तृणमूल पंचायत समिति सदस्य का पति रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम के साथ गिरफ्तार

तृणमूल पंचायत समिति सदस्य का पति रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम के साथ गिरफ्तार - पांच दिनों के रिमांड पर हो रही गहन पूछताछ, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के कई दस्तावेज भी बरामद - किसी अंतरराष्ट्रीय तस्करों या गिरोह का जुड़ सकता है तार, सुरक्षा एजेंसी चौकस अशोक झा, सिलीगुड़ी : अंतरराष्ट्रीय सीमा से घिरा उत्तर बंगाल का सिलीगुड़ी एक बार फिर सुर्खियों में है। सिलीगुड़ी से देश विरोधी गतिविधियों के संदेह में सेना ने नक्सलबाड़ी के बेलगाछी चाय बागान से फ्रांसिस एक्का नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इसमें भी बंगाल की सत्ताधारी पार्टी के एक सदस्य का नाम जुड़ गया है। गिरफ्तार व्यक्ति की पत्नी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर नक्सलबाड़ी पंचायत समिति की सदस्य के रूप में चुनी गई हैं। एक्का के घर से रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम और सेना के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। उन्हें सेना ने तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है।सेना सूत्रों के अनुसार, सेना के त्रिशक्ति कोर, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और दार्जिलिंग पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर एक्का को गिरफ्तार किया। इस संबंध में कर्सियांग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक राय ने कहा कि सेना ने देश विरोधी गतिविधियों के संदेह में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर हमें सौंपा है। आरोपित के खिलाफ सेना ने एक मामला भी दर्ज कराया है। आरोपित को अदालत में पेश कर पांच दिन की रिमांड पर लिया गया है। पता चला है कि एक्का के घर से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। उन पर डीआरडीओ के दस्तावेजों की तस्करी के भी आरोप हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति ग्राम कैलिफोर्नियम की कीमत लगभग 17 करोड़ रुपये है। तीन महीने पहले बिहार से भी कैलिफोर्नियम के साथ तीन लोग पकड़े गए थे। रातभर की पूछताछ: फ्रांसिस से रात भर पूछताछ के बाद उसे पानीघाटा पुलिस चौकी के हवाले कर दिया गया। उसे मिरिक कोर्ट में पेश किया गया, जहां मिरिक थाने ने आरोपी को पांच दिन के रिमांड पर लिया। कार्सियांग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सेना ने इस व्यक्ति को गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले किया है और एक शिकायत भी दर्ज कराई है। जो उपकरण आरोपी के घर से बरामद हुए हैं, उन्हें सेना अपने साथ ले गई है। हालांकि, पुलिस ने यह भी बताया कि कैलिफोर्नियम और डीआरडीओ के दस्तावेज़ असली हैं या नकली, इसका निर्णय सेना द्वारा परीक्षण के बाद ही किया जाएगा।बताया गया है कि इस मामले के तार बिहार के मुंगेर से जुड़े हुए हैं। इसकी जांच के लिए आर्मी इंटेलीजेंस मुंगेर और गोपालगंज जाएगी। क्या है रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम: यह रेडियोएक्टिव एलिमेंट है इसलिए ठीक तरह से इस्तेमाल न करने पर कैलिफोर्नियम का बुरा असर शरीर पर पड़ सकता है। कैलिफोर्नियम को बेचना या खरीदना भी आसान नहीं होता। भारत में तो कैलिफोर्नियम पदार्थ की बिक्री या खरीद अवैध है।