आरक्षण आंदोलन तो बहाना है, इस्लामाबाद में बना है प्लान ढाका को जलाना है?

पाकिस्तान ढाका से लेकर लंदन तक कट्टरपंथ की इस आग को दे रहा है हवा


– हिंसा के साथ हर गतिविधि पर भारत की है नजर, सीमा पर बढ़ी चौकसी
अशोक झा, सिलीगुड़ी: दुनिया के सामने है लेकिन अब इस हिंसा की इनसाइड स्टोरी भी सामने आ चुकी है। सच्चाई ये है कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा की वजह शेख हसीना या बांग्लादेश के छात्र नहीं बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर हैं। बांग्लादेश में हो रही हिंसा के पीछे छात्रों का आरक्षण पर गुस्सा सिर्फ एक बहाना है। सच्चाई ये है ढाका को जलाने का प्लान इस्लामाबाद में बनाया गया। इसलिए नई दिल्ली भी इस पर पूरी नजर बनाए हुए है। जो खबर सुरक्षा एजेंसियों से आ रही है उसके मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ढाका में पाकिस्तान के या फिर यूं कहें कट्टरता के हमदर्दों की मदद से शेख हसीना सरकार की जड़ों को हिलाने का प्लान तैयार किया। जिसमें मोहरे बने बांग्लादेश के छात्र। पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने सामने: फिलहाल बांग्लादेश में जो हिंसा हो रही है उसमें सिर्फ पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने सामने नहीं। छात्रों के विरोध की आड़ में कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी बांग्लादेश सड़कों पर उतर आया है जिसके जवाब में सत्ताधारी आवामी लीग के समर्थक भी सड़कों पर हैं। जगह जगह दोनों गुटों में भी संघर्ष हो रहा है।ज्यादातर मौतों की वजह इस टकराव को ही बताया जा रहा है। प्रदर्शन को उकसाने और हिंसक बनाने में जिस कट्टर संगठन जमात ए इस्लामी बांग्लादेश का हाथ है वो जितनी नफरत शेख हसीना और उनकी पार्टी से करता है। उससे कहीं ज्यादा बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं और हिंदुस्तान से करता है।और फिलहाल ये कट्टर संगठन आईएसआई के हाथों की कठपुलती बना हुआ है। दावा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इन प्रदर्शनों को हवा दे रही है, मदद कर रही है। शेख हसीना भारत समर्थक हैं क्या इसलिये पाकिस्तान साजिशें कर रहा है? बांग्लादेश में कट्टर इस्लामिक ताकतें पाकिस्तान के इशारे पर अराजकता और अस्थिरता फैला रही है। क्योंकि जब से आवामी लीग सत्ता में आई है। जमात ए इस्लामी हाशिए पर जा रही है। आईएसआई के इशारे पर खून खराबा को बल देकर ऐसे में मौका मिलते ही जमात ने बांग्लादेश को अराजकता की आग में झोंक दिया। जमात ए इस्लामी बांग्लादेश वो संगठन है जिसने भारत की मदद से लड़ी गई बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में भी पाकिस्तान का साथ दिया था और अब जमात का ताकतवर छात्र संगठन बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिविर स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाले आरक्षण का हिंसक विरोध कर रहा है।शेख हसीना के संबोधन के बाद आईएसआई के इशारे पर इसी संगठन ने छात्रों के नाम पर खून खराबा और हिंसा शुरू कर दी। यही वजह है कि हिंसा पर शेख हसीना कंट्रोल नहीं कर पा​ईं और सेना को सड़कों पर उतारना पड़ा। शेख हसीना मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का आग्रह कर रही हैं। लेकिन पाकिस्तान परस्त जमात का छात्र संगठन इस वक्त का फायदा उठाकर मुल्क में आग लगा रहा है। इसीलिए माना जा रहा है बांग्लादेश में लगी आग इतनी आसानी से नहीं बुझने वाली। वैसे पाकिस्तान ढाका से लेकर लंदन तक कट्टरपंथ की इस आग को हवा दे रहा है। ढाका को पाकिस्तान के इशारे पर जलाया गया तो लंदन को वहां पर बसे पाकिस्तानी आग लगा रहे हैं। पाकिस्तानियों को बांग्लादेश की कट्टरपंथी शाखा का साथ मिल रहा है। बांग्लादेश की हिंसा 8 हज़ार किलोमीटर दूर ब्रिटेन भी पहुंच गई। ब्रिटेन के कुछ इलाकों में बांग्लादेशी सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करने लगे।