श्रीमद् भागवत कथा: भगवान के रूप अलग-अलग है लेकिन भगवान एक ही है: व्यास केशव कृष्ण महाराज
रविवार को नंदोत्सव का होगा आयोजन, गाई जाएगी बधाईयां
श्रीमद् भागवत कथा: भगवान के रूप अलग-अलग है लेकिन भगवान एक ही है: व्यास केशव कृष्ण महाराज
– रविवार को नंदोत्सव का होगा आयोजन, गाई जाएगी बधाईयां
अशोक झा, सिलीगुड़ी: डालमिया परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आज तीसरा दिन है। आज भगवान नरसिंह और बावन अवतार को विस्तार से बताया। भक्त भाव विभोर हो गए। कहा की भगवान की कृपा जाति, वेष और धर्म के आधार पर नहीं बरसती बल्कि भगवान का आप कितना भजन करते हो। कितनी भक्ति करते हो इसके आधार पर भगवान की कृपा बरसती है। भगवान हमेशा भाव के भूखे होते हैं। जो भगवान से प्रेम करते हैं उन्हें कभी भी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान के रूप अलग-अलग है लेकिन भगवान एक है। यह बात सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार की शाम को कथा व्यास केशव कृष्ण महाराज ने कही। भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद को दैत्य हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए इस रूप में प्रकट हुए। ये अवतार प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए शाम को भगवान नरसिंह की विशेष पूजा होती है। इस बार सिद्धि योग बनने से ये पर्व और खास रहेगा।।कथा के मुताबिक दैत्य हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था, इसलिए प्रहलाद पर अत्याचार होते थे। कई बार मारने की कोशिश भी की गई। भगवान विष्णु अपने भक्त को बचाने के लिए खंबे से नरसिंह रूप में प्रकट हुए। इनका आधा शरीर सिंह का और आधा इंसान का था। इसके बाद भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को मार दिया। ये अवतार बताता है कि जब पाप बढ़ता है तो उसको खत्म करने के लिए शक्ति के साथ ज्ञान भी जरूर होता है। ज्ञान और शक्ति पाने के लिए भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखते हुए ही उन्हें पवित्रता और ठंडक के लिए चंदन चढ़ाते हैं।भगवान नरसिंह की पूजा से जुड़ी बातें: भगवान नरसिंह की विशेष पूजा संध्या के समय की जानी चाहिए। यानी दिन खत्म होने और रात शुरू होने से पहले जो समय होता है उसे संध्याकाल कहा जाता है। पुराणों के अनुसार इसी काल में भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे। भगवान नरसिंह की पूजा में खासतौर से चंदन चढ़ाया जाता है और अभिषेक किया जाता है। ये भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है। इसलिए इनका गुस्सा शांत करने के लिए चंदन चढ़ाया जाता है। जो कि शीतलता देता है। दूध, पंचामृत और पानी से किया गया अभिषेक भी इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए किया जाता है। पूजा के बाद भगवान नरसिंह को ठंडी चीजों का नैवेद्य लगाया जाता है। इनके भोग में ऐसी चीजें ज्यादा होती हैं जो शरीर को ठंडक पहुंचाती हैं। जैसे दही, मक्खन, तरबूज, सत्तू और ग्रीष्म ऋतुफल चढ़ाने से इनको ठंडक मिलती है और इनका गुस्सा शांत रहता है।
क्यों लिया ऐसा अवतार: आधा शरीर इंसान और आधा शेर
सिलीगुड़ी में कई दिनों से काफी गर्मी है। लेकिन आज नरसिंह रूप और बावन स्वरूप का वर्णन आया झमाझम बारिश ने शहर को सराबोर कर दिया। व्यास केशव कृष्ण ने कहा की नरसिंह रूप भगवान विष्णु का रौद्र अवतार है। ये दस अवतारों में चौथा है। नरसिंह नाम के ही अनुसार इस अवतार में भगवान का रूप आधा नर यानी मनुष्य का है और आधा शरीर सिंह यानी शेर का है। राक्षस हिरण्यकश्यप ने भगवान की तपस्या कर के चतुराई से वरदान मांगा था। जिसके अनुसार उसे कोई दिन में या रात में, मनुष्य, पशु, पक्षी कोई भी न मार सके। पानी, हवा या धरती पर, किसी भी शस्त्र से उसकी मृत्यु न हो सके।