भारत को धर्मशाला बनाकर रख दिया गया है,जो कतई बर्दास्त नहीं होगा: गिरिराज सिंह

लोगों से बांग्लादेशी को जमीन नहीं देने की खिलवाया कसम

बंगाल बिहार सीमांचल से अशोक झा: भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह इन दिनों बिहार के सीमांचल क्षेत्र में हिंदू स्वाभिमान यात्रा पर हैं. भागलपुर से अपनी यात्रा की शुरुआत करने के बाद गिरिराज सिंह कटिहार, पूर्णिया, अररिया होते हुए किशनगंज पहुंच गए है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की यात्रा के तहत सर्वप्रथम नगर के धर्मगंज मोहल्ला होते हुए धर्मगंज चौक, कैलटेक्स चौक, धर्मशाला रोड, चांदनी चौक, नेमचंद रोड, गांधी चौक, डे मार्केट होते हुए रूईधासा मैदान में समाप्त हुआ। इसके बाद नगर में उनका एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसे गिरिराज सिंह संबोधित किया। आज ही इस यात्रा के प्रथम चरण का यहां समापन होगा। उनके साथ आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर भी इस यात्रा में जिलों में भ्रमण कर रहे हैं। दोनों मिलकर हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश दे रहे हैं और घुसपैठ समेत आबादी से जुड़ी समस्या को मुद्दा बनाकर खूब गरज रहे हैं। स्वामी दीपांकर ने शिक्षा नीति पर सवाल खड़े किए हैं। भारत को धर्मशाला बनाकर रख दिया गया है,जो कतई नहीं होगा। रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की संख्या के कारण हालात ऐसे हो गए हैं कि सीमांचल के कई ब्लॉक में हिंदुओं की संख्या सिमट कर रह गई है। डर से हिन्दू बहु बेटी सिंदूर नहीं करती और हिन्दू मर्द ने अपने और परिवार के अस्मत के रक्षा को लेकर वेशभूषा बदलने को विवश है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल,यह कब तक। गिरिराज सिंह ने कहा कि अररिया के हालात तो एनआरसी लागू किए जाने वाली है। अभी नहीं चेतोगे तो अररिया दूसरा कश्मीर होगा। नेपाल बॉर्डर के नोमेंस लैंड पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और कश्मीर को पूरी दुनिया ने देखा। आज तक हम लोगों ने ताजिया पर एक पत्थर नहीं फेंका, लेकिन धर्म के रक्षा के लिए हिंसा और हिंसक होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि 1951 से अबतक हिन्दुओं की जनसंख्या तेजी से घटी है। किशनगंज के बाद अररिया दूसरा जिला जहां हिन्दुओं का प्रतिशत घटा है। उन्होंने मंच से बांग्लादेशी को जमीन नहीं देने की कसम खिलवाया। उन्होंने कहा कि स्वाभिमान यात्रा से बहुत लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। ओवेशी मुसलमानों के एकजुटता की बात करते हैं तो वह सेक्युलरिज्म और हम हिंदुओं की एकजुटता की बात करे तो दंगाई। सवाल खड़ा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने ओबेसी से सांप्रदायिक तनाव नहीं होता है और मेरे कार्यक्रम को लेकर प्रशासन की ओर से हिंदुओं की गली होकर प्रोग्राम बनाया गया,ऐसा क्यों।उन्होंने ललकारते हुए कहा कि यह धरती किसी के बाप की नहीं है। सभा को दीपांकर महाराज,सांसद प्रदीप कुमार सिंह आदि ने भी संबोधित किया।इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह खड़ेश्वरी काली मंदिर में पूजा अर्चना किया। जिसके बाद परिसर में ही हवन कार्यक्रम में भाग लेकर जुलूस की शक्ल में बस स्टैंड स्थित सभा स्थल पहुंचे।इस दौरान उनके साथ हजारों लोग काली मंदिर से सभा स्थल तक पैदल पहुंचे।केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ,दीपांकरजी महाराज और स्थानीय सांसद प्रदीप कुमार सिंह के साथ हिन्दू स्वाभिमान रथ पर सवार थे। बहादुरगंज के मुख्य शिवालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में गिरिराज सिंह ने शिव मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा-अर्चना की। इसके बाद स्वागत कार्यक्रम और जन संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होने सनातनी हिन्दू को आपस में भाई-भाई की भावना के साथ संगठित होने का आह्वान किया, संगठित रहोगे, तो सुरक्षित रहोगे के भाव को धारण करने को आवश्यक बताया। