बांग्लादेश में शांति के लिए इस्कॉन सिलीगुड़ी में प्रार्थना सभा का आयोजन, भटके को सही रास्ता दिखाने का आह्वान
बड़ी संख्या में जुड़े श्रद्धालु, कहा ना बहे किसी का भी लहू, हिंदुओं पर हमले बंद करने की अपील
अशोक झा, सिलीगुड़ी: इस्कॉन मंदिर बांग्लादेश के पूर्व पुजारी को चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी और लगातार हो रही वहां हिंसा को ध्यान में रखते हुए सिलीगुड़ी इस्कॉन मंदिर में प्रार्थना की गई। मंदिर की ओर से आयोजित इस शांति प्रार्थना सभा में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। ईश्वर से भटके हुए को सही राह दिखाने की मांग की गई।
बताया गया कि बांग्लादेश की एक अदालत ने पिछले सप्ताह राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर सुनवाई के लिए तीन दिसंबर की तारीख तय की है। मीडिया में आई खबर में यह जानकारी दी गई है। इस्कॉन मंदिर बांग्लादेश के पूर्व पुजारी को चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया है। तब से हिंदू समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया है। रविवार को बांग्लादेश की पुलिस ने चिन्मय दास से जेल में मुलाकात करने वाले दूसरे हिंदू पुजारी श्याम प्रभु को भी गिरफ्तार कर लिया है। इससे माहौल और बिगड़ गया है। वही दूसरी ओर इस मामले में बांग्लादेश के चटगांव के अतिरिक्त उपायुक्त मोफिज-उर-रहमान के अनुसार, मंगलवार की सुनवाई मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफ-उल-इस्लाम द्वारा की जाएगी। चटगांव की अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि सुनवाई की तारीख पहले ही तय कर दी गई थी, लेकिन बुधवार और बृहस्पतिवार को वकीलों की हड़ताल के कारण घोषणा में देरी हुई। रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई तीन दिसंबर को होगी। ‘बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत’ के प्रवक्ता दास को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया है।
बांग्लादेश की स्थिति लगातार बिगड़ रही है: बंगाल के 21 वर्षीय पर्यटक सायन घोष और बांग्लादेश की वरिष्ठ पत्रकार मुन्नी साहा की हालिया घटनाओं ने बांग्लादेश में धार्मिक और प्रेस स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन घटनाओं ने देश में अल्पसंख्यकों और पत्रकारों की सुरक्षा पर प्रकाश डाला है और इनसे संबंधित गंभीर चिंताओं को सामने रखा है।भारतीय हिंदू पर्यटक सायन घोष पर हिंसक हमला: 23 नवंबर को सायन घोष अपने दोस्त से मिलने ढाका गए थे। लेकिन 26 नवंबर को जब वह भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे। उन्हें हिंदू धर्म के कारण हिंसक हमले का सामना करना पड़ा।घटना ढाका के बागान बारी इलाके में हुई। जहां घोष और उनके मित्र एक आइसक्रीम की दुकान पर मौजूद थे। तभी एक समूह ने उनकी धार्मिक पहचान पूछी और हिंदू होने का पता चलने पर उन पर हमला कर दिया।घोष ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि वे मुझे सड़क पर घसीटकर ले गए। मेरा बटुआ पैसे और फोन छीन लिया। फिर उन्होंने मुझ पर चाकू और पत्थरों से हमला किया। मेरे सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आई।उनके मित्र ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। लेकिन हमलावरों ने उस पर भी हमला किया। हमलावरों ने बांग्लादेश में उनकी उपस्थिति पर सवाल उठाया और यह हमला देश में भारतीय हिंदुओं के प्रति दुश्मनी को उजागर करता है।स्थानीय मदद में असफलता: घोष को स्थानीय अधिकारियों और चिकित्सा सेवाओं से पर्याप्त सहायता नहीं मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की आपातकालीन सेवाओं ने उनकी मदद करने के बजाय उन पर ही आरोप लगाए। किसी भी पुलिस स्टेशन ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की। ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में केवल न्यूनतम प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया। अगले दिन उन्हें धमकियां भी दी गई। जिससे वे पूरी तरह भयभीत हो गए। घोष ने भारत लौटने के बाद कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैं भारतीय हिंदुओं को बांग्लादेश यात्रा न करने की सलाह देता हूं।पत्रकार मुन्नी साहा की गिरफ्तारी: घोष की घटना के बाद बांग्लादेश की वरिष्ठ पत्रकार मुन्नी साहा भी भीड़ की हिंसा और गिरफ्तारी का शिकार बनी। कारवान बाजार क्षेत्र में उन्हें ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच ने कई लंबित मामलों के आरोप में गिरफ्तारी किया। भीड़ का हमला और आरोप: एक वायरल वीडियो में साहा को एक भीड़ ने घेर लिया। जिसमें उन पर बांग्लादेश को भारत में विलय करने की साजिश और 2009 के बांग्लादेश राइफल्स विद्रोह के बारे में गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया गया। भीड़ ने उन्हें देशद्रोह का दोषी ठहराया और बांग्लादेश को धोखा देने का आरोप लगाया। साहा ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह मेरा देश भी है।पुलिस का बयान: ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त रेजाउल करीम मलिक ने गिरफ्तारी की पुष्टि की। लेकिन सटीक आरोपों का उल्लेख नहीं किया। साहा के मामले ने देश में पत्रकारों के लिए उत्पन्न खतरों को उजागर किया है।घटनाओं का व्यापक प्रभाव: सायन घोष और मुन्नी साहा से जुड़ी घटनाएं बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं। घोष पर हमला धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के प्रति बढ़ती हिंसा का प्रतीक है। साहा की गिरफ्तारी ने देश में मीडिया स्वतंत्रता की गिरती स्थिति को उजागर किया है। ढाका की ये घटनाएं उन खतरों और चुनौतियों की याद दिलाती हैं। जो धार्मिक और प्रेस स्वतंत्रता से जुड़े क्षेत्रों में मौजूद हैं। सायन घोष के लिए यह यात्रा शारीरिक और मानसिक पीड़ा का कारण बनी। वहीं मुन्नी साहा की गिरफ्तारी ने देश में पत्रकारों के अधिकारों और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटनाएं मानवाधिकारों की रक्षा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल वैश्विक ध्यान की मांग करती हैं। इन मुद्दों पर बातचीत और कार्रवाई अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई है।