ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा, महानंदा नदी पर नए ब्रिज का निर्माण और बाईपास रोड बनेगा चुनावी मुद्दा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया शिलान्यास और घोषणा तब भी और नहीं किया तब भी चुनाव के केंद्र बिंदु में होगा प्रगति यात्रा

अशोक झा, सिलीगुड़ी:
बिहार के आखिरी छोर पर बसा किशनगंज का ठाकुरगंज प्रखंड। यह जो अंतरराष्ट्रीय नेपाल और बंगाल राज्य की सीमा से सटा हुआ है। यह क्षेत्र सामरिक और आर्थिक रूप से काफी महत्वपूर्व है। जिस प्रकार देश के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर यानि ( चिकन नेक), सिक्किम के लिए एनएच 10 लाइफ लाइन माना जाता है। ठीक उसी प्रकार महानंदा नदी पर 1913 में बना है यह पुल जिला या राज्य का लाइफलाइन है। यहां इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रगति यात्रा को लेकर चहुंओर चर्चा है। शासन से प्रशासन, सत्ता या विपक्ष के जनप्रतिनिधि या यूं कहे कि आम से लेकर खास इस यात्रा की सफलता और विफलता को लेकर अभी से ताना बाना बुनने लगे है। कहते है कि इस क्षेत्र में चार ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे है जिसकी मांग वर्षों से यहां के लोगों की मांग रही है। इन मांगों को लेकर आंदोलन और चुनावी मुद्दा भी था। इन मुद्दों पर काम नहीं होने से जनता दल यूं को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा जहां बांग्लादेशी घुसपैठ सीमांचल की सुरक्षा उठाते रहे है। वही इसका लाभ कांग्रेस और राजद उठाते रहे है।
आखिर ऐसा क्यों? क्या है ऐसा मुद्दा? पहला महानंदा नदी पर नए ब्रिज का निर्माण , दूसरा ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा दिया जाना, तीसरा कटहलडांगी से बाईपास रोड, चौथा सुरजापुरी मुसलमानों को आरक्षण। इन मांगों को लेकर विपक्ष राज्य सरकार पर लगातार हमलावर है। ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ण एन्ड कंपनी लिमिटेड,हावड़ा (पश्चिम बंगाल) नामक ब्रिज बिल्डर कंपनी ने कराया था। यह ब्रिज न सिर्फ ठाकुरगंज प्रखंड को जिला मुख्यालय किशनगंज से जोड़ती है। बल्कि यह सामरिक दृष्टिकोण से पूर्वोत्तर भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। राजद प्रमुख तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों जिला दौरे में कहा था कि की सीमांचल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। राज्य में राजद या इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो सीमांचल के लिए डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करेंगे। इस क्षेत्र में कांग्रेस के सांसद जावेद भी हमेशा से राज्य सरकार पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में सुरजापुरी और राजवंशी बिरादरी के लोग रहते है। जिसकी लड़ाई बरसों से ताराचंद्र धानुका और गोपाल धानुका लड़ते आ रहे है। भाजपा का यह बड़ा वोटबैंक है। इसपर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की नजर है। इस क्षेत्र में 100 से अधिक ईट भट्टा और कई नदियों पर बालू घाट है। जिसके कारण बड़े वाहनों के आवागमन से शहर की आबादी प्रभावित होती है। इसलिए बाईपास रोड की मांग प्रासंगिक हो गई है। विधानसभा के चुनावी साल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सामने यह सभी मुद्दे काफी महत्वपूर्ण है। मौका और दस्तूर दोनों सत्ता पक्ष के पास है। अगर इस प्रगति यात्रा पर इसे भुना पाती है तो विपक्ष के मुंह पर करारा तमाचा होगा जो क्षेत्र की उपेक्षा की दुहाई दे रहे है। अगर ऐसा नहीं होता है तो विपक्ष नीतीश और एनडीए सरकार पर हमलावर होगी।
क्या है सीएम नीतीश कुमार का प्रगति यात्रा : आज 16 जनवरी को नीतीश कुमार खगड़िया जिले के दौरे पर है। इस फेज में सीएम की 29 जनवरी तक कुल 9 जिलों में प्रगति यात्रा होगी।18 जनवरी को प्रगति यात्रा बेगूसराय में है। उसके बाद 20 जनवरी को सुपौल में नीतीश कुमार की यात्रा होगी। 21 जनवरी को किशनगंज में और 22 जनवरी को नीतीश कुमार अररिया में होंगे। 23 जनवरी को सहरसा में नीतीश की प्रगति यात्रा होगी। इसके बाद 24 जनवरी से लेकर 26 जनवरी तक प्रगति यात्रा का कोई कार्यक्रम नहीं है। 27 जनवरी को नीतीश कुमार पूर्णिया जिले में होंगे। 28 जनवरी को नीतीश की प्रगति यात्रा कटिहार में और 29 जनवरी को मधेपुरा में होगी।

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