बांग्लादेशियों को शरण देने की घोषणा कर बुरी फंसी सीएम ममता बनर्जी
राज्यपाल ने मांगा जवाब, भाजपा और बीएचपी ने की आलोचना
अशोक झा, कोलकोता: बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा प्रभावित बांग्लादेश के लोगों को शरण देने संबंधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उनसे रिपोर्ट मांगी है। राजभवन के मीडिया प्रकोष्ठ ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा कि विदेशी मामलों से संबंधित किसी भी मसले को संभालना केंद्र का विशेषाधिकार है। मीडिया प्रकोष्ठ ने कहा कि विदेशियों को शरण देने का मसला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।विदेशियों को शरण देने के संबंध में मुख्यमंत्री का सार्वजनिक रूप से बयान देना बेहद गंभीर प्रकृति का संवैधानिक उल्लंघन है।
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के बांग्लादेशी शरणार्थियों को बंगाल में शरण देने वाले बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने ममता बनर्जी पर देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।
घुसपैठ को सही ठहरा रहीं ममता: बीजेपी बीजेपी की ओर से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह बांग्लादेश में संकट में फंसे लोगों को आश्रय देने को तैयार हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी का यह बयान राज्य में घुसपैठ को न्यायोचित्त ठहराने वाला है। पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा: बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने ममता बनर्जी के उस बयान के लिए उन पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि वह चाहती हैं कि बंगाल भारत के साथ अच्छे संबंध रखे। उन्होंने सवाल किया कि उनके इस बयान का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है।बांग्लादेशियों को शरण देने का फैसला: कोलकाता में एक रैली में ममता बनर्जी ने कहा था कि बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर वह पड़ोसी देश से परेशान लोगों के लिए अपने राज्य के दरवाजे खुले रखेंगी और उन्हें शरण देंगी. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऐसे मुद्दे पूरी तरह से भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह केंद्र सरकार ही थी, जिसने 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेशियों को शरण देने का फैसला किया था।
ममता बनर्जी पर घुसपैठ को सही ठहराने का आरोप: उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेता पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए संशोधित नागरिकता कानून का कड़ा विरोध करती रही हैं लेकिन वह घुसपैठियों की मदद करना चाहती हैं. बीजेपी नेता ने ममता बनर्जी पर घुसपैठ को सही ठहराने की कोशिश करने और पश्चिम बंगाल की जनसांख्यिकी बदलने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि राज्य में तीन मुस्लिम बहुल जिले हुआ करते थे लेकिन यह संख्या बढ़कर अब नौ हो गई है।
वीएचपी ने भी कड़े शब्दों में निंदा: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एक रैली में बांग्लादेश के लोगों को शरण देने के बयान को देश में काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। देश के आम लोगों से लेकर कई नेता इस बयान का विरोध कर रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र जैन ने ममता बनर्जी के इस बयान की निंदा की है। उन्होंन कहा, “बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत ने बांग्लादेश को जन्म दिया है। इसलिए बांग्लादेश में कुछ भी होता है, इसका सीधा असर भारत पर पड़ता है। बांग्लादेश में लगभग 12000 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, उनका जीवन संकट में है। अगर ममता बनर्जी बांग्लादेशी घुसपैठियों के स्वागत की बजाए यह कहती कि वह केंद्र सरकार के साथ मिलकर उन विद्यार्थियों को सकुशल भारत लाने में सहयोग करेंगी तो पता चलता कि ममता बनर्जी का कहीं न कहीं पश्चिम बंगाल के साथ लगाव है। वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, यह शर्म की बात है कि इस त्रासदी में भी वह अपने वोट बैंक का अवसर ढूंढ रही हैं।”वह आगे कहते हैं, “ममता इस आपदा में वोट बैंक बढ़ाने का अवसर ढूंढ रही हैं। आप बांग्लादेशी मुसलमानों को लाना चाहती हैं। क्या बांग्लादेश में रहने वाला हिंदू, हिंदू नहीं है। आप बंगाल की अस्मिता की बात करती हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं की लड़कियों को उठाया जा रहा है, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। वहां नरसंहार हो रहा है। बांग्लादेश के कई क्षेत्र हिंदुओं के लिए कब्रिस्तान बनते जा रहे हैं। इस आपदा में अगर आप यह कहती कि खबरदार बांग्लादेश में बंगालियों की तरफ अगर किसी ने अगर आंख भी उठाई, तो समझ में आता कि आपको पश्चिम बंगाल के लोगों की चिंता है। ना आपको देश की चिंता है, ना आपको बंगाल की चिंता है। बांग्लादेशी घुसपैठियों का यह खेल आत्मघाती है, जो ना आपके लिए हितकर है और ना ही पश्चिमी बंगाल के लिए। इसलिए बांग्लादेशी घुसपैठियों की चिंता को छोड़कर पश्चिम बंगाल की चिंता करो, देश की चिंता करो, संविधान की चिंता करो क्योंकि बांग्लादेशी घुसपैठियों का स्वागत किसी हाल में नहीं हो सकता।