बंगाली संगीत जगत का टूट गया एक और सितारा, सीएम ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

राज्यपाल ने भी जताया शोक, सिनेमा जगत में बहुत बड़ी क्षति

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाली संगीत जगत का एक और सितारा टूट गया है। दिवंगत गायक प्रतुल मुखर्जी। वे काफी समय से एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती थे। और आज सुबह उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली।निधन के समय उनकी उम्र 83 साल थी। मशहूर गीतकार, संगीतकार और गायक प्रतुल मुखर्जी लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार थे।फिर जब उनकी शारीरिक स्थिति और बिगड़ गई तो उन्हें एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती होते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर उनकी खबर ली। और फिर 12 फरवरी को मुख्यमंत्री उन्हें देखने अस्पताल भी गईं। और आज सुबह उसी गायक ने अंतिम सांस ली। स्वाभाविक रूप से उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की छाया छा गई है। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाली संगीत में उनका गहरा योगदान हमेशा हमारे दिलों में गूंजता रहेगा। उनकी आत्मा को शांति मिले।”प्रतुल मुखोपाध्याय का शनिवार सुबह कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण 82 वर्षीय गायक को सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका काफी समय से इलाज चल रहा था। उनके इलाज के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गायक के लिए सर्वोत्तम उपचार सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से पहल की और हाल ही में उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए अस्पताल भी गई थीं।गायक ने आज सुबह 10 बजे अंतिम सांस ली। प्रतुल मुखोपाध्याय का जन्म 25 जून 1942 को तत्कालीन बंगाल के बारीसाल में हुआ था, जो अब बांग्लादेश का हिस्सा है। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे।विभाजन के बाद उनका परिवार पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चिनसुरा चला गया था, जहां गायक ने अपना बचपन बिताया। बहुत छोटी उम्र से ही उनमें संगीत के लिए लगाव देखा गया। जब वह सिर्फ 12 साल के थे, तब उन्होंने मंगलाचरण चट्टोपाध्याय के एक लोकगीत की धुन तैयार की थी। ‘अमी बांग्लाई गान गाई’ (मैं बंगाली में गाता हूं) जैसे गीतों में बंगाली भाषा के प्रति उनका जुनून स्पष्ट दिखाई देता है। लोक संगीत के प्रति उनका जुनून ‘अमी धान कटार गान गाई’ (मैं धान की कटाई का गीत गाता हूं) जैसे गीतों में भी दिखाई देता है।

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