पेरिस पैरालंपिक में महाराष्ट्र की ज्योति गड़ेरिया से है मेडल की उम्मीदें

पेरिस पैरालंपिक में मिर्जापुर की ज्योति गड़ेरिया से है मेडल की उम्मीदें,विश्व की नं०2 साइकिलिस्ट पैरालंपिक 2024 में करेगी कमाल!
– पिता और मां मजदूरी कर चलाते है घर का खर्च
– महाराष्ट्र सरकार ने नहीं किया ज्योति के परिवार की मदद
– आदित्य जितेंद्र मेहता ने पहचानी थी प्रतिभा
– हैदराबाद में आदित्य मेहता फाउंडेशन ने ज्योति को दिलाई पहचान
– ज्योति ने कहा:देश के लिए करूंगी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
– पैरालंपिक में पहली बार शामिल होंगे भारतीय साइकिलिस्ट

Golden garl Jyoti Gadiriya :
पेरिस में खेले जा रहे ओलंपिक 2024 में महाराष्ट्र की साइकिलिस्ट ज्योति गड़ेरिया पेरिस पेरालंपिक 2024 में भाग लेने अपनी टीम दल के साथ 25 अगस्त को दिल्ली एयरपोर्ट से रवाना होगी।

मिर्जापुर:
पेरिस में 28 अगस्त से 8 सितंबर तक आयोजित होने वाली 17वीं पैरालंपिक में भारत की साइकिलिस्ट ज्योति गड़ेरिया से मेडल की काफी उम्मीदें हैं। क्योंकि वह इसकी हकदार है।अबतक भारत के लिए विदेशों में 12 पदक जीत चुकी है।ओलंपिक के इतिहास पर नजर डाले तो पहली बार दो भारतीय साइकिलिस्ट पैरालंपिक 2024 में शामिल हो रहे हैं।अपनी शानदार खेल प्रतिभा से विश्व रैंकिंग में नं०2 साइकिलिस्ट ज्योति गड़ेरिया आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है।महाराष्ट्र सरकार के जौहरी ने जिस प्रतिभा का अनादर किया,सुविधाओं से वंचित रखा आज वहीं बेटी पैरालंपिक में देश के लिए खेलने जा रही है।
महाराष्ट्र के भंडारा जिले के डोंगर गांव में 29 नवंबर 1997 को राधे श्याम गड़ेरिया के घर जन्मी ज्योति ने जीवन के साथ काफी संघर्ष कर आज इस मुकाम पर पहुंची है।वर्ष 2016 ज्योति के लिए एक बहुत बड़ा घटनापूर्ण वर्ष था जिसने जीवन के उम्मीदों को ही बदल दिया।एक बाइक सड़क दुर्घटना में एक पैर गवाना पड़ा।इसके पहले ज्योति कबड्डी की एक बेहतरीन खिलाड़ी थी।जिसने सब जूनियर वर्ग में 3बार महाराष्ट्र स्टेट के लिए खेला और तीसरा स्थान प्राप्त किया था।

एशियन ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप 2024 में भारत के लिए सबसे अधिक 4 गोल्ड मेडल जीतने वाली पैरा साइक्लिंग खिलाड़ी ज्योति के पिता राधे श्याम गरेड़िया एक साधारण किसान हैं।मजदूरी करके अपने बेटे बेटियों की परवरिश करते हैं।मां उषा गड़ेरिया -पिता समेत कुल सात लोग इस परिवार के सदस्य हैं।ज्योति तीन बहनों और दो भाई के साथ अपने जीवन की शुरुआत की हुए।ज्योति उन युवा युवतियों के लिए एक मिशाल है जिसने जीवन के साथ संघर्ष किया लेकिन कभी हार नहीं मानी। असुविधाओं के बीच अपनी तैयारी सुरु किया।लेकिन महाराष्ट्र सरकार की अनदेखी व राजनीति गलियारों में कुमकर्णी नीद में सो रहे कुर्ताधारी हीरे की परख नहीं कर सके। इसके बाद गुरु द्रोण के रुप में कोच आदित्य जितेंद्र मेहता मिले जिन्होंने हैदराबाद में आदित्य मेहता फाउंडेशन ने दाखिला कराया और वहीं पर रहकर पैरालंपिक तक का सफर पूरा किया।
सन 2019 में साउथ कोरिया में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में देश के लिए पहली बार रोइंग (Rowing) में ब्रोंज मेडल जीतने के बाद 2022 से एक नई शुरुआत की।ज्योति ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद स्नातक में दाखिला कराया था लेकिन खेल के चलते उसे अपनी आगे की पढ़ाई को ब्रेक देना पड़ा।