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने संबोधन में लव जिहाद, लैंड जिहाद और थूक जिहाद से जुड़ी घटना को शर्मनाक बताकर वक्त के साथ सतर्क और संगठित रहना आवश्यक बताया। हिन्दू स्वाभिमान यात्रा में झंडा और बैनर के साथ दर्जनों वाहन का काफिला बहादुरगंज प्रवेश करने के बाद वातावरण देखते -देखते जय श्री राम के नारों के साथ भगवामय हो गया।औरतें सिंदूर नहीं लगातीं, मर्द लुंगी पहनने लगे; गिरिराज सिंह ने ऐसा क्यों कहा?हिन्दू स्वाभिमान यात्रा सोमवार को अररिया जिला से किशनगंज जिला की सीमा में दाखिल होने पर यात्रा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया। कार्यक्रम में संत शिरोमणि दीपांकर महाराज, अररिया सांसद प्रदीप सिंह, फारबिसगंज विधायक, परशुराम सेना अध्यक्ष अजय झा, समाजसेवी वरुण सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। आदिवासी समाज से जुड़े प्रतिनिधि व वनवासी कल्याण के छोटु टुड्डू ने केन्द्रीय मंत्री को तीर धनुष और स्थानीय लोगों ने त्रिशूल भेंटकर केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को सम्मानित किया। गिरिराज सिंह ने कहा कि मैं जिंदा लोगों की छाती पर आगे बढ़ रहा हूं। हिंदू स्वाभिमान यात्रा पर निकले गिरिराज सिंह : हिंदू स्वाभिमान यात्रा के तहत शाम सात बजे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सर्किट हाउस पहुंचे। उनके साथ आचार्य दीपंकर महाराज सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। सर्किट हाउस पहुंचने पर मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि हम हिंदुओं को संगठित करने के लिए यह यात्रा निकले हैं। आपको बता दें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कार्यक्रम पहले तेरापंथ भवन जाने का निर्धारित था। हालांकि यह यात्रा कैल्टेक्स चौक जरुर पहुंची, लेकिन चौक से टर्न लेकर सर्किट हाउस की ओर चल पड़ी। तेरापंथ भवन में दर्जनों की संख्या में कार्यकर्ता गिरिराज सिंह का स्वागत करने और उनसे मिलने के लिए घंटों से इंतजार कर रहे थे। जबकि बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी इस यात्रा को देखने के लिए उत्साहित थे। यात्रा के विरोधियों पर साधा निशाना: हिंदू स्वाभिमान यात्रा रविवार को पूर्णिया में थी। इस दौरान जिला स्कूल मैदान में एक सभा का आयोजन भी किया गया जिसमें भाजपा नेता गिरिराज सिंह के अलावा स्वामी दीपांकर जी महाराज ने भी लोगों को संबोधित किया. इस यात्रा का विरोध करने वाले सियासी नेताओं को निशाने पर लेते हुए दीपांकर जी महाराज ने कहा कि यह यात्रा हिन्दुओं को जोड़ रही है, तो उन्हें बुरा लग रहा है. हमारी यात्रा को लेकर टीवी पर डिबेट चल रहा है। शिक्षा नीति पर उठाए सवाल…वहीं स्वामी दीपांकर जी महाराज ने देश की शिक्षा नीति पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि अकबर, बाबर हुमांयू के पिता का नाम लोग जानते हैं, लेकिन महराणा प्रताप, लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, तिलकामाझी आदि के पिता का नाम कोई नहीं जानता. उन्होंने कहा कि इसमें हमारा दोष नहीं है, हमारी शिक्षा नीति ही ऐसी रही।बहराइच की घटना का जिक्र किया: इससे पहले यात्रा कटिहार में जब हुई तो वहां स्वामी दीपांकर जी महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 100 करोड़ सनातनी हिंदुओं को संगठित करने के लिए इस यात्रा को निकाला गया है. यह यात्रा किसी दल विशेष का नहीं है. स्वामी दीपांकर अपनी इस यात्रा के दौरान बहराइच की घटना का जिक्र करते हैं. उन्होंने कहा कि रामगोपाल को गोली लगी तो कोई नहीं बोला. लेकिन इस यात्रा का विरोध करते हैं।यात्रा निकालने की वजह बताए। स्वामी दीपांकर ने सनातनी को संगठित होने का संदेश दिया और कहा कि हिंदू जातियों में नहीं बंटे इसलिए उन्हें एक करने के लिए यह यात्रा निकाली गयी है। यह यात्रा उस विचार के विरुद्ध है, जो बहराइच की घटना करता है और आंखें बंद कर लेता है. बांग्लादेश में हमारे हजारों भाइयों का नरसंहार होता है और यहां के कथित बुद्धिजीवी बोल नहीं पाते हैं.यह यात्रा उस विचार के विरुद्ध निकली है।

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