Basti News: दुबौलिया क्षेत्र के गोविंदपारा के प्रधान का वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज
Basti News: दुबौलिया क्षेत्र के गोविंदपारा के प्रधान का वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज
गोविन्दपारा निवासी मनोज कुमार त्रिपाठी ने शपथ-पत्र देकर ग्राम पंचायत के विकास कार्य में अनियमितता का आरोप लगाया था। आरोप है कि जांच नहीं होने के चलते मनोज कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट की शरण ली और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दिया। कोर्ट ने प्रकरण में जांच कराने और उसके सापेक्ष कार्रवाई का आदेश पारित किया।
कोर्ट के आदेश पर डीएम ने जांच टीम गठित की। जांच टीम में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी ग्राम पंचायत एवं सहकारी समितियां, अधिशाषी अभियंता जल निगम और जेई पीडब्लूडी प्रांतीय खंड को शामिल किया गया। जांच टीम ने गांव के विकास कार्य की जांच की। जांच के समय प्रधान, प्रधान के बेटे और शिकायतकर्ता मौजूद रहे। शिकायतकर्ता ने बताया कि एक सरकारी कर्मी को बिजली विभाग में कार्यरत है को मनरेगा के तहत 293 दिन काम दिया गया है। जांच के दौरान टीम ने शिकायत को सही पाया और 62409 रुपये सरकारी गड़बड़ी का दोषी बताया। हालांकि कारण बताओ नोटिस में प्रधान ने बताया कि यह व्यक्ति बिजली विभाग में कार्यरत नहीं है और मनरेगा का ही कार्य किया है।
इसके अलावा नौ और बिन्दुओं पर जांच हुई। जांच टीम ने विभिन्न कार्य में अनियमितता के लिए ग्राम प्रधान किरन देवी, सचिव विवेकानंद और तीन तकनीकी सहायक दिनेश कुमार शुक्ल, बाबूलाल वर्मा और राजेशधर द्विवेदी को दोषी माना। डीपीआरओ ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। समूचे प्रकरण पुन जांच हुई। यह जांच उपायुक्त श्रम रोजगार और जिला लेखा परीक्षा अधिकारी ने किया। जांच में पाया गया कि प्रधान ने अपना प्रतिनिधि नामित किया है। पंचायतीराज अधिनियम में प्रधान को प्रतिनिधि नामित करने का कोई अधिकार नहीं हैं। प्रधान इसके लिए दोषी हैं। इतना ही नहीं वे अपनी बीमारी का इलाज के लिए मुंबई चली गईं। इस दौरान उन्होंने कार्यवाहक प्रधान के लिए कोई आवेदन नहीं किया। इसके लिए वह दोषी हैं। डीएम रवीश गुप्ता ने दोनों जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर प्रधान को दोषी माना। उन्होंने पंचायतीराज अधिनियम की धारा 95 की उपधारा एक के खंड छह के तहत कार्रवाई प्रस्तावित की और प्रधान किरन देवी के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार को प्रतिबंधित कर दिया। प्रधान के कार्य का संपादन करने के लिए तीन सदस्यीय टीम अलग से गठन करने निर्देश दिया। समूचे प्रकरण की अंतिम के लिए डीपीआरओ को नामित किया है।