पुस्तकलायाध्यक्ष को सभी विषयो के ज्ञान के साथ ही पुस्तकालय विज्ञान का प्रायोगिक ज्ञान आवश्यक है – LMP सिंह

वाराणसी। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा नॉलेज ट्रांसक्शन इन डिजिटल स्कालरशिप विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन दिनांक 11 अप्रैल 2023 को 2:30 बजे विज्ञान संकाय के महामना हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष श्री एल.एम.पी. सिंह, तकनीकी सत्र निदेशक के रूप में इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. वी.के.वी. जीवन एवं रिपोर्टर जनरल के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. मनोरमा त्रिपाठी उपस्थित रही।
कार्यक्रम के आरंभ में सेमिनार के संयोजक प्रो. एच.एन. प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सेमिनार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में लाइब्रेरी के बदलते स्वरूप एवं ज्ञान के संरक्षण मे इसकी भूमिका पर चर्चा के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसमें 5 तकनीकी सत्रों में सूचना एवं ज्ञान के बदलते स्वरूप की चर्चा की गई।
संगोष्ठी की रिपोर्टर जनरल डॉ. मनोरमा त्रिपाठी ने सेमिनार के रिपोर्ट का वाचन किया। उन्होंने सेमिनार में प्रस्तुत शोधपत्रों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस सेमिनार में प्रस्तुत शोधपत्रों द्वारा लाइब्रेरीज़ में नॉलेज के ट्रांसेक्शन के विभिन्न आयामो की चर्चा की गयी। देशभर से जुटे हुए शोधार्थियों ने सेमिनार के थीम पर अपने शोध को दूसरे शोधार्थियों के साथ साझा किया। हमे आशा है कि शोधार्थी आपस मे कोलैबोरेशन कर इस सेमिनार से प्राप्त ज्ञान का उपयोग करेंगे।
तकनीकी सत्र निदेशक डॉ. जीवन ने अपने उद्बोधन में तकनीकी सत्रों में शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत शोधकार्यो की सराहना करते हुए कहा कि यह सेमिनार शोधार्थियों के ज्ञानवर्धन में कामयाब रहा। तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत शोधपत्रों में वर्तमान आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस युग मे लाइब्रेरी प्रोफेशन के विभिन्न आयामो के साथ साथ इसके महत्व, उपयोगिता एवं चुनौतियों पर चर्चा की गई।
मुख्य अतिथि श्री एल.एम.पी. सिंह ने अपने कार्य अनुभवों को उपस्थित लोगों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि हर शिक्षण संस्था की भांति विश्वविद्यालय का पुस्तकालय संस्था का हृदय स्थल होता है जो कि विश्वविद्यालय के सभी विभागों को ज्ञान का सतत प्रवाह करके समृद्ध करता है। उन्होंने बताया कि लाइब्रेरी प्रोफेशन पिछले 3 दशक में पूरी तरह बदल गया है। लाइब्रेरी सिर्फ पुस्तक प्रदाय करने वाली संस्था नही रही बल्कि ज्ञान के संवर्धन, संरक्षण एवं प्रसार करने वाली संस्था हो गयी है। उन्होंने पुराने समय मे लाइब्रेरी के समक्ष आयी चुनौतियों की चर्चा करते हुए वर्तमान समय की चुनौतियों से भी उनकी तुलना की। उन्होंने कहा कि अच्छे पुस्तकलायाध्यक्ष को सभी विषयो के ज्ञान के साथ ही पुस्तकालय विज्ञान का प्रायोगिक ज्ञान आवश्यक है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विभाग के विभागाध्यक्ष एवं आयोजन सचिव प्रो. आदित्य त्रिपाठी ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों के अभूतपूर्व सहयोग की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रजनी मिश्रा ने किया। इस अवसर पर उपस्थित रहे।

इसके पूर्व दिन का पहला तकनीकी सत्र एलआईएस पेडागोजी एंड रिसर्च थीम पर आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता बाबासाहेब भीमराव केन्द्रीय विश्वविद्यालय की आचार्य प्रो. शिल्पी वर्मा ने की। इसमें ई-लर्निंग, मूक, नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 एवं लाइब्रेरी रिसर्च विषयों पर आधारित कुल 8 शोधपत्र प्रस्तुत किये गए।
द्वितीय सत्र में डेटा मैनेजमेंट एंड इंटेलीजेंट टेक्नोलॉजीज थीम पर शोधार्थियों द्वारा शोधपत्र का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. ने की। इस सत्र मे रिसर्च डेटा मैनेजमेंट, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इन लाइब्रेरीज़ जैसे विषयों पर आधारित 10 शोधपत्रों का वाचन किया गया।
ये जानकारी प्रोफेसर आदित्य त्रिपाठी विभागाध्यक्ष ने दी।

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