बिहार मामले से तीन साल पहले, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 340 ग्राम कैलिफोर्नियम के साथ आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त पुलिस ने एक ग्राम की कीमत करीब 19 करोड़ रुपए आंकी थी। कैलिफोर्नियम के कुछ मिलिग्राम की कीमत करोड़ों में है। जबकि 10 ग्राम सोने का भाव करीब 70 हजार रुपए है। कैलिफोर्नियम के कीमती होने की 3 बड़ी वजह है। पहला, यह धरती पर नेचरली मौजूद नहीं। इसे खास प्रोसेस से बनाना पड़ता है. यह एलिमेंट काफी रेयर है। दूसरा, कैलिफोर्नियम रेडियोएक्टिव पदार्थ है। इसलिए इसके ट्रांसपोर्ट के लिए विशेष शिपिंग कंटेनरों की जरूरत होती है। तीसरा, कैलिफोर्नियम की हाफ-लाइफ 1 घंटे की भी नहीं है। हाफ-लाइफ बताती है कि एलिमेंट कितने समय में खराब हो जाता है।कैलिफोर्नियम के सारे आइसोटेप्स रेडियोऐक्टिव होते हैं। सबसे ज्यादा स्थिर आइसोटोप Cf-251 है, जिसकी हाफ-लाइफ करीब 800 साल की होती है। कैलिफोर्नियम न्यूट्रॉन का एक बहुत अच्छा सोर्स है। इसलिए, न्यूक्लियर पावर प्लांट में न्यूट्रॉन स्टार्टअप सोर्स के रूप में इस्तेमाल होता है। ब्रेन और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में भी यह इस्तेमाल होता है। रेडियोएक्टिव प्रॉपर्टी होने के कारण इसे न्यूक्लियर रिएक्टर और कोल पावर में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत ज्यादा है।कैलिफोर्नियम का दूसरे भारी एलिमेंट बनाने में इस्तेमाल होता है। जैसे कैल्शियम-48 आयनों के साथ कैलिफोर्नियम-249 एटम की बौछार करने से ओगेनेसन (एटोमिल नंबर 118) बनता है। इस सब के अलावा कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर में, सोने और चांदी के अयस्कों की पहचान करने के लिए, तेल के कुओं में पानी और तेल की परतों की पहचान करने में किया जाता है। कैलिफोर्नियम (Cf) एक सिंथेटिक रेडियोएक्टिव एलिमेंट है। सिंथेटिक यानी वो एलिमेंट है जो नेचुरली धरती पर नहीं मिलते। इन्हें इंसानों द्वारा लैब में बनाया जाता है। दुनिया में केवल 24 सिंथेटिक एलिमेंट हैं। कैलिफोर्नियम उनमें से एक है। इसका एटोमिक नंबर 98 है। कैलिफ़ोर्नियम, पीरियोडिक टेबल में एक्टिनाइड सीरीज का सदस्य है।पहली बार कैलिफोर्नियम एलिमेंट को 1950 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले की एक टीम ने बनाया था। इस पदार्थ का नाम अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया और उस यूनिवर्सिटी के नाम पर रखा गया, जहां पर इसकी खोज की गई थी।कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल न्यूक्लीयर रिएक्टर से न्यूक्लीयर पावर के उत्पादन और साथ ही ब्रेन कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों को ठीक करने में भी होता है। पुलिस को संदेह है कि इन तस्करों के पीछे कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है. कैलिफोर्नियम बिजली उत्पादन के लिए भी काम आता है। लेकिन सवाल है कि क्या देश के किसी बिजली उत्पादन केंद्र से इतने भारी मात्रा में कैलिफोर्नियम की चोरी हुई है। जबकि अब तक इससे जुड़ा कोई केस कहीं भी दर्ज नहीं किया गया है। बिहार कनेक्शन सामने आया, छापेमारी करने पहुंची पुलिस पुलिस के सामने बड़ा सवाल अब यह है कि अगर यह पदार्थ कैलिफोर्नियम है तो आखिर कैलिफोर्नियम की आपूर्ति कहां से हुई।किसने ये सप्लाई किया है। इधर, संदिग्ध पदार्थ का बिहार कनेक्शन सामने आने के बाद पुलिस की टीम बिहार भी जाएगी। जिसने इस पदार्थ की आपूर्ती की थी उस शख्स की पहचान की जाएगी। पुलिस के सहयोग से उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद इस पूरे खेल का राजफाश हो सकता है। नाभिकीय ऊर्जा विभाग की टीम भी बंगाल पहुंचेगी और पदार्थ की जांच की जाएगी। कैसे जुड़ा बिहार से इसका कनेक्शन : बता दें कि बिहार और यूपी के कुशीनगर जिले के तमकुही राज थाना क्षेत्र के परसौनी बुजुर्ग निवासी चंद्रदेव प्रसाद के पुत्र छोटेलाल प्रसाद से गोपालगंज के नगर थाना क्षेत्र के कौशल्या चौक निवासी योगेंद्र शाह के पुत्र चंदन गुप्ता और महम्मदपुर थाना क्षेत्र के कुशहर मठिया निवासी हरेंद्र राम के पुत्र चंदन राम को पुलिस ने चेकपोस्ट से गिरफ्तार किया था।

 

