बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख आज आयेंगे भारत, बांग्लादेश में आंदोलनकारी चाहते है अपनी सरकार
बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हो रहे हमले और अत्याचार के बाद पीएम मोदी की चेतावनी के एक दिन बाद यानी आज खबर आई है कि बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस भारत के दौरे पर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यूनुस नई दिल्ली में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ के तीसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। बता दें कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुखिया बनने के बाद मोहम्मद यूनुस का यह पहला भारत दौरा होगा। गौरतलब है कि इससे पहले गुरुवार की दोपहर मोहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर भी बात की। यूनुस से फोन पर बातचीत की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर दी है। उन्होंने लिखा है, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से फोन पर बात की। मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, संरक्षण और संरक्षा का आश्वासन दिया। वही दूसरी ओर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ करने वाले छात्र प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश की दो मुख्य राजनीतिक पार्टियों की जल्दी चुनावों की मांग को खारिज कर दिया है। आंदोलन करने वाले छात्र सुधारों को लागू करने के लिए अपनी खुद की पार्टी बनाने पर विचार कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के नेताओं की उम्मीद है कि पिछले 15 वर्षों की पुनरावृत्ति से बचा जाए। ग्लोबल साउथ समिट के निमंत्रण को यूनुस ने स्वीकारा
यूनुस (84) ने शनिवार को ढाका से ऑनलाइन माध्यम से ‘थर्ड वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ में शामिल होने के लिए भारतीय नेता के निमंत्रण को भी स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई थी कि हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में हालात जल्द ही सामान्य होंगे। उन्होंने कहा था कि 140 करोड़ भारतीय पड़ोसी देश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है और वह बांग्लादेश की विकास यात्रा में उसका शुभचिंतक बना रहेगा। ‘
हिंदू धर्म पर बांग्लादेश में हो रहे हमले
बांग्लादेश नेशनल हिंदू ग्रैंड अलायंस’ नामक एक गैर-राजनीतिक हिन्दू संगठन ने दावा किया है कि पांच अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से 48 जिलों में 278 स्थानों पर अल्पसंख्यक समुदाय को हमलों और धमकियों का सामना करना पड़ा है। संगठन ने इसे ‘हिंदू धर्म पर हमला’ करार दिया है। बांग्लादेश में अशांति के बीच इस महीने अल्पसंख्यक समुदाय के कई हिंदू मंदिर, मकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान नष्ट कर दिए गए। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि बातचीत के दौरान मोदी ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के प्रति भारत के समर्थन की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘‘मोदी ने विभिन्न विकास योजनाओं के माध्यम से बांग्लादेश के लोगों का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने यूनुस से कहा-सुनिश्चित हो हिंदुओं की सुरक्षा
प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व को भी रेखांकित किया।’’ यूनुस ने आश्वासन दिया कि अंतरिम सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी। बयान में कहा गया, ‘‘दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।’’ इस बीच, मुख्य सलाहकार कार्यालय से जारी एक संदेश में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री ने ‘‘घनिष्ठ मित्र के रूप में लोगों के फायदे के लिए’’ बांग्लादेश के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है तथा यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम करने की भी प्रतिबद्धता जताई है।
जब भारत के प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया तो यूनुस ने मोदी से कहा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों समेत देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यूनुस ने कहा, ‘‘छात्र आंदोलन के परिणामस्वरूप अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाला है। यह बांग्लादेश की दूसरी क्रांति है और उनकी सरकार छात्रों और लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को पूरा करेगी। 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के बाद से हिंसा के सबसे बड़े दौर में कम से कम 300 लोग मारे गए थे। पिछले तीन दशकों में से अधिकांश समय में बांग्लादेश पर या तो हसीना की अवामी लीग या उनकी प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का शासन रहा है। ये दोनों ही नेता 70 वर्ष से अधिक उम्र की हैं। आंदोलनकारी नेता महफूज आलम ने कहा कि छात्र नेता द्विआधारी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए एक राजनीतिक पार्टी बनाने पर चर्चा कर रहे हैं। महफूज आलम सरकार और शिक्षकों तथा कार्यकर्ताओं जैसे सामाजिक समूहों के बीच संपर्क स्थापित करने वाली समिति के अध्यक्ष हैं। 26 वर्षीय विधि छात्र महफूज़ ने रॉयटर्स को बताया कि इस बारे में लगभग एक महीने में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी मंच पर निर्णय लेने से पहले आम मतदाताओं से व्यापक रूप से परामर्श करना जरूरी है। उन्होंने कहा, “लोग वास्तव में दोनों राजनीतिक दलों से थक चुके हैं। उन्हें हम पर भरोसा है।हसीना को गिराने में मदद करने वाले एक अन्य छात्र समन्वयक तहमीद चौधरी ने कहा कि इस बात की “बहुत अधिक संभावना” है कि वे एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। वे अभी भी अपने कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह दल धर्मनिरपेक्षता और अभिव्यक्ति की आज़ाद पर आधारित होगा। 24 वर्षीय स्नातक छात्र चौधरी ने कहा, “हमारे पास कोई अन्य योजना नहीं है जो पार्टी बनाए बिना द्विआधारी को तोड़ सके।”
देश की अंतरिम सरकार में शामिल छात्र नेता 26 वर्षीय नाहिद इस्लाम ने कहा कि आंदोलन की भावना एक नया बांग्लादेश बनाने की थी, जहाँ कोई फासीवादी या तानाशाह वापस न आ सके। “यह सुनिश्चित करने के लिए हमें संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, जिसमें निश्चित रूप से कुछ समय लगेगा।” दूरसंचार विभाग का कार्यभार संभालने वाले इस्लाम ने कहा कि सरकार आवामी लीग और बीएनपी की ओर से जल्दी नए चुनाव कराने के आह्वान पर विचार नहीं कर रही है।