हो जाइए तैयार सामूहिक गीता पाठ के लिए, चार श्लोक ही बदल देगी जिंदगी: बंधु गौरव ब्रह्मचारी
भारतीय परिवेश में पहुंच कर ही इसका ले सकते है लाभ

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बस अब बचे है शेष सात दिन। हो जाइए तैयार सामूहिक गीता पाठ के लिए। ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता है। सनातन संस्कृति संसद की ओर से सिलीगुड़ी कावाखाली मैदान में रविवार 15 दिसंबर 2024 को एक लाख से ज्यादा लोग एक साथ एक स्वर में श्रीमद भागवत गीता का पाठ करेंगे। इसकी जानकारी आयोजन कमेटी के बंधु गौरव ब्रह्मचारी, धर्मानंद महाराज, भक्ति वेदांत सजन महाराज ,राधाबल्लम महाराज तथा प्रकाश ब्रह्चारी ने दी। कहा कि इसमें भाग लेने के लिए आपको भारतीय लिबाज में यहां आना होगा। क्योंकि यह भारतीय परंपरा और संस्कृति बचाने की बात है। गीता के हर श्लोक में भगवान कृष्ण ने ज्ञान दिया है लेकिन गीता के ऐसे 4 श्लोक हैं जिनको जानना और उसके अर्थ को अपने जीवन में उतारना हर मनुष्य के लिए जरूरी है। अच्छी परवरिश के लिए माता-पिता का माइंडसेट बहुत मायने रखता है। पैरेंट्स अगर आध्यात्मिक होते हैं तो उनका बच्चा भी आध्यात्मिक होता है। तो अगर आप चाहते हैं एक आध्यात्मिक संतान तो अभी से तैयारी शुरू कर दीजिए। गीता के इन 4 श्लोकों को जानिए और अपने बच्चों को भी बताइए इनके बारे में।श्लोक के ज़रिए भगवान कृष्ण अर्जुन को समझा रहे हैं कि जब-जब इस धरती पर धर्म की हानि होगी, जब भी धर्म का बंटवारा होगा, तब-तब अधर्म का विनाश करने के लिए ईश्वर धरती पर आएंगे। इसलिए हर इंसान को अधर्म से दूरी बनानी चाहिए।
बच्चों के लिए क्यों जरूरी है ये श्लोक?
इस श्लोक के ज़रिए आप अपने बच्चों को धर्म और अधर्म के बीच अंतर करना सिखा सकते हैं। आप उन्हें बता सकते हैं कि क्यों बुरे काम करना गलत है और इसका परिणाम क्या हो सकता है।
दूसरा श्लोक: परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥
इसमें भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि, “इस धरती पर साधुओं और सज्जनों के कल्याण के लिए और दुष्टों का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं यानि श्रीहरि युगों युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।बच्चों के लिए क्यों जरूरी है ये श्लोक?
इस श्लोक के माध्यम से आप अपने बच्चे को समझा सकते हैं कि कैसे श्रीहरि विष्णु ने हर युग में अवतार लेकर दुष्टों का नाश किया और वापस से धर्म की स्थापना की। आप उन्हें श्रीराम, श्रीकृष्ण समेत कई अवतारों की कहानियां भी सुना सकते हैं।
तीसरा श्लोक: कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भू र्माते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, “तुम्हारे कर्मों पर ही सिर्फ तुम्हारा अधिकार है, उससे मिलने वाले फलों पर नहीं। इसलिए हे अर्जुन फल की चिंता करे बिना हर इंसान को अपने कर्मों को देखना चाहिए। कर्म करते रहो और फल की इच्छा मत करो।
बच्चों के लिए क्यों जरूरी है ये श्लोक?
इस श्लोक के बारे में जानना आपके बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि आगे जाकर जब भी कोई काम करेंगे तो उन्हें पता होना चाहिए कि वो फेल भी हो सकते हैं या उनका रिज़ल्ट उनकी उम्मीद के परे भी आ सकता है। ऐसे में ये श्लोक उन्हें कर्मों के महत्व के बारे में बताएगा क्योंकि फल की चिंता के जो कर्म किए जाते हैं वही सफल होते हैं। अगर आप पहले ही सोचने लग जाएं कि क्लास में पहला नंबर आएगा तभी मैं पढ़ाई करूंगा तो सारा ध्यान आपका रिज़ल्ट पर लग जाएगा और आप कर्म से ध्यान हटा लेंगे।चौथा श्लोक: नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥
यानि आत्मा को ना शस्त्रों से काटा जा सकता है और इसे ना ही आग से जलाया जा सकता है। आत्मा पर पानी या हवा का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता।बच्चों के लिए क्यों जरूरी है ये श्लोक?
इस श्लोक के ज़रिए आप अपने बच्चों को आध्यात्मिक बनने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और समाज में फैले कई प्रकार के अंधविश्वासों से दूर रख सकते हैं। उन्हें बताएं कि आत्मा का क्या स्वरूप है और क्यों एक इंसान को शरीर के साथ-साथ आत्मा का भी ख्याल रखना चाहिए।