सांसद राजू विष्ट की मेहनत रंग लाई, पूर्वोत्तर के गोरखा हुए भय मुक्त
माना बीटीसी क्षेत्र में भूमि आवंटन और निपटान के उद्देश्य से गोरखा प्रमाण पत्र को वैध दस्तावेज

अशोक झा, सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग के सांसद राजू विष्ट की मेहनत आखिर रंग लाई। कल तक विपक्ष पूर्वोत्तर के गोरखा को विदेशी कहकर एनआरसी में धकेलने की कोशिश कर रही थी। अब सांसद राजू विष्ट की लड़ाई से एनआरसी से मुक्ति के साथ अब बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद में सम्मान मिलेगा। असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा जी और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) प्रमोद बोरो जी को बीटीसी क्षेत्र में भूमि आवंटन और निपटान के उद्देश्य से गोरखा प्रमाण पत्र को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया है। इसकी जानकारी मिलते ही सांसद राजू विष्ट ने कहा कि इस निर्णय लेने के लिए असम और बीटीसी को
धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बीटीसी में रहने वाले गोरखा समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को संबोधित करता है और क्षेत्र के गोरखाओं के बीच भय और असुरक्षा की भावना को कम करता है। यह बीटीसी में विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने, क्षेत्र में शांति, सद्भाव, एकता और विकास को बढ़ावा देने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।