आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत का पूरा होगा तीसरा दिन
आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत का पूरा होगा तीसरा दिन
– सीएम ममता बनर्जी समेत अन्य जनप्रतिनिधि होंगे शामिल
– शरीर को स्वास्थ्य लाभ के लिए यह व्रत
लाभदायक
अशोक झा, सिलीगुड़ी: महापर्व छठ सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित त्यौहार है। छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य की उपासना की जाती है। छठ पूजा ही एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते ही नहीं बल्कि ढलते सूर्य की पूजा का विधान है। 7 नवंबर 2024 छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती महिलाएं जल में खड़े होकर भगवान सूर्य देव अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार की समृ्द्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें 36 का उपवास रखना पड़ता है। इसके अलावा छठ पूजा में कई कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है। आज हम जानेंगे कि छठ पूजा में डूबते सूर्य की उपासना क्यों की जाती है। आखिर इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं क्या हैं।
छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य?: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अस्त होते समय भगवान सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। ऐसे में इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं ढलता सूर्य हमें बताता है कि हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए क्योंकि रात होने के बाद एक उम्मीद भरी सुबह भी जरूर आती है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। इतना ही नहीं व्यक्ति को सफल जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।छठ पूजा का महत्व: छठ पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व माना जाता है। छठ पूजा सामग्री में भी फल, सब्जियां और अन्य प्राकृतिक चीजों रखा जाता है। छठ पूजा के दिन सूर्य देव के साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। कहते हैं सूर्य देव की उपासना करने से सुख, समृद्धि, निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है। वहीं छठी मैया की पूजा करने से संतान दीर्घायु होते हैं और उनके जीवन पर आया सभी संकट दूर हो जाता है। छठ महापर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार छठ की शुरुआत 5 नवंबर से हो गई है। नहाय खहाय के बाद खरना और आज छठ का तीसरा दिन है। आज छठ पर डूबते हुए सूर्य की पूजा अर्चना कर व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी। इसकी वजह है कि राज्य का अधिकतर हिस्सा गंगा नदी, महानंदा, बालासन, मैंची,तीस्ता नदी के किनारे और अन्य छोटे बड़े नदियों और तालाबों से घिरा हुआ है। इन जल स्रोतों के किनारो पर लाखों लोग छठी मैया और सूर्य देव की पूजा के लिए उमड़ते हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार ने खास तौर पर व्यवस्थाएं की है। सभी घाटों की साफ-सफाई की गई है। अतिरिक्त संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि कोई दुर्घटना ना हो और घाटों पर लगातार माइकिंग की व्यवस्था की गई है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर साल कोलकाता के दई घाट पर छत व्रतियों के बीच जाती हैं। आज भी उनके जाने का कार्यक्रम है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में संतान की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि की कामना के साथ व्रतधारी महिलाएं भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। यह पर्व बंगाल में भी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। आज छठ पूजा का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसे अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य कहा जाता है। कोलकाता, सिलीगुड़ी, हावड़ा, हुगली तथा उत्तर और दक्षिण 24 परगना सहित बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में व्रती महिलाएं छठ घाटों पर एकत्रित होकर संध्या के समय सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इस दौरान व्रती महिलाएं पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना, नारियल सहित अन्य प्रसाद सामग्रियों से सूर्य देव की उपासना करेंगी और अपने परिवार की खुशहाली, समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना करेंगी। आज सूर्यास्त का समय शाम पांच बजकर 31 मिनट पर है, इसी समय पर सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करेंगी। छठ पूजा के इस अवसर पर तालाबों और नदियों के किनारे बने छठ घाटों को सजाया गया है, जहां श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से पूजा करेंगे।
छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। इस पर्व के दौरान बांस के डलिया, जिसे ‘डाला’ कहते हैं, का विशेष महत्व होता है। इस डलिया में छठ पूजा से जुड़ी सभी सामग्री रखी जाती है और इसे सिर पर रखकर छठ घाट तक ले जाया जाता है। बंगाल में छठ पूजा का यह त्यौहार लोगों को अपने परिवार से जोड़ता है, क्योंकि दूर-दूर से लोग आकर बंगाल में बसे हैं लेकिन अपने गांव की तरह ही छठ पूजा करते हैं।सूर्य उपासना के लिए समर्पित है। यह पर्व वैदिक काल से चला आ रहा है, जिसमें सूर्य देवता की पूजा की जाती है। छठ पूजा की तैयारी चार दिन पहले से शुरू हो जाती है।इस पर्व को परिवार को एक साथ संजोकर रखने वाला भी माना जाता है। छठ पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। 07 नवंबर आज इस पूजा का तीसरा दिन है। आज व्रती महिलाएं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी। ज्योतिषाचार्य पंडित अभय झा से जानते हैं कि पर्व का शुभ मुहर्त कितने बजे से है। कब से शुरू है छठ पूजा?: हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का महापर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। वहीं इस साल षष्ठी तिथि का आरंभ 07 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 08 नवंबर को देर रात 12 बजे इसका समापन होगा। आप 07 नवंबर को शाम का अर्घ्य देंगे और 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा।छठ पूजा का महत्व क्या है?: छठ पूजा के लिए विशेष रूप से सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा के लिए सूर्यदेव और माता छठी की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। छठ का व्रत चार दिनों का सबसे कठिन व्रत माना जाता है। आपको बता दें, सूर्यदेव को जीवनदाता माना जाता है।छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना करने से मान-सम्मान के साथ सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। छठी मैया को संतान की देवी माना जाता है। इस पर्व में छठी मैया की उपासना करके लोग संतान की सुख-समृद्धि की कामना करते है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को ब्रह्मा जो की मानस पुत्री के रूप में माना जाता है। वहीं बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी माता के इस स्वरूप की पूजा की जाती है। ताकि बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहे और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्ति हो सके।
छठ पूजा का आज तीसरा दिन है। आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छट का त्योहार आपके जीवन और आपके स्वास्थ्य दोनों पर असर डालता है। हवा-पानी-मिट्टी हो या फिर सूरज की रोशनी, सेहत के लिए ये सब बेहद जरूरी हैं। सूर्य की उपासना के पीछे तो पूरा का पूरा साइंस है। लेकिन बदलते लाइफ स्टाइल की वजह से हम नेचर से लगातार दूर जा रहे हैं। इसका नतीजा ये है कि फ्री में मिलने वाली चीजों की भी हमारे शरीर में कमी होने लगती है। अब विटामिन D को ही ले लीजिए। भारत में 70 से 80 फीसदी लोगों में इसकी कमी है। जबकि विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत सूरज की किरणें हैं। अगर शरीर में विटामिन D कम हुआ तो B12 का इम्बैलेंस होना तय है। इसके साथ-साथ कैल्शियम की कमी भी होने लगती है। इसलिए छठ पर्व को बीमारियों और रोगों को दूर भगाने का भी त्योहार माना जाता है। स्वामी रामदेव से जानिए छठ पूजा कैसे आपके स्वास्थ्य पर असर डालती है।शरीर में विटामिन की कमी होने के लक्षण
हड्डियों में दर्दमसल्स पेन,बहुत थकान
ज्यादा नींद,डिप्रेशन,सिरदर्द,सूरज की रोशनी से दूर होंगी बीमारी,आर्थराइटिस,डायबिटीज,एनीमिया,ब्रेस्ट कैंसर,डिमेंशिया,स्किन डिजीज,छठ का ‘सेहतमंद’ प्रसाद
नारियल,नींबू,हल्दी,अदरकगन्ना,अंकुरितमूली,हरी सब्जियां,केला,सिंघाड़ा,गुड़,ठेकुआइम्यूनिटी बढ़ेगीगन्ना- डाइजेशन को बेहतर बनाता है,डाभ- नींबू सर्दी-जुकाम से बचाता है,नारियल- एंटी ऑक्सीडेंट गुणों की भरमार,केला- विटामिन..मैग्नीज..आयरन से भरपूर,हल्दी- रोगों से लड़ने में मदद करती है,अदरक- खून को साफ करने में मददगार
विटामिन D कैसे करें पूरी?रोज धूप में बैठें,डेयरी प्रोडक्ट्स खाएं,गाजर फायदेमंद,सूर्य त्राटक के फायदे
निगेटिव एनर्जी दूर होती है,विटामिन -D मिलता है,आंखों की रोशनी बढ़ती है,डिमेंशिया-डिप्रेशन में फायदा
कैसे करें सूर्य त्राटक,सुबह-सुबह सूर्य त्राटक करें
सूरज को 5 मिनट तक देखें,2 मिनट तक आंखें बंद रखें
हाथों को मलते हुए आंखों पर रखें,सूर्य नमस्कार के फायदे
बॉडी डिटॉक्स होती है, मोटापा दूर होता है, रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है,डिप्रेशन दूर होता हैलंग्स की कपैसिटी बढ़ती है।