आज महाराजा अग्रसेन की जन्म जयंती पर सिलीगुड़ी में दिखेगा उनके अग्रजों की शक्ति

पुणे से आ रहे द्वारका जालान के उपदेशों से समाज लाभान्वित

अशोक झा, सिलीगुड़ी: आज 3 अक्तूबर को सिलीगुड़ी अग्रसेन चौक खालपाड़ा में सुबह 10 बजे पूजा एंव ध्वजारोहण से कार्यकर्म का शुभारंभ किया जाएगा। गाजे बाजे के साथ ध्वज यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा के समापन के बाद महाप्रसाद वितरण किया जाएगा। दूसरे चरण में सायं का कार्यक्रम 5 बजे से उत्तरबंग मारवाडी पैलेस में पुणे से आए समाज के प्रेरणास्त्रोत द्वारका जालान के उपदेशों से समाज लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर उत्तर बंगाल से अग्रवाल समाज से केन्द्रीय एवं राज्य सरकार में पदस्थापित उच्चाधिकारियों का सम्मानित किया जाएगा। महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज किया। महाराज अग्रसेन ने एक ओर हिंदू धर्म ग्रंथों में वैश्य वर्ण के लिए निर्देशित कर्म क्षेत्र को स्वीकार किया और नए आदर्श स्थापित किए। उनके जीवन के मूल रूप से तीन आदर्श हैं- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, आर्थिक समरूपता एवं सामाजिक समानता।
एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद कुलदेवी महालक्ष्मी से परामर्श पर वे आग्रेय गणराज्य का शासन अपने ज्येष्ठ पुत्र विभु के हाथों में सौंपकर तपस्या करने चले गए। कहते हैं कि एक बार अग्रोहा में बड़ी भीषण आग लगी। उस पर किसी भी तरह काबू ना पाया जा सका। उस अग्निकांड से हजारों लोग बेघर हो गए और जीविका की तलाश में भारत के विभिन्न प्रदेशों में जा बसे। पर उन्होंने अपनी पहचान नहीं छोड़ी। वे सब आज भी अग्रवाल ही कहलवाना पसंद करते हैं और उसी 18 गोत्रों से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। आज भी वे सब महाराज अग्रसेन द्वारा निर्देशित मार्ग का अनुसरण कर समाज की सेवा में लगे हुए हैं।वैसे महाराजा अग्रसेन पर अनगिनत पुस्तके लिखी जा चुकी हैं। सुप्रसिद्ध लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र जो खुद भी अग्रवाल समुदाय से थे। उन्होने 1871 में अग्रवालों की उत्पत्ति नामक एक प्रामाणिक ग्रंथ लिखा है। जिसमें विस्तार से इनके बारे में बताया गया है। 24 सितंबर 1976 में भारत सरकार द्वारा 25 पैसे का डाक टिकट महाराजा अग्रसेन के नाम पर जारी किया गया था। सन् 1995 में भारत सरकार ने दक्षिण कोरिया से 350 करोड़ रूपये में एक विशेष तेल वाहक पोत (जहाज) खरीदा, जिसका नाम महाराजा अग्रसेन रखा गया। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 का आधिकारिक नाम महाराजा अग्रसेन पर है। आज का अग्रोहा ही प्राचीन ग्रंथों में वर्णित अग्रवालों का उद्गम स्थान आग्रेय है। अग्रोहा हिसार से 20 किलोमीटर दूर महाराजा अग्रसेन राष्ट्र मार्ग संख्या 10 के किनारे एक साधारण गांव के रूप में स्थित है। जहां पांच सौ परिवारों की आबादी रहती है। इसके समीप ही प्राचीन राजधानी अग्रेह (अग्रोहा) के अवशेष के रूप में 650 एकड भूमि में फैला महाराजा अग्रसेन धाम हैं। जो महाराज अग्रसेन के अग्रोहा नगर के गौरव पूर्ण इतिहास को दर्शाता है। आज भी यह स्थान अग्रवाल समाज में पांचवे धाम के रूप में पूजा जाता है। अग्रोहा विकास ट्रस्ट ने यहां पर बहुत सुंदर मंदिर, धर्मशालाएं आदि बनाकर यहां आने वाले अग्रवाल समाज के लोगो के लिए बहुत सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं। इतिहास में महाराज अग्रसेन परम प्रतापी, धार्मिक, सहिष्णु, समाजवाद के प्रेरक महापुरुष के रूप में उल्लेखित हैं। देश में जगह-जगह महाराजा अग्रसेन के नाम पर बनाए गए स्कूल, अस्पताल, बावड़ी, धर्मशालाएं आदि महाराजा अग्रसेन के जीवन मूल्यों का आधार हैं। जो मानव आस्था के प्रतीक हैं।

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