बंगाल में पूरे राजकीय सम्मान के साथ निकाली जाएगी अंतिम यात्रा, सीएम ने किया छुट्टी की घोषणा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि पूरे सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। बता दें कि बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री का निधन उनके आवास पर हुआ। प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने इसकी जानकारी दी। वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पोस्ट में कहा, “पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन के बारे में सुनकर दुखी हूं। वह एक राजनीतिक दिग्गज थे, जिन्होंने प्रतिबद्धता के साथ राज्य की सेवा की। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।”असम के सीएम ने भी शोक जताया
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुखी हूं। एक दिग्गज नेता, विधायक, मंत्री और फिर मुख्यमंत्री के रूप में पांच दशकों से अधिक के उनके व्यापक अनुभव ने एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना। ओम शांति।”बंगाल में भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री के निधन के बारे में जानकर दुखी हूं। बुद्धदेव भट्टाचार्य अपने स्वर्गीय निवास के लिए प्रस्थान कर गए हैं। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले। ओम शांति।भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन से बहुत दुखी हूं। इस दुख के समय में उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं। मैं ईश्वर से उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रर्थना करता हूं।अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा, “पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन से काफी दुखी हूं। एक विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में उनके पांच दशकों से अधिक के कार्यकाल ने एक स्थायी विरासत छोड़ी है। डिप्टी सीएम चाउना मीन ने भी बंगाल के पूर्व सीएम के निधन पर शोक व्यक्त किया।बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन से दुखी है ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट किया। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के अचानक विधन से हैरान और दुखी हूं। मैं उन्हें पिछले कुछ दशकों से जानती हूं और जब वह बीमार थे, तब उनसे कई बार मिलने भी गई थी। दुख की इस घड़ी में मीरा दी और सुचेतन के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।” उन्होंने सीपीआई(एम) पार्टी के प्रति भी संवेदना व्यक्त की।ईमानदारी और सादगी के लिए मशहूर बुद्धदेव धोती-पंजाबी और कोल्हापुरी चप्पल पहनने वाले एक टिपिकल ‘बंगाली भद्र लोक’ के तौर पर देखे जाते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने आज सुबह आखिरी सांस ली। बुद्धदेव का जन्म उत्तर कोलकाता में एक मार्च, 1944 को हुआ था। उनके पूर्वजों का मूल निवास वर्तमान बांग्लादेश था। श्यामपुकुर इलाके के शैलेंद्र सरकार विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज में बंगाली साहित्य में स्नातक किया। हालांकि, सुकांत भट्टाचार्य के भतीजे होने के बावजूद बुद्धदेव प्रारंभ में छात्र राजनीति से अधिक जुड़े नहीं थे। उन्होंने कबड्डी और क्रिकेट खेला, लेकिन आंखों की समस्या के कारण क्रिकेट छोड़ना पड़ा। क्रिकेट के प्रति उनकी दीवानगी उन्हें सौरव गांगुली के साथ दोस्ती तक ले गई। वामपंथी परिवार में पले-बढ़े बुद्धदेव पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद 1964 में सीपीआई से टूटकर सीपीएम (मार्क्सवादी) बनी और 1966 में बुद्धदेव सीपीएम के सदस्य बने। पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने मुख्य रूप से पार्टी की पत्रिकाओं का संपादन और लेखन का काम संभाला। 1977 में पहली बार काशीपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर वे राज्य मंत्रिमंडल में शामिल हुए। 1982 के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद, 1987 में यादवपुर से जीतकर उन्होंने सूचना और संस्कृति विभाग का कार्यभार संभाला। 2000 में, ज्योति बसु के मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने के बाद, वे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने और 2011 में राज्य में सत्ता परिवर्तन तक इस पद पर रहे। बुद्धदेव ने राज्य को औद्योगीकरण की ओर ले जाने का सपना देखा था। 2006 में सिंगूर में टाटा के कारखाने की घोषणा की, लेकिन जमीन अधिग्रहण को लेकर विवादों में घिर गए। नंदीग्राम में 2007 में हुई हिंसा में 14 ग्रामीणों की मौत ने उनके प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए। 2009 के लोकसभा चुनाव में वाम मोर्चे की हार और 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत ने बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव लाया। सत्ता से बाहर होने के बाद बुद्धदेव का स्वास्थ्य गिरता गया और वे धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन से दूर होते गए। 2019 में ब्रिगेड रैली में आखिरी बार वे सार्वजनिक रूप से देखे गए। बुद्धदेव ने अपने जीवन में कई किताबें और नाटक लिखे। 2022 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान के लिए मनोनीत किया गया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। उनके निधन के साथ बंगाल ने एक कद्दावर नेता और सच्चे कामरेड को खो दिया है।