यूसीसी :अगर किसी को जन्मदिन मनाना है, या निकाह करना है, कोई रुकावट नहीं

किसी की स्वतंत्रता का हनन नहीं,उनकी सिक्योरिटी की गारंटी

सिलीगुड़ी: मुसलमानों को यूसीसी के नाम पर भटकाने का प्रयास हो रहा है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का मानना है कि भारतीय मुसलमान किसी बाहरी देश से आए मुसलमान नहीं हैं। सब यहीं के हैं और पहले सनातनी ही थे, जिन्होंने बाद में मजहब बदल कर अपना धर्म परिवर्तन किया है। ‘यूसीसी का हल्द्वानी में फैले दंगे से कुछ लेना देना नहीं’ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इन्द्रेश कुमार का कहना है कि यूसीसी का हल्द्वानी में फैले दंगे और हिंसा से कुछ लेना देना नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि हिन्दुस्तान में एक पॉलिटिकल फैशन हैं, कुछ भी लागू करिए, हर बार ये ही क्यों प्रश्न खड़ा होता हैं कि मुसलमानों का क्या होगा? कोई ये क्यों नहीं कहता कि हिन्दुस्तानियों का क्या होगा? ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाकी सब तो भारतीय हो गए लेकिन आजादी के 75 वर्षों बाद भी मुसलमान अब तक भारतीय नहीं हुआ। उनको मुसलमान ही बनाकर रखा हुआ हैं और जब तक बना रहेगा ये परेशानी खड़ी ही रहेगी। जिस दिन मुस्लिम हिन्दुस्तानी और भारतीय हो जाएंगे, उस दिन इनके और इस देश के भी रोग खत्म हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अंग्रेज चाहते थे कि बंटवारा हो, तब एक ने मजहब के नाम पर हिन्दुस्तान ले लिया और एक ने पाकिस्तान। यदि सुभाष, अंबेडकर, डॉ. मुखर्जी को मान्यता मिल जाती तो अंग्रेज चले जाते और भारत का बंटवारा नहीं होता। और ये प्रश्न सदा के लिए खत्म हो जाता कि मुसलमान का क्या होता? उन्होंने कहा कि बिट्रिश ने भारत पर राज करने के लिए कितने पापड़ बेले होंगे, और हमने अपनी सांस्कृतिक निष्ठा से भारत को जीतते हुए और सम्मान प्राप्त करते हुए देखा हैं, जहां ब्रिटेन का भारतीय ऋषि सुनक प्रधानमंत्री के रूप में दिखाई देता हैं। इस पर सोचने की जरूरत हैं। उन्होंने उत्तराखंड में ‘कॉमन सिविल कोड’ बिल पेश होने का स्वागत किया। स्टेट के अनुसार अब यूसीसी का कानून बनाया जा रहा है। इसमें किसी भी जाति को लेकर प्रतिबंध नहीं है। अगर किसी को जन्मदिन मनाना है, या निकाह करना है, कोई रुकावट नहीं है। इसलिए उनकी सिक्योरिटी की गारंटी यूसीसी है। किसी की स्वतंत्रता का हनन नहीं। सिर्फ मुस्लिम कहते हैं गलत होगा, ये वोट बैंक की पॉलिटिक्स है, जिसमे मुस्लिम को टारगेट किया जाता है। राजनीतिक दलों को भड़काना बंद करना चाहिए. श्री राम, यूसीसी, तलाक, हिजाब, विवादित भूमि पर इबादतगाह, पूर्वजों, परम्पराओं, संस्कृति, राष्ट्रप्रेम और भारतीयता के मुद्दों पर अहम फैसले लिए गए।”आओ जड़ों से जुड़ें” के दो दिवसीय कार्यशाला में वे मुसलमान भी थे जिन्होंने अयोध्या के श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन किया था। उपस्थित लोगों ने राम को अपना पूर्वज मानते हुए जय सिया राम के नारे भी लगाए। मंच के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर ने स्पष्ट रूप से कहा कि जड़ों से जुड़ें का अर्थ किसी तरह का धर्म परिवर्तन नहीं है। बल्कि यह इसलिए जरूरी है कि लोग अपनी परम्पराओं और पूर्वजों से अधिक से अधिक जुड़ें। जनसंख्या के हिसाब से सबसे अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर भारत का है। भूख से मुक्त हिंदुस्तान है. विदेशी ताकते हर समय दंगे करवाने की फिराक में रहती हैं। छुआछूत मुक्त हिंदुस्तान, दंगा मुक्ति हिंदुस्सांतान सांप्रदायिक तनाव से मुक्त भाईचारे वाला प्रदूषण मुक्त हिंदुस्तान मुसलमान और हिंदुओं ने मिलकर बनाया है। ‘धर्म भले ही अलग है लेकिन हमारी जड़ें एक हैं’। इंद्रेश कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि अगर अपने वंशावली (शिजरे) को जानेंगे तो पाएंगे कि कुछ जेनरेशन पहले हम कौन थे, हमारा गोत्र क्या था? हमारे पूर्वज का परिवार कहां है? परिवार के बाकी लोग कहां हैं? क्या कर रहे हैं? अगर उनसे मुलाकात को यथासंभव बनाएं तो हम खुद ब खुद देश की एकता अखंडता में विश्वास रखने वाले हो जायेंगे. धर्म भले ही अलग है लेकिन हमारी जड़ें एक हैं। वैसे भी मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।’अगर हम कट्टरवादी और मजहबी बनेंगे तो विषैले बनेंगे’ इंद्रेश कुमार ने कहा कि दुनिया भर के देशों में हो रहे आतंकी हमले चाहे वो रूस यूक्रेन में हो या इजरायल फिलिस्तीन में हो या बीच में तुर्की या ईरान का मामला हो, भारत सरकार और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने एक ही स्वर में कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद हो वो अमानवीय था है और रहेगा. अगर हम कट्टरवादी और मजहबी बनेंगे तो विषैले बनेंगे. भारत सरकार ने गाजा में अनेकों ट्रक दवाओं, कपड़ों, अनाजों का जखीरा भेजा. इसी प्रकार इंद्रेश कुमार ने जी 20 के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ करते हुए इसे अभूतपूर्व बताया।’पूरी दुनिया के 800 करोड़ लोग वसुधैव कुटुम्बकम् के अंतर्गत एक हो जायेंगे’
