जादवपुर संघर्ष के खिलाफ वामपंथी छात्र संगठनों एसएफआई का सभी विश्वविद्यालय में हड़ताल कल

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: जादवपुर विश्विद्यालय में शिक्षा मंत्री के साथ हुए हिंसक झड़प के विरोध में एसएफआई ने 3 मार्च 2025 को पश्चिम बंगाल के सभी विश्वविद्यालयों में हड़ताल का आह्वान किया है। एसएफआई का आरोप है कि छात्र परिषद चुनाव की मांग कर रहे जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों पर राज्य शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने हमला किया और यहां तक ​​कि उन्हें मारने का प्रयास भी किया। वहीबंगाल कॉलेज एवं विश्वविद्यालय प्राध्यापक संघ (डब्ल्यूबीसीयूपीए) ने यादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में वामपंथी छात्र कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए उत्पात को अशिष्टता बताया है, जहां प्रदर्शनकारियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु का घेराव किया था। इस बवाल के बाद अब राजनीतिक गहमागहमी शुरू हो गई है। टीएमसी और वाम दलों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं।इस घटना को लेकर दोनों दलों के बीच क्या तनातनी चल रही है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह घटना कैसे हुई। हंगामा तब मचा जब कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में शनिवार को राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के दौरे के दौरान छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान कुछ छात्रों ने कथित तौर पर मंत्री की कार का घेराव किया और तोड़फोड़ की और उनके साथ मारपीट भी की। बसु को बाद में एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत स्थिर है। दूसरी ओर, कुछ प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि मंत्री के वाहन की चपेट में आकर उनमें से कुछ छात्र घायल हो गए। यह विरोध प्रदर्शन सीपीआई(एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसएफआई और अन्य वामपंथी छात्र संगठनों के सदस्यों द्वारा किया गया था। छात्र संघ चुनाव जल्द से जल्द कराने की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किया गया। उस समय शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु पश्चिम बंगाल कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रोफेसर संघ के सम्मेलन में शामिल होने गए थे। यह तृणमूल कांग्रेस से जुड़ा संगठन है। इस घटना के बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने उन्हें निशाना बनाया है। प्रदर्शनकारी छात्रों को शिक्षक संघ की बैठक के स्थल पर तोड़फोड़ करते और विश्वविद्यालय के बाहर यातायात को रोकते देखा गया। मंत्री की कार पर जूते फेंके गए, विंडशील्ड तोड़ी गई और नारे लगाए गए। वीडियो में मंत्री की कार का टायर पंचर दिखाई दे रहा है। विरोध क्यों भड़का: विश्वविद्यालय के अंदर टीएमसी के कार्यालय में भी तोड़फोड़ की गई। छात्रों ने छात्रसंघ चुनावों को लेकर बसु से मुलाकात की मांग की थी। इन चुनावों को पांच साल से रोक दिया गया है। जब बसु ने छात्रों से बातचीत करने से इनकार कर दिया, तो विरोध हिंसक हो गया। विरोध प्रदर्शन कई घंटों तक जारी रहा, जबकि बसु परिसर के अंदर बैठे रहे और छात्रों के तितर-बितर होने का इंतज़ार करते रहे। हालांकि, विरोध प्रदर्शन जारी रहा और मंत्री के काफिले की गाड़ी ने उन छात्रों को कुचल दिया जो कार के आगे थे।आख़िरकार मंत्री की गाड़ी को विश्वविद्यालय से ले जाया गया। इसके बाद उन्हें मेडिकल जाँच के लिए सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया। मंत्री ने आरोप लगाया है कि हमले का नेतृत्व मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने किया, वहीं एसएफआई के सदस्यों ने कहा कि मंत्री की गाड़ी ने उन्हें कुचल दिया। रिपोर्ट के अनुसार बसु ने कहा, ‘ऐसे विरोध प्रदर्शन और हमले लोकतांत्रिक कैसे हो सकते हैं हम फिर से अपना सम्मेलन वहीं आयोजित करेंगे। छात्रों ने हमें भड़काने की कोशिश की; वे अराजकता चाहते हैं।’तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने कहा कि छात्रों से बात करने के लिए सहमत होने के बावजूद बसु को शारीरिक रूप से निशाना बनाया गया। घोष ने कहा, ‘बसु ने संयम दिखाया, लेकिन हमारे संयम को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।’ घोष और बसु ने आरोप लगाया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान एसोसिएशन के कई प्रोफेसरों पर हमला किया गया और उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि बाहरी लोगों ने मंत्री की कार को रोककर हिंसा शुरू की। विरोध प्रदर्शन के वीडियो और तस्वीरों से पता चलता है कि एक छात्र के सिर में चोट लगी है।जादवपुर विश्वविद्यालय के एसएफआई सदस्य कौशिकी भट्टाचार्य ने बताया, ‘हमने श्री बसु से यूनियन चुनावों पर बैठक के लिए कई बार अनुरोध किया था, लेकिन वह सहमत नहीं हुए। हमने विरोध किया और टीएमसी के गुंडों ने इस मौक़े का इस्तेमाल विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला करने के लिए किया।’ पश्चिम बंगाल कॉलेज और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जादवपुर पुलिस स्टेशन में छात्र संगठनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब किसी मंत्री को इस विश्वविद्यालय में विरोध का सामना करना पड़ा हो। 2019 में इसी तरह की एक घटना में बीजेपी के पूर्व सांसद और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की कार पर विश्वविद्यालय में हमला किया गया था, जब वे एबीवीपी के एक सेमिनार में बोलने के लिए गए थे।

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