आज रात से मुहम्मद यूनुस संभालेंगे बांग्लादेश की बागडोर
शेख हसीना की पार्टी वापसी के लिए कर रही हर संभव प्रयास
भारत बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: मुहम्मद यूनुस को विश्व स्तर पर ‘माइक्रोफाइनेंस के जनक’ के रूप में जाना जाता है। गरीबी उन्मूलन के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।आज रात वह अंतरिम पीएम के रूप में बांग्लादेश की सत्ता संभालेंगे। वह आंदोलनकारियों से अपील किया है की वह हिंसा का रास्ता त्यागकर विकास के रास्ते आगे बढ़े। ओलंपिक खेलों के लिए पेरिस गए यूनुस दुबई से होते हुए स्वदेश लौटे हैं। यूनुस को लेकर अमीरात की उड़ान ईके-582 स्थानीय समयानुसार दोपहर 2:10 बजे हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी। सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां, वरिष्ठ अधिकारियों, छात्र नेताओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।
यूनुस ने युवाओं के प्रति आभार जताया: हवाई अड्डे पर संवाददाता सम्मेलन में यूनुस ने उन युवाओं के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने हसीना के खिलाफ आंदोलन को सफल बनाया। उन्होंने कहा, “हमें दूसरी बार आजादी मिली है। हमें इस आजादी की रक्षा करनी है। वही दूसरी अवामी लीग के नेताओं ने बांग्लादेश के गोपालगंज में यह बात कही है कि वह शेख हसीना को पूरे सम्मान के साथ देश में वापस लेकर आएंगे और तब तक वे सब शांत बैठने वाले नहीं है।
बीते रोज अवामी लीग के कार्यकर्ता गोपालगंज में जमा हुए। गोपालगंज के टुंगीपारा में शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का मकबरा है. यहां सभी ने कसम खाई कि वह अपनी नेता को वापस लाएंगे। अवामी लीग के गोपालगंज के जिला अध्यक्ष महबूब अली खान ने सभी को शपथ दिलवाई। पार्टी के महासचिव जीएम साहब उद्दीन आजम का कहना था कि वह तब तक राजनीतिक आंदोलन करते रहेंगे जब तक वे शेख हसीना और उनकी बहन शेख रिहाना को बांग्लादेश वापस नहीं ले आते। शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद ने कहा था कि हमारा परिवार अब राजनीति में वापसी नहीं करेगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि हमारे नेताओं को परेशान किया जा रहा है इसलिए वह चुप नहीं बैठेंगे। इससे ये लग रहा है कि शेख हसीना की वापसी हो सकती है। शेख हसीना के बेटे ने कहा कि अवामी लीग खत्म नहीं हुई है। वह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, जिसे मिटाना इतना आसान नहीं। साजिब वाजेद ने यह भी कहा था की शेख हसीना मरी नहीं हैं। हम बंगबंधु का परिवार है। हम कहीं नहीं गए। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश से भाग चुकीं शेख हसीना लोकतंत्र बहाल होते ही देश में वापस आ जाएंगी, उनके बेटे साजिब वाजेद जॉय ने गुरुवार को कहा और देश में चल रही अशांति को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को जिम्मेदार ठहराया।साजीब वाजेद के मुताबिक प्रधानमंत्री शेख हसीना प्रदर्शनकारियों का खून अपने हाथों पर नहीं चाहती थी, इसलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।इस्तीफे देने से पहले की बात:उन्होंने कहा, “इस्तीफा देने से एक दिन पहले, मैंने उनसे बात की और उन्होंने कहा कि वह और अधिक रक्तपात नहीं चाहती और अपने हाथों पर प्रदर्शनकारियों का खून नहीं चाहतीं.” साथ ही पूरे बांग्लादेश में चल रही हिंसा को असंवैधानिक करार देते हुए सजीव वाजेद ने कहा, “दुर्भाग्य से, यह पूरी स्थिति अब असंवैधानिक है. बांग्लादेश में, कोई कानून-व्यवस्था नहीं है, पूरे देश में दंगे, लूटपाट और बर्बरता हो रही है। जानें किसने भड़ाई हिंसा, मेरी मां को मार डालते। इसी बातचीत में वाजेद ने पश्चिमी देशों में सक्रिय बांग्लादेश के विरोधी समूहों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “कुछ पश्चिमी समूह विरोध को भड़काते रहे, प्रदर्शनकारी पीएम आवास पर मार्च कर रहे थे और मेरी मां देश नहीं छोड़ना चाहती थी. मैंने उनसे बात की और उन्हें देश छोड़ने के लिए आश्वस्त किया. अगर वह ऐसा नहीं करतीं तो प्रदर्शनकारी उन्हें मार डालते। प्रदर्शनकारी को गोली मारने के नहीं दिए आदेश
साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि बांग्लादेश में फैली हिंसा के बावजूद उनकी मां ने आदेश दिया था कि प्रदर्शनकारियों पर गोली नहीं चलाई जानी चाहिए. वह आगे कहते हैं, “मेरी मां ने पुलिस और सेना को आदेश दिया था कि प्रदर्शनकारियों को नहीं मारना है. इसलिए जब प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास पर मार्च किया, तो सेना ने ढाका की सीमाओं पर बैरिकेड लगाए, सेना ने हवा में गोलीबारी की. उन्हें प्रदर्शनकारियों पर गोली न चलाने का निर्देश दिया गया था।राष्ट्र के नाम संदेश देना चाहती थीं शेख हसीना
बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शेख हसीना चाहती थीं कि अपने पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने से पहले वह राष्ट्र के नाम अपना संदेश दें. वह इसे रिकॉर्ड करना चाहती थीं. लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाईं. उनकी सुरक्षा में तैनात अधिकारियों ने उन्हें बताया कि प्रदर्शनकारी अगले 45 मिनट में शाहबाग से गण भवन तक पहुंच जाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो उनका यहां से निकल पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. शेख हसीना ने सुरक्षाकर्मियों की बात मानी और वह अपनी बहन के साथ तेजगांव के पुराने हवाई अड्डे स्थित हेलीपैड पर पहुंचीं. जहां से वह भारत के लिए उड़ान भर ली।हिंसा में जल रहा बांग्लादेश:
पिछले सोमवार को बांग्लादेश में भीड़ ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी व उसके आसपास के इलाकों में आगजनी, तोड़फोड़ की जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई. इसके अलावा राजधानी में लगे शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी तोड़ दिया गया. पूरे देश में दंगा फैला हुआ है।आरक्षण के नाम पर फैली हिंसा: बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए देश की तमाम सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण के विरोध में एक जुलाई से प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों ने की थी. पांच जून को ढाका हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को आरक्षण को फिर से लागू करने का आदेश दिया था। बांग्लादेश में 30 फीसदी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों के अलावा पौत्र-पौत्रियों के लिए, प्रशासनिक जिलों के लोगों के लिए 10 फीसदी, महिलाओं के लिए 10 फीसदी, जातीय अल्पसंख्यक समूहों को 5 फीसदी और विकलांगों को 1 फीसदी आरक्षण नौकरियों में दिया जा रहा है. इसके अलावा बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं, विकलांगों और जातीय अल्पसंख्यक लोगों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है। इस रिजर्वेशन सिस्टम को 2018 में वहां की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निलंबित कर दिया गया। इस निलंबन के बाद इस तरह के विरोध प्रदर्शन पूरे देश में रूक गए थे।