– किसी अंतरराष्ट्रीय तस्करों या गिरोह का जुड़ सकता है तार, सुरक्षा एजेंसी चौकस

अशोक झा, सिलीगुड़ी : अंतरराष्ट्रीय सीमा से घिरा उत्तर बंगाल का सिलीगुड़ी एक बार फिर सुर्खियों में है। सिलीगुड़ी से देश विरोधी गतिविधियों के संदेह में सेना ने नक्सलबाड़ी के बेलगाछी चाय बागान से फ्रांसिस एक्का नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इसमें भी बंगाल की सत्ताधारी पार्टी के एक सदस्य का नाम जुड़ गया है। गिरफ्तार व्यक्ति की पत्नी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर नक्सलबाड़ी पंचायत समिति की सदस्य के रूप में चुनी गई हैं। एक्का के घर से रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम और सेना के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। उन्हें सेना ने तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है।सेना सूत्रों के अनुसार, सेना के त्रिशक्ति कोर, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और दार्जिलिंग पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर एक्का को गिरफ्तार किया। इस संबंध में कर्सियांग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक राय ने कहा कि सेना ने देश विरोधी गतिविधियों के संदेह में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर हमें सौंपा है। आरोपित के खिलाफ सेना ने एक मामला भी दर्ज कराया है। आरोपित को अदालत में पेश कर पांच दिन की रिमांड पर लिया गया है। पता चला है कि एक्का के घर से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। उन पर डीआरडीओ के दस्तावेजों की तस्करी के भी आरोप हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति ग्राम कैलिफोर्नियम की कीमत लगभग 17 करोड़ रुपये है। तीन महीने पहले बिहार से भी कैलिफोर्नियम के साथ तीन लोग पकड़े गए थे। रातभर की पूछताछ: फ्रांसिस से रात भर पूछताछ के बाद उसे पानीघाटा पुलिस चौकी के हवाले कर दिया गया। उसे मिरिक कोर्ट में पेश किया गया, जहां मिरिक थाने ने आरोपी को पांच दिन के रिमांड पर लिया। कार्सियांग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सेना ने इस व्यक्ति को गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले किया है और एक शिकायत भी दर्ज कराई है। जो उपकरण आरोपी के घर से बरामद हुए हैं, उन्हें सेना अपने साथ ले गई है। हालांकि, पुलिस ने यह भी बताया कि कैलिफोर्नियम और डीआरडीओ के दस्तावेज़ असली हैं या नकली, इसका निर्णय सेना द्वारा परीक्षण के बाद ही किया जाएगा।बताया गया है कि इस मामले के तार बिहार के मुंगेर से जुड़े हुए हैं। इसकी जांच के लिए आर्मी इंटेलीजेंस मुंगेर और गोपालगंज जाएगी।
क्या है रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम: यह रेडियोएक्टिव एलिमेंट है इसलिए ठीक तरह से इस्तेमाल न करने पर कैलिफोर्नियम का बुरा असर शरीर पर पड़ सकता है। कैलिफोर्नियम को बेचना या खरीदना भी आसान नहीं होता। भारत में तो कैलिफोर्नियम पदार्थ की बिक्री या खरीद अवैध है।बिहार मामले से तीन साल पहले, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 340 ग्राम कैलिफोर्नियम के साथ आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त पुलिस ने एक ग्राम की कीमत करीब 19 करोड़ रुपए आंकी थी। कैलिफोर्नियम के कुछ मिलिग्राम की कीमत करोड़ों में है। जबकि 10 ग्राम सोने का भाव करीब 70 हजार रुपए है। कैलिफोर्नियम के कीमती होने की 3 बड़ी वजह है। पहला, यह धरती पर नेचरली मौजूद नहीं। इसे खास प्रोसेस से बनाना पड़ता है. यह एलिमेंट काफी रेयर है। दूसरा, कैलिफोर्नियम रेडियोएक्टिव पदार्थ है। इसलिए इसके ट्रांसपोर्ट के लिए विशेष शिपिंग कंटेनरों की जरूरत होती है। तीसरा, कैलिफोर्नियम की हाफ-लाइफ 1 घंटे की भी नहीं है। हाफ-लाइफ बताती है कि एलिमेंट कितने समय में खराब हो जाता है।