शोर शराबे के बीच संसद में पेश हुआ ‘वक्फ’ पर JPC रिपोर्ट, विरोध में पूरा विपक्ष

 

नई दिल्ली से अशोक झा: मोदी सरकार ने 7 महीने बाद वक्फ बिल को फिर से संसद में पेश कर दिया है। हालांकि, वक्फ संशोधन बिल को इस बार जेपीसी की रिपोर्ट के जरिए पेश किया गया है।इसके बावजूद विपक्ष ने इसका विरोध जताया है। जानकारी के मुताबिक, सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई। लोकसभा में सरकार की तरफ से भरोसा दिलाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। इससे पहले राज्यसभा में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने आश्वासन दिया कि रिपोर्ट का कोई भी हिस्सा हटाया नहीं गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर को रिपोर्ट का कोई भी हिस्सा रखने या हटाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यप्रणाली और नियमावली को देखते हुए नीर-क्षीर विवेक के आधार पर स्पीकर को फैसला करना है, जिस पर भाजपा को कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने भी कहा कि विपक्षी सांसदों की असहमतियों और सभी बयानों को संसदीय नियमावली के आलोक में जेपीसी की रिपोर्ट के साथ संलग्न किया गया है।सरकार पर असहमति के स्वर को जगह नहीं देने का आरोप राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट मेधा कुलकर्णी ने पेश की। रिपोर्ट पेश होने के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इससे कई सदस्य असहमत हैं। खरगे ने जेपीसी की रिपोर्च को फर्जी और अलोकतांत्रिक करार दिया। उन्होंने कहा कि बाहर से सदस्यों को आमंत्रित कर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसी असंसदीय रिपोर्ट को सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि अगर रिपोर्ट में असहमति के स्वर को जगह नहीं दी गई है तो ऐसी स्थिति में इसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को हर हाल में वापस किया जाना चाहिए।सरकार का स्पष्टीकरण: जेपीसी की रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि संसदीय नियमावली में नियम 72 से 92 तक चयन समिति से जुड़े नियमों का उल्लेख किया गया है। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए साफ किया कि सभापति को पूरा अधिकार है कि किसी रिपोर्ट को स्वीकार करना सभापति का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि सभापति को नियमों के तहत शक्तियां प्रदत्त हैं। इसलिए सभापति के फैसले को गलत नहीं बताया जा सकता। विपक्ष की आपत्ति बेबुनियाद और तथ्यहीन है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट नियमों के तहत तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के बाद विपक्ष उस पर चर्चा के लिए स्वतंत्र है। विपक्ष जानबूझकर गतिरोध और व्यवधान पैदा कर रहा है।जेपीसी की रिपोर्ट में असहमति के बयान भी, केवल आक्षेप लगाने वाले कुछ अंश हटाए गए: रिजिजू
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट से किसी हिस्से को हटाने का आरोप बिल्कुल झूठा है। उन्होंने कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। अब सदन के पटल पर रिपोर्ट पेश किए जाने पर विपक्षी सदस्य गुमराह कर रहे हैं। रिजिजू ने कहा कि असहमति के तमाम बयानों को भी जेपीसी की रिपोर्ट में शामिल किया गया है। सभी बातें सदन के रिकॉर्ड में हैं। विपक्ष का व्यवहार निंदनीय है। उन्होंने कहा, संसदीय समिति पर आक्षेप लगाने वाले कुछ अंश रिपोर्ट से हटाए गए हैं। समिति पर ही संदेह पैदा करने वाले कुछ बिंदुओं को हटा दिया गया है। समिति के अध्यक्ष को ऐसा करने का अधिकार है। सब कुछ नियमों के अनुसार किया गया है। आपत्ति दर्ज कराने के लिए संबंधित जेपीसी सदस्य अपील कर सकते हैं
रिजिजू ने सदन के बाहर संसद परिसर में कहा, ‘यदि नोट में कुछ ऐसा है जो अध्यक्ष को लगता है कि समिति पर आक्षेप लगाने के बराबर है, तो उनके पास इसे हटाने का अधिकार है।’ अंश हटाने पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए संबंधित जेपीसी सदस्य सभापति के समक्ष अपील कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में केवल बहुमत के सदस्यों के विचारों को रखे जाने का आरोप लोकतंत्र विरोधी है।केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी भड़कीं
सभापति धनखड़ ने सरकार की तरफ से दिए गए स्पष्टीकरण के बावजूद राज्यसभा में हंगामा करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने बिल्कुल साफ शब्दों में सदन को आश्वस्त किया है कि जेपीसी रिपोर्ट के किसी भी हिस्से को डिलीट नहीं किया गया है। सदन के रिकॉर्ड पर झूठा बयान नहीं दिया जा सकता। हंगामे के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी विपक्षी सदस्यों के आचरण की निंदा की।सरकार बोली- विपक्ष का हंगामा करना हास्यास्पद
