सिलीगुड़ी की सड़कों पर समलैंगिकता, लैंगिक समानता के समर्थन में निकाला क्वीयर प्राइड मार्च

अशोक झा, सिलीगुड़ी : सड़कों पर समलैंगिकता और लैंगिक समानता के समर्थन में रविवार को क्वीयर प्राइड मार्च निकाला गया। इसमें एलजीबीटीक्यू समुदाय और विभिन्न वर्गों के लोग शामिल रहे। वे रंग-बिरंगे झंडे और पोस्टर के साथ शांति और समानता का संदेश दे रहे थे। मार्च की थीम ‘समानता, सम्मान और स्वतंत्रता थी। बनारस क्वीयर प्राइड मार्च की नीति ने कहा कि यह आयोजन समाज में बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने सरकार और अधिकारियों से अपील की कि वे समानता के अधिकारों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं। बिहार से आए तन्मय ने कहा कि यह क्वीयर समुदाय के लिए एक आंदोलन है, जिसमें पितृसत्तात्मक समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, किसान और मजदूर जैसे विभिन्न मुद्दों को उजागर किया जा रहा है। समलैंगिक और ट्रांससेक्सुअल शादी के अधिकार समेत कई मांगों को लेकर सिलीगुड़ी की सड़कों पर उतर आए। रविवार दोपहर को समलैंगिक, एलजीबीटीक्यू लोग सिलीगुड़ी महात्मा गांधी चौक पर एकत्र हुए, उन्होंने रंग-बिरंगे झंडों और बहु-ध्वनि नारों के साथ महात्मा गांधी चौक से मार्च शुरू किया।सिलीगुड़ी शहर की मुख्य सड़क की परिक्रमा करते हुए बाघाजतिन पार्क पर समाप्त हुई। उन्होंने समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने और बच्चों को गोद लेने का अधिकार समेत कई मांगें उठाईं। इस दिन संगठन ने कहा, हमें इसका अधिकार क्यों है बच्चों को गोद लें, समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा नहीं है, विरासत नहीं है। कौन है ये लोग: समलैंगिकों को आम बोलचाल की भाषा में LGBTQIA कहा जाता है। LGBTQIA इस समुदाय के लोगों की पहचान उनके पहनावे या रूप-रंग से नहीं की जाती है बल्कि इन लोगों की पहचान उनकी यौन वरीयताओं से होती है। LGBT और LGBTQIA ये शब्द ऐसे लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो गे, लेस्बियन, बाइसेक्शुअल या ट्रांसजेंडर होते हैं। जैसे-जैसे दुनिया ने इनके बारे में जाना, समझा, वैसे-वैसे इनके लिए नए नए शब्दों का विकास होता गया। ऐसे में आज हम आपको इसके बारे में यह भी बताने वाले हैं कि इस कम्युनिटी में किस-किस तरह के लोग शामिल होते हैं।पूर्वाग्रह, सामाजिक तनाव, अकेलापन, और अस्वीकृति – एक समलैंगिक व्यक्ति को हर रोज इसका सामना करना पड़ता है। जिस तरह से उन्हें ट्रीट किया जाता है, जिस तरह से उन्हें देखा जाता है-यह सब न केवल उनके आत्मविश्वास को चोटिल करता है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उन्‍हें आघात पहुंचाता है।

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