुधवार को कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में कई फैसले लिये गये. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने पंचायत कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य योजना का लाभ देने, इंजीनियरों को जिला जिलों में स्थानांतरित करने, चाय बागान श्रमिकों को पट्टे सौंपने का भी निर्णय लिया है, लेकिन इसके अलावा यह एक ऐतिहासिक फैसला हुआ है। यह फैसला किया गया है कि विभिन्न सरकारी गतिविधियों की नोटबुक में अब ‘डोम’ शब्द नहीं लिखा जाएगा। इन्हें ‘संस्कार कार्यकर्ता’ कहने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया। कहा जा रहा है कि राज्य सरकार की यह पहल दाह संस्कार का काम करने वालों को उचित सम्मान देने के लिए किया है। राज्य के जल संसाधन विकास मंत्री मानस भुइयां ने कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अब राज्य में डोम को अंतिम संस्कार कर्मी कहा जाएगा। खुद मुख्यमंत्री ने भी कहा कि वह इस प्रस्ताव के पक्ष में हैं।
बंगाल में डोम नाम को लेकर हुआ अहम फैसला: बता दें कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार कुछ रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाता है। मृतक के अंतिम संस्कार में परिवार के सदस्य और रिश्तेदार बहुत ही स्वाभाविक रूप से शामिल होते हैं, लेकिन दाह संस्कार में सबसे अहम भूमिका डोम ही होती है। वे शवों का दाह-संस्कार में मदद करते हैं।।कुछ साल पहले भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया कोरोना महामारी फैली थी। एक समय तो स्थिति यहां तक पहुंच गई कि संक्रमण के डर से शवों को श्मशान तक ले जाने या उनका दाह-संस्कार करने वाला भी कोई नहीं मिल रहा था। यहां तक कि श्मशान घाटों में भी लाशों के पहाड़ देखे जा सकते थे। उस समय भी इन डोमों ने अपनी जान जोखिम में डालकर दाह-संस्कार का कार्य जारी रखा था। ऐसा करने में कई डोमों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। इसलिए, समाज में डोमों की भूमिका को किसी भी तरह से नकारा नहीं जा सकता।
कैबिनेट बैठक में डोम का नाम बदलने का प्रस्ताव मंजूर
राज्य में अब उन्हें डोम कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा. इसके बजाय, उन्हें ‘संस्कार कार्यकर्ता’ कहा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को कैबिनेट की बैठक में कोलकाता नगर पालिका के विभिन्न श्मशान घाटों में भर्ती से जुड़े मामले पर चर्चा के दौरान यह फैसला लिया गया। उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अंतिम संस्कार से जुड़े कार्यकर्ताओं को संस्कार कर्मी का नाम दिया था। ममता बनर्जी ने फैसला किया कि ये लोग अब से चैरिटी वर्कर के रूप में जाने जाएंगे। बता दें कि कोलकाता नगर पालिका के अंतर्गत विभिन्न श्मशान घाटों में ऐसे 9 दाह-संस्कार कर्मियों की नियुक्ति के निर्णय को आज कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गयी है। मुख्यमंत्री के इस फैसले की विभिन्न हलकों में सराहना की जा रही है. इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मुर्दाघर कर्मियों को ‘मोर्च्यूरी वर्कर’ नाम दिया था। रिपोर्ट अशोक झा