सैर सपाटा : ऑरलैंडो 3 @ शाकाहारी नाश्ते में विविधता

सैर सपाटा : ऑरलैंडो 3
ऑरलैंडो के जिस होटल में ठहरे हुए थे , वहां सुबह 10:00 बजे तक ही नाश्ता मिलने की व्यवस्था थी। हमारी योजना यह थी कि भरपूर नाश्ता करके घूमने के लिए निकलना चाहिए। पता नहीं दोपहर में खाने का अवसर मिलेगा या नहीं।
खाने के सामान टेबल पर सजे हुए थे । अपनी इच्छा अनुसार ले लीजिए। अमेरिका में इतने शाकाहारी व्यंजन हो सकते हैं , इसकी तो कल्पना भी नहीं थी। फलों में केला, संतरा, सेब। जूस भी कई फलों के। दूध पीना है दूध पीजिए। चाय- कॉफी की इच्छा हो रही हो तो खुद बनानी पड़ेगी । नाश्ते की चीजें भी कम नहीं थीं- कार्नफ्लेक्स,ओट्स , टोस्ट बटर, भुना हुआ आलू , क्रीम चीज बेगल, वाफल्स, योगर्ट, एप्पल रोल, सिनेमन, मफीन्स ।
इतने सारे नाम मुझे कैसे मालूम? दरअसल मैंने उनके नाम पढकर और पूछ कर जाना था। जबकि नॉनवेज नाश्ता करने वालों के लिए सिर्फ दो ही आइटम मौजूद थे या तो अंडा खाना पड़ेगा या आमलेट से काम चलाइए ।
मुझे तो लगता था कि अमेरिका में शाकाहारी व्यक्ति के लिए पर्याप्त दिक्कत होगी । लेकिन यहां तो बड़े मजे से अपना काम चल रहा है। घर में तो कोई परेशानी ही नहीं थी। अब बाहर भी आकर देख लिया। पर इतना सारा नाश्ता सिर्फ मेरे लिए ही नहीं था बल्कि होटल में जो तमाम अतिथि ठहरे हुए थे उन सब के लिए था।
टेबल की सफाई खुद कीजिए
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जब हम टेबल पर नाश्ता करने पहुंचे तो साफ सुथरी थी। लेकिन जब हमने नाश्ता कर लिया तो अपनी प्लास्टिक की प्लेट , गिलास खुद कूड़ेदान में डाली और मेज को खुद ही साफ किया ।
क्योंकि हम पहले ही देख चुके थे कि लोग खाने के बाद खुद अपनी टेबल को साफ कर रहे थे । इसे अमेरिकियों का स्वभाव कहूं या शिष्टाचार कहूं या क्या नाम दूं मैं समझ नहीं पाता ।
एक अन्य ध्यानाकर्षित करने वाली घटना भी वर्णनीय है । इस होटल में जो वेटर थे उनको भी गुड मार्निंग कहने वाले हमारे जैसे ग्राहक थे। ऐसा नहीं लगा कि वेटर और ग्राहक में कोई भेद है।
अगर अपने देश में भी यह प्रचलन में होता तो क्या ही अच्छी बात होती।
आर्जेटाइना ने जीता फीफा विश्वकप
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जिस हाल में हम नाश्ता कर रहे थे, वहां लगे टीवी में फीफा विश्वकप का फाइनल मैच चल रहा था । फुटबॉल तो अमेरिकियों के लिए एक जुनून की तरह होता है।
लोग नाश्ता भी रहे थे और टीवी पर नजरें भी टिकीं थीं। अर्जेंटीना और फ्रांस का रोमांचक मुकाबला चल रहा था। खेलों में मेरी दिलचस्पी बहुत कम है । लेकिन जब तमाम लोगों का रुझान फुटबॉल में दिख रहा हो , तो मैं बिल्कुल अलग कैसे हो सकता था। बाद में पता चला कि विश्वकप अर्जेंटीना के खाते में चला गया है। वैसे अर्जेंटीना के समर्थक हाल में नजर भी आ रहे थे।
क्रमश: …….-लेखक आशुतोष पाण्डेय अमर उजाला वाराणसी के सीनियर पत्रकार रहे हैं, इस समय वह अमेरिका घूम रहे हैं,उनके संग आप भी करिए दुनिया की सैर

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