विपक्षी सदस्य अब्दुल्ला ने सवाल किया कि एक मंत्री ये आश्वासन कैसे दे रहे हैं कि जेपीसी रिपोर्ट का कोई हिस्सा डिलीट नहीं किया गया है। इस पर किरेन रिजिजू ने कहा कि बीते छह महीने में व्यापक चर्चा और मंथन के बाद जेपीसी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखा गया है। जब जेपीसी की रिपोर्ट को सदन में बहस के लिए दोबारा पेश किया जाएगा, उस समय तमाम सदस्य इस पर चर्चा कर सकते हैं। विपक्ष का इस तरह हंगामा करना बिल्कुल हास्यास्पद है। जेपीसी रिपोर्ट पर जमकर हंगामे और सरकार के इस बयान के बाद सभापति ने शून्यकाल में जनहित के मुद्दे उठाने की अनुमति दी।विपक्षी सांसदों ने केंद्रीय मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया
कर्नाटक से निर्वाचित कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने केंद्रीय मंत्री रिजिजू पर संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से प्रकट की गई असहमति के अंशों को हूबहू जेपीसी की रिपोर्ट का हिस्सा नहीं बनाया गया है। सरकार राज्यसभा में गलत जानकारी दे रही है। उनके अलावा पश्चिम बंगाल से निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले ने भी कहा, वे सदन के पटल पर ऑन रिकॉर्ड यह बयान दर्ज कराना चाहते हैं कि असहमति के अंशों को असंसदीय और सनसनी पैदा करने का प्रयास बताकर जेपीसी की रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। रिजिजू ने दोबारा सदन को भरोसा दिलाने का प्रयास किया विपक्षी सांसदों के बयान के बाद सभापति धनखड़ ने कहा कि पहली बार देश के इतिहास में एक बौद्ध धर्म के अनुयायी सांसद को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया है। वे पूरी दुनिया में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बाद केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि सचिवालय से इस बात की पुष्टि कराई गई है कि जेपीसी रिपोर्ट का कोई भी हिस्सा डिलीट नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने जेपीसी को और समय देने की मांग की है। इस पर वे आश्वस्त करना चाहते हैं कि इस जेपीसी की तरह के व्यापक विचार विमर्श और मंथन का काम किसी भी समिति ने इतिहास में नहीं किया है। इसके बाद सदन में प्रश्नकाल की शुरुआत हुई।सदन के नेता जेपी नड्डा ने जेपीसी रिपोर्ट पर हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को पूरा मौका दिए जाने के बावजूद उन्होंने बेबुनियाद मुद्दों पर हंगामा किया। नड्डा ने कहा कि सभापति ने दरियादिली दिखाते हुए असंसदीय आचरण करने वाले सदस्यों को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया। नड्डा ने कहा कि हंगामा करने वाले विपक्षी सांसद तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। नड्डा ने कहा कि सभापति को रिपोर्ट से किसी भी अंश को मिटाने का विशेषाधिकार हासिल है, इसके बावजूद जेपीसी की रिपोर्ट का कोई भी हिस्सा नहीं हटाया गया है।विपक्ष का वॉकआउट नड्डा ने कहा कि कुछ लोग देश को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष का वॉकआउट दिखाता है कि वे देशद्रोही गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह ऑन रिकॉर्ड आना चाहिए कि कुछ लोग देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मंशा रखते हैं।सभापति धनखड़ ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट का जिक्र किया
जेपीसी की रिपोर्ट पर सरकार और विपक्ष के बीच वार-पलटवार के बीच सभापति धनखड़ ने कहा कि जब देश में मंडल कमीशन की रिपोर्ट सामने आई थी। उस समय भी बड़े बदलाव हो रहे थे। सभापति ने कहा, जब भी देश की जनता बदलाव और समस्या का समस्या का समाधान चाहती है तो विरोध की ऐसी घटनाएं भी होती हैं। उन्होंने कहा कि वे 9वीं लोकसभा के सदस्य थे उसी समय मंडल कमीशन की रिपोर्ट आई थी। तत्कालीन सरकार का भी जमकर विरोध हुआ था। अब वक्फ बिल भी वैसा ही इतिहास बनाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन सदस्यों के असंसदीय आचरण पर उन्होंने दरियादिली नहीं दिखाई है। सभापति ने कहा, अगर सदन समय समाप्ति के पहले फैसला नहीं लेता है तो ये संविधान निर्माताओं का अपमान होगा। उन्होंने कहा कि हंगामा करने वाले सदस्यों की संख्या से फर्क नहीं पड़ता। ऐसे बर्ताव की अनदेखी करने के दूरगामी परिणाम होंगे। इससे देशहित खतरे में पड़ सकता है।तीन सदस्यों के निलंबन की मांग : सभापति की इस टिप्पणी पर इस पर सत्तापक्ष की तरफ से कहा गया कि तीनों सदस्यों को आज पूरे दिन के लिए निलंबित किया जाए। सभापति ने कहा कि इस संबंध में संसदीय नियमावली और कानून का पालन करते हुए जरूरी कार्रवाई की जाएगी।ओवैसी बोले- जेपीसी रिपोर्ट में असहमति के 70% संपादित अंश शामिल
वक्फ संशोधन विधेयक पर लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद संसद परिसर में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, यह विधेयक असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है। इस विधेयक का मकसद वक्फ को बचाना नहीं बल्कि इसे बर्बाद करना और मुसलमानों से इसे छीनना है। उन्होंने कहा कि वे इस विधेयक की निंदा करते हैं। ओवैसी ने कहा, लोकसभा स्पीकर ने आश्वासन दिया है कि जेपीसी रिपोर्ट में सांसदों की असहमति के 70% संपादित संस्करण शामिल किए जाएंगे।

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