इन सब बातों को ध्यान में रख भगवान ने आधे नर और आधे मनुष्य का रूप लिया। दिन और रात के बीच यानी संध्या के समय, हवा और धरती के बीच यानी अपनी गोद में लेटाकर बिना शस्त्र के उपयोग से यानी अपने ही नाखूनों से हिरण्यकश्यप को मारा। उन्होंने कहा कि आप कितने ही धनवान क्यों न हो और आप कितने ही सुंदर क्यों न हो लेकिन भगवान के लिए भक्ति होना बहुत जरूरी है। भगवान के लिए जाति, वेष और धर्म से कुछ मतलब नहीं है उन्हें तो केवल जो सच्चे मन से पुकारता है वह महत्व रखता हैं। आप कितनी भगवान की भक्ति करते हो और कितना भगवान का भजन करते हो यह सब कुछ भगवान देखते हैं न कि आपकी जाति, वेष और धर्म, जो भगवान को सच्चे मन से पुकारते हैं और भगवान का भजन ज्यादा से ज्यादा करते हैं उन पर भगवान की कृपा बरसती है। जो भगवान को हमेशा समर्पित रहते हैं उन्हें कभी भी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान प्रतीक्षा तो कराते हैं लेकिन भगवान को सच्चे मन से पुकारो तो वह चले आते है, कहा भी गया है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। निस्वार्थ सेवा कोई नहीं करता, कैमरे पर आना जरूरी: कथा व्यास महाराज ने कहा कि आज के समय में कोई भी व्यक्ति निस्वार्थ सेवा नहीं करता है। जब तक वह कैमरे पर नजर न आ जाए तो सेवा करना भी अच्छा नहीं समझते हैं। आज कल कोई भी व्यक्ति कोई सा भी कार्य करता है तो वह कैमरे में जरूर आना चाहता है। उन्होंने कहा कि हर किसी को भगवान की सेवा करने का मौका नहीं मिलता है, भगवान स्वयं व्यक्ति का चयन करते है कि इस कार्य के लिए कौन सा व्यक्ति उपयुक्त है। आप तो केवल निमित्त मात्र हैं सब कुछ करने वाला भगवान है। हर किसी को खुश करना नामुमकिन : कथा व्यास केशव कृष्ण महाराज ने कहा कि आज के दौर में भाई-भाई एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं। और तो और कोई भी व्यक्ति सभी को खुश नहीं कर सकता है। आप कितना ही अच्छा कार्य कर लो लेकिन आप सभी व्यक्ति को खुश नहीं कर सकते हो। बावन अवतार को लेकर केशव कृष्ण महाराज ने कहा की भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र को स्वर्ग पर पुनः अधिकार प्रदान करने के लिए वामन अवतार लिया। ऋषि कश्यप और देव माता अदिति के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ने एक बौने ब्रह्मण के रूप में जन्म लिया। इन्हें ही वामन अवतार के नाम से जाना जाता है, ये विष्णु जी का पांचवा अवतार थे। कथा के अनुसार जब असुरराज बलि ने अपने तपोबल और पराक्रम से तीनों लोक पर अधिकार कर लिया। तो हारे हुए देवराज इंद्र ने स्वर्ग पर पुनः अधिकार प्राप्त करने के लिए विष्णु जी से प्रार्थना की। विष्णु जी ने इंद्र की प्रार्थना स्वीकार करके वामन अवतार लिया और बटुक वामन के रूप में राजा बलि के पास दान मांगने के लिए प्रस्तुत हुए।असुर राज बलि, विष्णु भक्त प्रहलाद के पौत्र थे और अपनी वचनबद्धता तथा दान प्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। इसलिए भगवान विष्णु ने असुर राज से बटुक वामन के रूप में तीन पग भूमि का दान मांगा। असुरों के गुरू शुक्राचार्य को इसमें छल का आभास था, उन्होंने राजा बलि को दान देने से मना किया। लेकिन अपने दान के प्रति कर्तव्य को देखते हुए असुर राज ने तीन पग भूमि दान देना स्वीकार कर लिया। तब वामन देव ने अपना विराट रूप दिखाते हुए दो पग में ही तीनों लोक की भूमि नाप ली और असुर राज से तीसरा पग रखने के लिए भूमि की मांग की। राजा बलि ने वचन निभाते हुए वामन देव को तीसरा पग रखने के लिए अपना सिर प्रस्तुत कर दिया। वामन देव का पग सिर पर पड़ते ही राजा बलि पाताल लोक में चले गए। वामन देव ने असुर राज की दान प्रियता से प्रसन्न होकर उन्हें पाताल लोक पर अनंत काल तक राज करने आशीर्वाद प्रदान किया। रविवार को नंद उत्सव में गूंजेमान होगा अग्रसेन भवन। नंद उत्सव को लेकर भक्तों की ओर से अभी से तैयारी शुरू कर दी है।