पंडित हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा के चबूतरे को प्रशासन ने ढहाया

पंडित हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा के चबूतरे को प्रशासन ने ढहाया

 उप्र पूर्व मंत्री स्वर्गीय पंडित हरिशंकर तिवारी के गोरखपुर जिले में पैतृक गांव टाड़ा में उनकी प्रतिमा लगाने के लिए बनाए जा रहे चबूतरे को बुधवार दोपहर में प्रशासन ने बुलडोजर से ढहा दिया।

एसडीएम गोला के नेतृत्व में कार्रवाई करने गई टीम को ग्रामीणों का विरोध भी झेलना पड़ा। काफी देर तक प्रशासन और ग्रामीणों के बीच नोकझोंक होती रही। प्रशासन का कहना है कि बिना अनुमति सार्वजनिक भूमि पर प्रतिमा लगाई जा रही थी। पांच अगस्त को पंडित हरिशंकर तिवारी की 88वीं जयंती है। इसे लेकर क्षेत्र के उद्योगपति प्रेम सागर तिवारी, प्रधान दयाशंकर तिवारी, राहुल तिवारी, मोनू समेत अन्य के सुझाव पर टाड़ा गांव के प्रवेश द्वार के बगल में निजी खर्च से प्रतिमा स्थापित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का निर्णय लिया गया था।
प्रधान दयाशंकर तिवारी की मानें तो ग्राम पंचायत ने प्रतिमा लगाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। 21 जुलाई को टांडा गांव के डॉ. राजा वशिष्ठ त्रिपाठी ने उपजिलाधिकारी गोला को पत्रक देकर सार्वजनिक भूमि पर प्रतिमा स्थापना करने पर विरोध जताया। ग्रामीणों का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते उपजिलाधिकारी और तहसीलदार फोर्स लेकर बुलडोजर के साथ पहुंचे और चबूतरे को गिरवा दिया।
पंडित हरिशकंर तिवारी के पुत्र चिल्लूपार के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी ने कहा कि यह राजनीतिक अराजकता और प्रशासनिक ज्यादती है। यह सत्ता के अहंकार की निकृष्ट पराकाष्ठा है। व्यक्तिगत शत्रुता के चलते ब्राह्मण स्वाभिमान को चुनौती दी गई है। इसका निर्णय समय आने पर चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र और प्रदेश के लोग करेंगे। अपने सहयोगियों, समर्थकों से धैर्य और शांति बनाए रखने की अपील करते हुए विनय शंकर तिवारी ने कहा कि इस अनीति का उत्तर जरूर दिया जाएगा, लेकिन कानून-व्यवस्था और मर्यादा की परिधि में रहकर।
तहसीलदार गोला बृजनंदन शुक्ल ने बताया कि ग्राम सभा की जमीन को घेरकर चबूतरा निर्माण कराने की शिकायत पर जांच की गई थी। गांव में 065 हेक्टेयर बंजर जमीन को घेरकर चबूतरा बनाया जा रहा था। ग्राम प्रधान से कहा गया कि बिना अनुमति चबूतरा का निर्माण हटवा लें। बार-बार निर्देश के बावजूद भी ग्राम प्रधान ने उक्त अवैध निर्माण को न तो रोका और न ही हटवाया। एक सप्ताह बाद अतिक्रमण को हटवा दिया गया। ग्राम प्रधान से कहा गया है कि प्रतिमा स्थापित करना है तो नियमानुसार आवेदन करें। शासन स्तर से निर्णय के बाद ही कार्रवाई किया जायेगा।

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