कैलिफोर्नियम के सारे आइसोटेप्स रेडियोऐक्टिव होते हैं। सबसे ज्यादा स्थिर आइसोटोप Cf-251 है, जिसकी हाफ-लाइफ करीब 800 साल की होती है। कैलिफोर्नियम न्यूट्रॉन का एक बहुत अच्छा सोर्स है। इसलिए, न्यूक्लियर पावर प्लांट में न्यूट्रॉन स्टार्टअप सोर्स के रूप में इस्तेमाल होता है। ब्रेन और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में भी यह इस्तेमाल होता है। रेडियोएक्टिव प्रॉपर्टी होने के कारण इसे न्यूक्लियर रिएक्टर और कोल पावर में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत ज्यादा है।कैलिफोर्नियम का दूसरे भारी एलिमेंट बनाने में इस्तेमाल होता है। जैसे कैल्शियम-48 आयनों के साथ कैलिफोर्नियम-249 एटम की बौछार करने से ओगेनेसन (एटोमिल नंबर 118) बनता है। इस सब के अलावा कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर में, सोने और चांदी के अयस्कों की पहचान करने के लिए, तेल के कुओं में पानी और तेल की परतों की पहचान करने में किया जाता है। कैलिफोर्नियम (Cf) एक सिंथेटिक रेडियोएक्टिव एलिमेंट है। सिंथेटिक यानी वो एलिमेंट है जो नेचुरली धरती पर नहीं मिलते। इन्हें इंसानों द्वारा लैब में बनाया जाता है। दुनिया में केवल 24 सिंथेटिक एलिमेंट हैं। कैलिफोर्नियम उनमें से एक है। इसका एटोमिक नंबर 98 है। कैलिफ़ोर्नियम, पीरियोडिक टेबल में एक्टिनाइड सीरीज का सदस्य है।पहली बार कैलिफोर्नियम एलिमेंट को 1950 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले की एक टीम ने बनाया था। इस पदार्थ का नाम अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया और उस यूनिवर्सिटी के नाम पर रखा गया, जहां पर इसकी खोज की गई थी।कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल न्यूक्लीयर रिएक्टर से न्यूक्लीयर पावर के उत्पादन और साथ ही ब्रेन कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों को ठीक करने में भी होता है। पुलिस को संदेह है कि इन तस्करों के पीछे कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है. कैलिफोर्नियम बिजली उत्पादन के लिए भी काम आता है। लेकिन सवाल है कि क्या देश के किसी बिजली उत्पादन केंद्र से इतने भारी मात्रा में कैलिफोर्नियम की चोरी हुई है। जबकि अब तक इससे जुड़ा कोई केस कहीं भी दर्ज नहीं किया गया है। बिहार कनेक्शन सामने आया, छापेमारी करने पहुंची पुलिस
पुलिस के सामने बड़ा सवाल अब यह है कि अगर यह पदार्थ कैलिफोर्नियम है तो आखिर कैलिफोर्नियम की आपूर्ति कहां से हुई।किसने ये सप्लाई किया है। इधर, संदिग्ध पदार्थ का बिहार कनेक्शन सामने आने के बाद पुलिस की टीम बिहार भी जाएगी। जिसने इस पदार्थ की आपूर्ती की थी उस शख्स की पहचान की जाएगी। पुलिस के सहयोग से उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद इस पूरे खेल का राजफाश हो सकता है। नाभिकीय ऊर्जा विभाग की टीम भी बंगाल पहुंचेगी और पदार्थ की जांच की जाएगी। कैसे जुड़ा बिहार से इसका कनेक्शन : बता दें कि बिहार और यूपी के कुशीनगर जिले के तमकुही राज थाना क्षेत्र के परसौनी बुजुर्ग निवासी चंद्रदेव प्रसाद के पुत्र छोटेलाल प्रसाद से गोपालगंज के नगर थाना क्षेत्र के कौशल्या चौक निवासी योगेंद्र शाह के पुत्र चंदन गुप्ता और महम्मदपुर थाना क्षेत्र के कुशहर मठिया निवासी हरेंद्र राम के पुत्र चंदन राम को पुलिस ने चेकपोस्ट से गिरफ्तार किया था।

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