इंद्रेश कुमार ने कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट के बारे में कहा कि सभी की फैमिली ट्री को अगर देखा जाए तो पूरी दुनिया के 800 करोड़ वसुधैव कुटुम्बकम् के अंतर्गत एक हो जायेंगे. कार्यशाला में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि अपने अपने धर्म पर चलो, दूसरे धर्म की इज्जत करो, लड़ाइयों, दंगों, छुआछूत मुक्त देश बनाओ. हम सब हिंदुस्तानी थे हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तानी रहेंगे. सभी ने माना कि यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी के लिए मान्य होना चाहिए. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एक झंडा, एक देश, एक विधान को समर्थन करता है।।यूसीसी से देश को मजबूती मिलेगी. समानता कानून से सभी को फायदा है, यह किसी भी धर्म मजहब समुदाय के खिलाफ नहीं है. इस मामले पर जो कोई भी भड़काने का प्रयास करता है वह शांति समृद्धि का दुश्मन है.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड? यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड, हिंदी में कहें तो समान नागरिक संहिता. इसमें शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों में सभी धर्मों पर एक जैसा कानून लागू होगा. कई लोगों का मानना है कि उत्तराखंड इसको लागू करने वाला दूसरा राज्य है, पहला गोवा है। कुछ परिदृश्यों में यह बात सही भी है, क्योंकि गोवा में 1867 में ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया था। लेकिन, उत्तराखंड आजाद भारत में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है। इसलिए यह बात उत्तराखंड के लिए काफी खास है।आइए अब बात करते हैं कि इस कानून से क्या बदलाव होने वाले हैं उत्तराखंड विधानसभा में जिस विधेयक को पेश किया गया उसका नाम है ‘समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024’. 182 पन्नों के इस कानूनी मसौदे में कई धाराएं और उप-धाराएं हैं. इसमें उत्तराधिकार, विवाह, विवाह-विच्छेदन यानी तलाक और लिव इन रिलेशनशिप के बारे में नियम-कानूनों के बारे में जानकारी दी गई है. जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की तरह विवाह और विवाह विच्छेद या तलाक का पंजीकरण कराया जा सकेगा. ये पंजीकरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा. कोई पहला विवाह छिपाकर दूसरा विवाह करेगा तो पंजीकरण के जरिए इसका पता लग जाएगा। पहले शादी तलाक जैसे कई मामलों में अलग-अलग पर्सनल लॉ चलती थी, लेकिन अब उत्तराखंड में ऐसा नहीं होगा. एक कानून बनेगा जो हर धर्म को मानने वालों पर लागू होगा। पहले तलाक के बाद वापस उसी व्यक्ति से शादी करने के लिए महिलाओं को काफी कुरीतियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब कोई भी महिला किसी तरह के प्रतिबंध से आजाद होगी। इसके अलावा अब असहमति से धर्म परिवर्तन करवाने पर पीड़ित पक्ष को तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा.पति-पति के तलाक या घरेलू झगड़े के समय में 5 साल तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास होगी.इस कानून में पति या पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।।विवाह की न्यूनतम आयु युवक के लिए 21 साल और युवती के लिए 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए। इस संहिता में पार्टीज टू मैरेज यानी किन-किन के बीच शादी हो सकती है, इसे स्पष्ट रूप से बताया गया है. शादी एक पुरुष और एक महिला के बीच ही संपन्न हो सकती है। लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी इस संहिता में बात की गई है। संहिता के हिसाब से लिव-इन में रहने के लिए लड़की की आयू कम से कम 18 साल होनी चाहिए. अगर 21 साल से कम उम्र के लड़का और लड़की लिव इन में रहना चाहें तो पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और माता-पिता को जानकारी देनी होगी।अब मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।समान नागरिक संहिता में माता-पिता को मृतक की सम्पत्ति में एक अंश निर्धारित किया गया है। इसके अलावा गर्भस्थ शिशु के अधिकारों को भी सुरक्षित करने का काम किया गया है।समान नागरिक संहिता हत्यारे पुत्र को सम्पत्ति के अधिकार से वंचित किया जाएगा।
रिपोर्ट अशोक झा

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