ब्रिटेन में कई जगहों से तोड़-फोड़ की तस्वीरें आई हैं। क्या बांग्लादेशी हिंसक होते जा रहे हैं। बांग्लादेश को जलाने वाली कट्टरता: तस्वीरें दुनिया को उस कट्टरता से सावधान कर रहीं हैं जिस पर उस वक्त​ दुनिया का ध्यान नहीं जाता जब ये हिंदुओं को पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक झुलसाती है।लेकिन अब दुनिया की आंखें खुलेंगी और उनको वो तस्वीरें भी याद आएंगी जब बांग्लादेश को जलाने वाली कट्टरता की आग ढाका में हिंदुओं के घर जला रही थी। बांग्लादेश में सिविल वॉर जैसी तस्वीरें देखकर दुनिया टेंशन में है। पर वहां हर दिन हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा पर ना तो शेख हसीना सरकार ने एक्शन लिया और ना ही यूएन या किसी महाशक्ति ने उनके दुख-दर्द को बांटने की कोशिश की। अगर बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ ऐसा ही चलता रहा तो अगले कुछ सालों बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। करीब 10 दिन पहले बांग्लादेश की राजधानी ढाका की मीरांजिला कॉलोनी में कट्टरपंथियों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। ये तस्वीर देखकर साफ है कि हमारे पड़ोस में हिंदुओं का कोई भविष्य नहीं है।कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के घरों..और मंदिरों पर पत्थरबाजी करके तोड़फोड़ की। हैरानी की बात है कि बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं ने इस हिंदू बहुल इलाके में अटैक करवाया ।ऐसा लगता है मानो बांग्लादेश के हिंदू जीतेजी नर्क की पीड़ा भुगत रहे है। बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं है। कट्टरपंथी पार्टियां अक्सर वहां के हिंदुओं पर अत्याचार करती हैं।कई बार तो राजनीतिक दल मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लि हिंदुओं पर हमले करवा देते हैं. बांग्लादेश पर आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में 1000 से ज्यादा अल्पसंख्यकों को टारगेट किया गया। जिसमें हिंदू भी शामिल हैं।पिछले कुछ दशकों से ढाका में कट्टरपंथी मजबूत क्यों हो रहे हैं?स्टोरी का अगला चैप्टर और भी ज्यादा दर्दनाक: हिंदुओं से बांग्लादेश की हेट स्टोरी का अगला चैप्टर और भी ज्यादा दर्दनाक है। इस समय बांग्लादेश में एक करोड़ सत्तर लाख हिंदू रहते हैं। पर 2040 तक बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। कट्टरता वो कीड़ा है जो किसी भी कौम के दिमाग में घुस जाए तो पहले दूसरों को तबाह करता है बाद में उस कौम की जड़ों को भी खोखला कर देता है। पाकिस्तान की बर्बादी दुनिया के लिए एक उदाहरण है लेकिन उसी की राह पर चलते हुए बांग्लादेश में पनपी कट्टरता दीमक की तरह इस मुल्क को सफाचट करने पर आमादा है। पड़ोसी बांग्लादेश में अस्थिरता का असर भारत पर भी पड़ेगा। इसलिए बांग्लादेश की हिंसा भारत में भी हेडलाइंस है। कहने तो ये आग आरक्षण के विरोध में लगी है। लेकिन बांग्लादेश के साथ साथ दुनिया भी ये नहीं समझ पाई हिंसा की जिस आग में ये मुल्क जल रहा है। उसी आग से कट्टर ताकतों ने पहले बांग्लादेशी हिंदुओं को भी जलाया। बांग्लादेश को भस्म करने पर आमादा कट्टरता की इस आग के बारे में जानना भारतीयों के लिए भी ज़रूरी है। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में स्थिति हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा विस्फोटक बनती जा रही है। किसी ने नहीं सोचा था कि आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ एक विरोध प्रदर्शन इस तरह से हिंसक हो जाएगा। आलम यह चल रहा है कि युवाओं के हाथ में तलवारें आ चुकी हैं,वे सेना और पुलिस से ही लड़ने के लिए आतुर दिखाई पड़ रहे हैं। दूसरी तरफ हसीना सरकार ने भी अब देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए हैं। 