जीवित्पुत्रिका व्रत: इसे जितिया व्रत और जिउतिया व्रत भी कहा जाता है

बच्चें के लंबी उम्र के लिए मां करती है यह निर्जला व्रत

अशोक झा

जीवित्पुत्रिका व्रत एक महत्वपूर्ण त्योहार है। माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को रखा जाता है। इसे जितिया व्रत और जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत मुख्यतः महिलाएं करती हैं। हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है।मान्यता है कि इस व्रत को विधि विधान के साथ रखने से संतान का हर प्रकार से कल्याण होता है। संतान को लंबी आयु और निरोगी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को दुःख या बीमारी से बचाया जा सकता है।इस व्रत को करने से न केवल संतान का कल्याण होता है बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है।आइए जानते हैं जितिया व्रत कब रखा जाएगा, शुभ मुहूर्त, और इस व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, जानें व्रत के सभी नियम।जितिया व्रत 2024: पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की आरंभ 24 सितंबर 2024 की दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर हो रहा है, और अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन 25 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष जितिया व्रत 25 सितंबर, दिन बुधवार को रखा जाएगा।जितिया व्रत 2024 शुभ मुहूर्त : पंचांग के अनुसार, 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी और 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत रखा जाएगा। 25 सितंबर 2024, दिन बुधवार को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।जितिया व्रत 2024 व्रत पारण का समय: जितिया व्रत का पारण तीसरे दिन किया जाता है। अष्टमी तिथि पर सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। पारण के दौरान रागी की रोटी, तोरई, नोनी का साग और चावल का सेवन करने की परंपरा है। 26 सितंबर, गुरुवार को जितिया व्रत का पारण किया जाएगा।।व्रत पारण के लिए शुभ समय सुबह 04 बजकर 35 मिनट से लेकर सुबह के 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।जितिया व्रत के नियम: यह व्रत पूरे नियम और विधि विधान के साथ किया जाता है। इस व्रत को घर में पहले सास रखती है, फिर बहू के द्वारा इस व्रत को रखा जाता है। एक बार जितिया व्रत करने के बाद उसे बीच में नहीं छोड़ा जाता है। इस व्रत को हर साल करने की परंपरा है। यदि किसी घर में कोई महिला इस व्रत को रखना शुरु करती है तो उसके बाद उसकी बहू को इस व्रत को रखने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ये व्रत रखना चाहिए।नहाय-खाय: जितिया व्रत से एक दिन पहले महिलाएं स्नान करके सात्विक भोजन करती हैं. इसे “नहाय-खाय” कहा जाता है। इस दिन केवल एक बार भोजन करने की परंपरा होती है।निर्जला व्रत: नहाय-खाय के अगले दिन इस व्रत को बिना अन्न और जल के रखा जाता है। यह निर्जला व्रत होता है, जिसमें पूरा दिन और रात बिना भोजन और पानी के व्रत रखा जाता है।इस दिन स्नान करने के बाद पूरे दिन विधि-विधान से व्रत रखना चाहिए। इस दिन गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की कुश से बनी हुई मूर्ति की पूजा करनी चाहिए और शाम के समय कथा सुननी चाहिए। जितिया व्रत में चील और सियार की गाय के गोबर से मूर्ति बनाकर उनकी विशेष रूप से पूजा करने की परंपरा है।व्रत का पारण: इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इस व्रत में पूरे दिन कुछ खाएं या पिएं नहीं, ये इस व्रत का विशेष नियम माना जाता है। इस व्रत का पारण नवमी तिथि वाले दिन स्नान और पूजा पाठ करने के बाद करना चाहिए।तामसिक चीजों का न करें सेवन: जितिया व्रत के दिन भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।ब्रह्मचर्य का पालन: जितिया व्रत के दौरान पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और भूलकर भी इस दिन घर में लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए। कठिन नियम: मान्यता है कि इस व्रत को धारण करने वाली महिलाओं को व्रत के दिन बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। व्रत के दौरान भूमि पर ही विश्राम करना चाहिए।

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