*पिता ने विपरीत परिस्थितियों में भी बड़ाया हौसला*

ज्योति गड़ेरिया के पिता राधे श्याम गड़ेरिया अपने बच्चों के बारे में बात करते हुए काफी भावुक हो उठते है। पिता राधेश्याम गड़ेरिया बताते हैं कि कैसे पैसे का अभाव झेलते हुए भी उन्होंने अपनी 3 बेटियों और 1 बेटों में कभी अंतर नहीं समझा।अपने मेहनत और परिश्रम से अपने बच्चों के साथ कदम दर कदम साथ चलते रहे।अपने संघर्ष भरे दिनों को याद करते हुए वो कहते हैं कि एक समय ऐसा था जब मैं पूरी तरह से टूट गया था जब ज्योति का दुर्घटना हुआ था उसे अपनी पैर गवानी पड़ी थी।मेरे सामने उसके भविष्य को लेकर चिंता थी लेकिन उसके हौसले और मेहनत ने मेरी चिंता को दूर कर दिया।वह अपनी बेटी ज्योति की इस सफलता से काफी खुश हैं। देश के लिए खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है।मुझे पूरी उम्मीद है मेरी बेटी देश के लिए पदक जीतेगी।ज्योति की बड़ी बहन स्वाती गड़ेरिया जिसकी शादी हो चुकी है।दूसरे नंबर पर ज्योति है,तीसरे नंबर पर उससे छोटी प्रीति गड़ेरिया है जो पैथोलाजी की पढ़ाई कर रही है।सबसे छोटा नयन इस वर्ष 12वीं में है।

*जब रो पड़ी मां उषा गड़ेरिया….*
ज्योति की मां उषा के आखों में
अपनी बेटी की कामयाबी पर खुशी के आंसू निकल पड़े।बताया कि शुरुआती दौर में मेरे परिवार और बेटी को बहुत कुछ सुनना पड़ा था।लोग तरह तरह की बातें करते थे।जब पैरा साइक्लिंग के क्षेत्र में ज्योति ने कदम रखा तो कई सवाल लोगों ने उठाया कि ये कैसे खेलेगी? इसे यह सब नहीं करना चाहिए! इस दौर में एक लड़की को यह सब नहीं करना चाहिए! दुर्घटना के कारण लोग मेरी बेटी को बेजान समझ रहे थे।आज वहीं देश के लिए खेलने जा रही है।

*आदित्य जितेंद्र मेहता ने पहचानी ज्योति की प्रतिभा*

सबसे बड़ी यह सच्चाई है कि अगर
आदित्य जितेंद्र मेहता ने ज्योति के अंदर के टैलेंट की परख नहीं किया होता तो आज ज्योति इस मुकाम पर नहीं पहुंचती।खुद ज्योति ने भी यह बात मानी है।बेटियों को आगे बढ़ाने की महाराष्ट्र सरकार से लेकर जिस विभाग की जिम्मेदारी थी वह पूरी तरह से नाकाम रही।

*पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश करूंगा।पहली बार भारत की साइकिलिस्ट टीम पैरालंपिक में भाग ले रही है,लोगों की काफी उम्मीदें हैं मैं उनकी भावनाओं को पूरी करने में कोई कोर कसर नहीं छोडूंगा।*
ज्योति गड़ेरिया
साइकिलिस्ट
पैरा साइकिलिंग
ज्योति गडेरिया- रोड – महिला सी1-3 इंड. टाइम ट्रायल, रोड – महिला सी1-3 रोड रेस, ट्रैक – महिला सी1-3 500 मीटर टाइम ट्रायल, ट्रैक – महिला सी1-3 3000 मीटर इंड. परस्यूट

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