100 से ज्यादा लोग मर चुके हैं, कई घायल हैं, लेकिन स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही। रिहायशी इलाकों तक पहुंची सेना: बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि युवाओं की यह नाराजगी शेख हसीना की सरकार को भारी पड़ सकती है, यहां तक कहा जा रहा है कि अगर जल्द सबकुछ ठीक नहीं हुआ तो यह देश गृहयुद्ध की ओर जा सकता है। बांग्लादेश में कई सालों बाद देखा जा रहा है कि रिहायशी इलाकों में भी सेना की गाड़ियां दौड़ रही हैं। खबरें तो ऐसी भी आ रही हैं कि पुलिस बेकाबू भीड़ को काबू करने के लिए उन्हें कुचला तक है। वैसे ये तो ना शेख हसीना ने सोचा था ना ही बांग्लादेश की जनता ने कि मुल्क में अपने ही लोगों से निपटने के लिए मिलिट्री हेलीकॉप्टर उतारे जाएंगे। बख्तरबंद गाड़ियां सड़कों पर इधर उधर भागेंगी। ढाका के बीचो बीच मेट्रो को आग के बीच से दौड़ते देखना पड़ेगा।सरकारी चैनल के हेडक्वार्टर को आग लगा दी जाएगी। इंटरनेट बंद और टीवी प्रसारण को ब्लैक आउट करना पड़ेगा। लेकिन जो नहीं सोचा था हो वही रहा है क्रिकेट खेलने वाले इस देश में रनों की तरह मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए: बांग्लादेश में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए। बांग्लादेश प्रदर्शनकारियों ने सरकारी टीवी चैनल के मुख्यालय में आग लगा दी।लगातार ढाका सहित सभी जगहों से सेना और प्रदर्शनकारियों की झड़प की खबरें आ रही है। क्या अब मामला शेख हसीना के कंट्रोल से बाहर होता जा रहा है? हिंसा वाली आफ़त आरक्षण के विरोध का लबादा ओढ़कर बांग्लादेश के ऊपर टूटी जिसने मुल्क की स्थिति बद से बदतर कर दी। बड़ी हिंसा की वजह क्या: फिलहाल बांग्लादेश में छात्रों की मांग है बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण ख़त्म हो।जो फिलहाल 56 प्रतिशत है। और इस आरक्षण का 30 प्रतिशत हिस्सा उन स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को मिलता है जिन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने के लिए शेख मुजीबुर्रहमान के आंदोलन में हिस्सा लिया था। बांग्लादेश में बड़ी हिंसा की वजह क्या है। आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों की डिमांड क्या है? क्यों पूरे बांग्लादेश में जानलेवा विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं? प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों को समझाने के लिए सरकारी टीवी पर एक इंटरव्यू दिया जिसने छात्रों के गुस्से को और बढ़ा दिया। हिंसा आउट आफ कंट्रोल: और इसके बाद जो हिंसा शुरू हुई वो आउट आफ कंट्रोल होती चली गई। ये वो कहानी है जो बांग्लादेश के एक मौलाना ने खुल्लमखुल्ला ऐलान किया है कि 15 सालों के बाद बांग्लादेश सौ फीसदी मुस्लिम मुल्क बन जाएगा। मौलाना नूर हसन, बांग्लादेशी मौलाना का कहना है कि हम 2040 तक बांग्लादेश को इस्लामी राष्ट्र बना लेंगे इंशाल्लाह। याद रखना यह, मैं लंबी बात करके नहीं जा रहा हूं. जो बताना है राष्ट्रीय स्तर पर बताएंगे। 2040 के बाद बांग्लादेश में इस्लाम छोड़कर और कुछ नहीं रहेगा इंशाल्लाह।आस-पास के देशों में देखें तो अफगानिस्तान से पहले ही हिंदुओं का पलायन हो चुका है।पाकिस्तान को हिंदुओं से नफरत है और अब बांग्लादेश ने इन दोनों इस्लामिक देशों से लीड लेने की तैयारी की है। बांग्लादेशी कट्टरपंथियों ने हिंदुओं को खत्म करने में पाकिस्तान को भी पीछे छोड़ दिया..बांग्लादेश में अगले 15 सालों में सभी हिंदुओं को मिटाने की प्लानिंग है..ऐसा टारगेट तो आजतक खुद पाकिस्तान ने भी सेट नहीं किया..पाकिस्तान में आजादी के 77 साल बाद भी गलती से ही सही लेकिन कुछ हिंदू बचे हुए हैं। बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के कैलेंडर में हिंदुओं को टारगेट करने के लिये सांप्रदायिक हिंसा के दिन तय हैं..