राशन वितरण घोटाले में ईडी की बंगाल में एक साथ 10 स्थानों में छापामारी
कई बड़े लोग है इसमें शामिल उत्तर बंगाल से भी जुड़ा है मामला
अशोक झा, कोलकोता: ईडी ने राशन घोटाला मामले में मंगलवार को पश्चिम बंगाल में कम से कम 10 स्थानों पर छापेमारी की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने अनीसुर रहमान के आवास पर भी रेड डाली, जो नॉर्थ 24 परगना जिले के देगंगा क्षेत्र के टीएमसी ब्लॉक अध्यक्ष हैं।अनीसुर जेल में बंद पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के करीबी माने जाते हैं. ईडी ने तस्करी के कई मामलों में आरोपी बारिक विश्वास के आवास पर भी छापेमारी की. उन्हें भी मल्लिक का करीबी भी माना जाता है।एजेंसी द्वारा बशीरहाट, राजारहाट में उनके घर और कई चावल मिलों की तलाशी ली गई. इससे पहले कथित मवेशी तस्करी, कोयला तस्करी, सोना तस्करी के कई मामलों में उनका नाम आया था। उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा कई बार गिरफ्तार किया गया है. अब ईडी की छापेमारी के बाद कारोबारी बारिक बिस्वास का नाम राशन घोटाले में भी जुड़ रहा है। जांच अधिकारियों का मानना है कि बारिक बिस्वास ने अपने ईंट-पत्थर और सोने के कारोबार में भारी मात्रा में काला धन निवेश किया है, जो उन्होंने राशन घोटाले से कमाया था। ईडी ने बारिक बिस्वास की दो महंगी कारों की भी तलाशी ली है। ईडी सूत्रों का दावा है, राशन घोटाला मामले की जांच के दौरान, पता चला है कि ज्योतिप्रियो मल्लिक ने एक मजबूत नेटवर्क बनाकर यह स्कैम जारी रखा, जिसमें बशीरहाट के बारिक बिस्वास, संदेशखाली के शेख शाहजहां, देगंगा के बाकिबुर रहमान सहित कई ताकतवर लोग शामिल थे। यह नेटवर्क राशन घोटाले के अलावा जमीन सौदे, तस्करी समेत कई तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल है।केंद्रीय जांच एजेंसी शेख शाहजहां, बकीबुर रहमान, अनीसुर रहमान और बशीरहाट सीमा पर प्रसिद्ध तस्करी किंग बारिक बिस्वास के बीच नेटवर्क के दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए उनके ठिकानों पर यह कार्रवाई की।ईडी सूत्रों का दावा है कि उन्हें बाकिबुर और अनीसुर के खिलाफ पहले ही कई दस्तावेज मिल चुके हैं। जांच से ईडी को पता चला है कि इस प्रक्रिया में मुख्यतः दो प्रकार के फर्जी राशन कार्डों का उपयोग किया गया।
दो तरह से किया गया घोटाला:पहला प्रकार उन मृत व्यक्तियों के कार्ड थे, जिनके कार्ड राज्य खाद्य और आपूर्ति विभाग द्वारा रद नहीं किए गए थे। क्योंकि उनके रिश्तेदारों से इसकी सूचना नहीं मिली थी। दूसरा प्रकार उन लोगों के कार्ड थे, जो नए इलाके में स्थानांतरित हो गए थे और नए उचित मूल्य की दुकान में नामांकित हो गए थे। सूत्रों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति नए इलाके में नामांकित हो जाता है, तो उसके पुराने इलाके का कार्ड स्वतः रद हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत: सूत्रों ने बताया कि आपरेटरों ने राज्य खाद्य और आपूर्ति विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग से इन पुराने कार्डों को सक्रिय रखा। इन श्रेणियों के फर्जी कार्डों के खिलाफ भारी मात्रा में खाद्य सामग्री उठाई गई और उन वस्तुओं को खुले बाजार में प्रीमियम कीमतों पर बेचा गया। हाल ही में, राज्य खाद्य और आपूर्ति विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में उनके द्वारा रद्द किए गए राशन कार्डों का विवरण प्रस्तुत किया। विभाग ने यह भी जानकारी दी कि हर साल प्रति उचित मूल्य की दुकान पर रद किए गए फर्जी कार्डों का औसत कुल कार्डों का 10 से 15 प्रतिशत था।
बड़ी मात्रा में अनाज उठाए गए: हालांकि, सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कई मामलों में रद किए जाने की तारीख और व्यक्ति की मृत्यु या नए स्थान पर स्थानांतरण की तारीख के बीच काफी अंतर पाया है। इस अंतराल के दौरान, उन कार्डों के खिलाफ बड़ी मात्रा में अनाज उठाए गए। कुछ दुकानों में, रद किए गए कार्डों की संख्या उन कार्डों की संख्या से कम थी, जिन्हें रद किया जाना चाहिए था।