कुणाल को हटाने से अभिषेक ममता में बढ़ सकती है खटास

सिलीगुड़ी: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भतीजे अभिषेक में फिर खटपट की अटकलें हैं। दरअसल, राज्य में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के महासचिव रहे कुणाल घोष को पद से हटाए जाने के बाद राजनीति गर्मा गई है।अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) संभावनाएं जता रही है कि ऐसा ममता और अभिषेक के बीच खींचतान के चलते हो सकता है। फिलहाल, इसपर टीएमसी की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है। मिदनापुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि ममता बनर्जी और अभिषेक के बीच खींचतान में घोष को हटाया गया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि यह ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच तनातनी है। यहां कुणाल घोष को हटाए जाने की बात नहीं है, बल्कि यह देखा जाना है कि पार्टी में ताकत किसके पास है। ममता बनर्जी या उनके भतीजे।’पॉल ने आगे कहा, ‘ममता बनर्जी को अब मौका मिला और उन्होंने अभिषेक के करीबी कुणाल घोष को हटा दिया।’ पॉल ने सारदा चिट फंड घोटाले का भी जिक्र किया और कहा कि घोष टीएमसी प्रवक्ता बनने से पहले यह दावा करते थे कि बंगाल सीएम घोटाले की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं।उन्होंने कहा, ‘कुणाल घोष 3.5 सालों तक दोषी ठहराया गया था और उनका केस अभी भी जारी है। ट्रायल के दौरान वह हमेशा कहते थे कि ममता बनर्जी सारदा चिट फंड स्कैम की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं। इसके बाद वह ममता बनर्जी की पार्टी के मुख्य प्रवक्ता बन गए। आज उन्हें हटा दिया गया है।’ फरवरी में घोष को सारदा चिट फंड स्कैम केस में एमपी/एमलए विशेष अदालत ने बरी कर दिया था। बुधवार को ही टीएमसी ने घोष को महासचिव पद से हटा दिया है। खास बात है कि इससे कुछ घंटे पहले ही वह भाजपा के कोलकाता उत्तर के प्रत्याशी तापस रॉय के साथ मंच पर उनकी तारीफ करते नजर आए थे। टीएमसी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, ‘हाल ही में कुणाल घोष को ऐसे विचार व्यक्त करते देखा गया, जो पार्टी से मेल नहीं खाते हैं। यह बताना जरूरी है कि वो उनके निजी विचार थे और उन्हें पार्टी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। AITC मुख्यालय से जारी बयानों को ही पार्टी का आधिकारिक मत माना जाना चाहिए।रिपोर्ट अशोक झा

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