हर साल दुर्गापूजा में मुस्लिम कट्टरपंथी तोड़फोड़ और आगजनी जरूर करते हैं..कई जगहों पर हिंदुओं ने तंग आकर मूर्ति की स्थापना और पूजा के पांडाल लगाना ही बंद कर दिया और वहां के कट्टरपंथियों का टारगेट यही है..ये हालात बदलने की कोई उम्मीद भी नहीं है..क्योंकि बांग्लादेश में कोई भी पार्टी ना तो हिंदुओं के लिये खुलकर कोई ऐलान करती है और ना ही उनको मदद देती है।.बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना की पार्टी खुद को एकमात्र सेकुलर पार्टी कहती है। पर ऐसे बयान कट्टरपंथियों के सामने बेअसर दिखते हैं। भारत समर्थक शेख हसीना की पार्टी खुद को बांग्लादेश की एकमात्र सेकुलर पार्टी कहती है।लेकिन वो भी कट्टरपंथियों को आश्रय देती है..उनकी समर्थक है..ऐसे हालात में बांग्लादेश में बचे हुए हिंदुओं का क्या भविष्य है? साल 1971 में हिंदुस्तान की सेना ने पाकिस्तान से जंग लड़कर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करवाया।फिर एक नये राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ। और जिस बांग्लादेश की जनता को हिंदुस्तानी सेना ने आजादी का गिफ्ट दिया।वहां रोज हिंदुओं पर अत्याचार के नये रिकॉर्ड बन रहे हैं। दुनिया में ऐसा बहुत कम हुआ जब किसी एक देश ने दूसरे मुल्क को आजाद करने के लिये बिना किसी स्वार्थ के जंग लड़ी हो।1971 के युद्ध में बांग्लादेश को बनाने में भारत के 3800 से ज्यादा सैनिकों ने सबसे बड़ा बलिदान दिया..और अब वही बांग्लादेश हिंदू विरोधी कट्टरपंथियों का गढ़ बन चुका है।1971 में हिंदुस्तान की सेना से मदद लेकर ही बांग्लादेश आज़ाद हुआ।लेकिन अब वहां के लोग हिंदुओं के ही दुश्मन बन गये हैं।सिर्फ 53 सालों में ही इतना बड़ा बदलाव कैसे हो गया?बांग्लादेश में विरोध-प्रदर्शन के पुराने विजुअल लगाएंगे।तालिबान के लिये – लादेन के लिये वहां प्रदर्शन हुए। आजादी के बाद अगले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में सऊदी अरब की फंडिंग से मदरसे और मस्जिदें बनने लगीं।उदारवादी इस्लाम धीरे-धीरे कट्टरपंथी ताकतों के प्रभाव में आ गया।.और पिछले दो दशकों में रेडिकल इस्लामिक संगठनों की वजह से वहां के नेता और जनता दोनों हिंदुओं को अपना दुश्मन मान चुके हैं। असर वहां की जनसंख्या में भी दिख रहा है। 2011 में बांग्लादेश की कुल जनसंख्या में 10 प्रतिशत हिंदू थे जो 2022 में घटकर 8 फीसदी रह गये..यानी सिर्फ 11 सालों में ही बांग्लादेश की जनसंख्या में हिंदुओं का आंकड़ा 2 प्रतिशत कम हो गया।इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश में चुनाव हुए।इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने मिलकर इंडिया आउट का मुद्दा उछाला। भारतीय सामानों का बायकॉट करने की कोशिशें हुई..बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश हुई. सोशल मीडिया पर बाकायदा भारत विरोधी अभियान चलाये गये।ऐसी कोशिशों को पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी पार्टियों। और संगठनों से भी मदद मिलती है..हालांकि कट्टरपंथ के रास्ते पर चलनेवाला बांग्लादेश जल रहा है..और लपटों में घिरा बांग्लादेश अपने पड़ोसियों के लि चिंता का कारण बन गया है। कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने की वजह से ही बांग्लादेश की आर्थिक रफ्तार धीमी हो गई। नौकरियां पहले से कम हुई। छात्रों में गुस्सा है और शेख हसीना सरकार चीन से मदद लेने के लिये हाथ फैला रही है। कुल मिलाकर बांग्लादेश दूसरा पाकिस्तान बनने के लिये तैयार है और वो कट्टरपंथ के रास्ते पर इतना आगे बढ़ गया कि अब उसका वापस लौटना नामुमकिन दिख रहा है। रिपोर्ट अशोक झा

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