2 मार्च से शुरू होगा पाक ए रमजान का महीना
हर साहिब-ए-निसाब (हैसियतमंद) को सालभर की आमदनी का 2.5 फीसदी हिस्सा देंगे जकात में

– हर साहिब-ए-निसाब (हैसियतमंद) को सालभर की आमदनी का 2.5 फीसदी हिस्सा देंगे जकात में
अशोक झा, सिलीगुड़ी: रमजान का महीना इस्लाम के सबसे पवित्र महीनों में से एक है। मुसलमान साल भर रमजान का बेसब्री से इंतजार करते हैं। जैसे-जैसे दिन खत्म होता है, सभी की निगाहें आसमान पर टिकी होती हैं क्योंकि आधे चांद के दिखने के साथ ही इस पवित्र महीने की शुरुआत हो जाएगी और रोजा (उपवास) शुरू हो जाएगा।
हालांकि भारत में अभी चांद नजर नहीं आया है ऐसे में 2 मार्च से रमजान के पाक महीने की शुरुआत होगी। भारत में सभी चांद कमेटियों ने एलान किया है कि देश के किसी भी हिस्से में चांद नजर नहीं आया है। इसलिए, रमजान की शुरुआत 2 मार्च यानी रविवार को पहला रोजा होगा। इसी तरह पाकिस्तान मे भी चांद नजर नहीं आया है। हालांकि, सऊदी अरब में चांद नजर आया है इसलिए अरब दुनिया में कल पहला रोज़ा होगा। 29 शबान 1446 हिजरी को माहे रमज़ान के चांद की तस्दीक नहीं हुई. लिहाज़ा 2-मार्च-2025 को माहे रमज़ान की पहली तारीख़ होगी।
‘इफ्तार करने में हुई देरी तो सवाब हो जाएगा कम’: इसमें कहा गया है कि अगर इफ्तार करने में ज्यादा देर की तो रोजा मकरूह हो जाएगा यानी सवाब कम हो जाएगा। कमेटी ने हर हैसियत वाले व्यक्ति से इफ्तार पार्टियों का एहतिमाम करने और उसमें गरीबों को भी शामिल करने की अपील की है. कमेटी ने कहा है कि इस मुबारक महीने में तरावीह जरूर पढ़ी जाए, क्योंकि रमजान में ही खुदा पाक ने पूरा कुरान पाक उतारा है। तरावीह पढ़ने वाले नमाजी और मस्जिदों की प्रबंधन कमेटी इस बात को सुनिश्चित करें कि नमाजियों की गाड़ियां तय स्थान पर पार्क की जाएं जिससे ट्रैफिक में कोई रुकावट पैदा न हो। रमजान मास का इंतजार हर मुस्लिम को होता है। इस महीने को इस्लाम में बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इसी महीने में कुरान की आयतें धरती पर आई थीं। इसलिए इस महीने में मुस्लिम संप्रदाय के लोग रोजे यानी उपवास रखकर खुदा की इबादत करते हैं।इस बार रमजान की शुरूआत 2 मार्च, रविवार से हो रही है। जानें इस महीने से जुड़ी खास बातें…
क्यों खास है रमजान का महीना?इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब थे। उनका जन्म सन् 570 ई. में हुआ माना जाता है। मुहम्मद साहब को कुरान की आयतें अल्लाह से उस समय मिलीं जब वे पूरी तरह ईश्वरीय प्रेरणा में डूबे हुए थे। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार ये आयतें देवदूतों के जरिए मुहम्मद साहब को मिली थीं। इन आयतों का संकलन ही कुरान है। ये आयतें मुहम्मद साहब को रमजान की महीने में ही प्राप्त हुई थीं, इसलिए ये महीना इतना पवित्र माना गया है।रमजान का चांद दिखते ही मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो जाएगी। इस बार 29वां रोजा 13 घंटे 50 मिनट और 30वां रोजा 13 घंटे 53 मिनट का होगा। रमजान में एएमयू में सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को सुबह 8 बजे से दोपहर ढाई बजे तक बिना विराम के पठन-पाठन होगा। जुमे के दिन शुक्रवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक पठन-पाठन होगा।
आमदनी का ढाई फीसदी दें जकात
एएमयू के सुन्नी थियोलॉजी विभाग के मुफ्ती डॉ.जाहिद अली खान ने बताया कि इस्लाम में जकात का बड़ा महत्व है। यह इस्लाम का पांचवां स्तंभ भी है। हर साहिब-ए-निसाब (हैसियतमंद) को सालभर की आमदनी का 2.5 फीसदी हिस्सा जरूरतमंद या गरीब को देना होता है। मुसलमान पूरे साल अपनी आमदनी का हिसाब-किताब कर जकात निकालता है। ज्वेलरी का भी जकात निकाला जाता है। इसकी कीमत का 2.5 फीसदी रुपये जकात में देना होता है। उन्होंने कहा कि फितरा में एक किलो 661 ग्राम गेहूं होता है, जिसे गरीब और जरूरतमंद को दैना होता है। बेहतर हो कि इतने वजन के आटे की कीमत उसे दे देंरमजान में किन बातों का रखें ध्यान?: रमजान के दौरान मुस्लिम समाज के लोग कठिन व्रत रखते हैं, जिसे रोजा कहते हैं। इसके अंतर्गत सुबह सूरज उगने से ढलने तक कुछ भी खाना-पीना हराम होता है। शाम को इफ्तारी के बाद में रोजा पूरा होता है। रोजे का मतलब सिर्फ भूखा-प्यासा रहना ही नहीं होता बल्कि इस दौरान आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। इसका मतलब ये है कि कुछ बुरा न देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें। ऐसा करने से रोजा टूट जाता है। रोजे के दौरान मन में किसी तरह के बुरे विचार नहीं आने चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर न निगलें, इससे भी रोजा टूट जाता है।रोजे के दौरान थूक निगलना के भी मनाही है। रोजे के दौरान नियम से नमाज पढ़नी भी जरूरी होती है।पीठ पीछे किसी की बुराई करने से भी रोजा टूट जाता है।