यूपी भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक परम्परा का हृदय स्थल: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने ‘हायर एजुकेशन काॅन्क्लेव-उच्च शिक्षा नीति मंथन’ कार्यक्रम को सम्बोधित किया
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक परम्परा का हृदय स्थल है। यह देश व दुनिया के सामने अपनी परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करता है। उत्तर प्रदेश असीम सम्भावनाओं वाला प्रदेश है। भारत ने वैश्विक मंच पर दुनिया को नेतृत्व दिया, लेकिन उसमें एक क्षेत्र जिसे हमने विस्मृत कर दिया, वह शिक्षा का क्षेत्र था। एक समय भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित था और उत्तर प्रदेश उसकी आधारभूमि था। भारतीय मनीषा ने ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ का उद्घोष किया। यह इस बात की पे्ररणा थी कि ज्ञान जहां से भी आए उसके लिए द्वार खुले रखे। वर्ष 2020 मंे जब दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त थी, तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को राष्ट्रीय शिक्षा नीति दी। प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश के सामने शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु होने के एहसास को फिर से प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री जी आज यहां ‘हायर एजुकेशन काॅन्क्लेव-उच्च शिक्षा नीति मंथन’ के आयोजन के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि हायर एजुकेशन कान्क्लेव का आयोजन प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग तथा टाइम्स आॅफ इण्डिया ग्रुप की ओर से किया जा रहा है। इसका नाॅलेज पार्टनर डेलाॅएट है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में प्रयास प्रारम्भ किये हैं। प्रदेश ने पिछले 05-06 वर्षों में एक लम्बी यात्रा तय की है। इस दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी हुई है। प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय दोगुनी हुई है। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हुई है। उत्तर प्रदेश ने इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट के कुछ माॅडल खड़े किये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश की असीम सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने में हमारे शैक्षिक संस्थान योगदान दे सकते हैं। इन सम्भावनाओं को नई उड़ाने देने के लिए प्रदेश के कुछ केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों ने अच्छे प्रयास प्रारम्भ किये हैं। उन्होंने रिसर्च और इनोवेशन के कुछ नये माॅडल दिये हैं। इस दिशा में विस्तृत मनन करने, ज्ञान का आदान प्रदान करने, अपने शोध और नवाचार को प्रदेश के सभी क्षेत्रों तक विस्तार देने और उत्तर प्रदेश को शिक्षा के बेहतरीन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए इस काॅन्क्लेव का आयोजन किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में यू0पी0 ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन होने जा रहा है। इस समिट के आयोजन के पूर्व ही उच्च शिक्षा संस्थानों में निवेश के 54 प्रस्ताव अब तक प्राप्त हो चुके हैं। नये विश्वविद्यालय तथा नये शिक्षा केन्द्र स्थापित करने के लिए 01 लाख 57 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले हैं। इस काॅन्क्लेव के माध्यम से कुछ नये निजी विश्वविद्यालयों के आशय पत्र वितरित करने के कार्य भी आगे बढ़ाये जाएंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यहां विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, राज्य विश्वविद्यालयों तथा निजी विश्वविद्यालय के कुलपति, अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हुए प्रतिनिधि, प्रदेश सरकार के शिक्षा से जुड़े हुए सभी मंत्रीगण तथा प्रदेश सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने कुछ अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के कैम्पस भी स्थापित करने की स्वतंत्रता दी है। इसके लिए हमें स्वयं को तैयार करना होगा। हमें एक नया माॅडल देना होगा। हमें शोध तथा डाॅक्युमेन्टेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए नये सिरे से कार्य करना होगा। इनोवेशन के लिए अपने युवाओं को प्रेरित करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। आज राज्य अपने संसाधनों से किसी भी बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य को आगे बढ़ा सकता है। हमने उत्तर प्रदेश की सम्भावनाओं को साकार करने के लिए कुछ सेक्टर चिन्हित किये। देश की सबसे अच्छी उर्वरा भूमि व जल संसाधन हमारे पास है। प्रदेश में देश की 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है, लेकिन देश की कुल 11 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि प्रदेश मंे हैं। इसी 11 प्रतिशत भूमि से उत्तर प्रदेश देश का कुल 20 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादित करता है। हमारे हर जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्र है। प्रदेश में राज्य शासन के स्तर पर 04 कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं। इन्हें सेन्टर आॅफ एक्सीलेन्स के रूप में विकसित करने की कार्यवाही प्रारम्भ हुई है। नये रिसर्च प्रारम्भ हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश अपनी कृषि योग्य भूमि से तीन गुना अधिक खाद्यान्न उत्पादन करने की क्षमता रखता है। इसके लिए हमें कृषि के नये स्टार्टअप स्थापित करने की दिशा में कार्य प्रारम्भ करना होगा। आप सभी को अपने-अपने विश्वविद्यालयों को इसका केन्द्र बनाना होगा। स्टार्टअप की सम्भावनाएं आई0टी0 एवं आई0टी0ई0एस0 के साथ ही कृषि के क्षेत्र में भी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एम0एस0एम0ई0 का बहुत बड़ा बेस है। प्रदेश में वर्तमान में 96 लाख एम0एस0एम0ई0 इकाइयां हैं। पहले यह क्षेत्र शासन की उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा था। वर्ष 2017 में सत्ता में आने के बाद हमने एम0एस0एम0ई0 को ‘एक जनपद एक उत्पाद’ (ओ0डी0ओ0पी0) के रूप में प्रोत्साहित किया। इनके उत्पादों की ब्राण्डिंग करते हुए बाजार उपलब्ध कराया। इन्हें नई डिजाइन तथा नई तकनीक उपलब्ध करायी। इनको पी0एन0जी0 एवं विद्युत की सुविधा उपलब्ध करायी। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश का एक्सपोर्ट दोगुने से ज्यादा हुआ है। आज एम0एस0एम0ई0 के माध्यम से उत्तर प्रदेश 01 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का एक्सपोर्ट कर रहा है। इस क्षेत्र मंे नये स्टार्टअप स्थापित करने की अनेक सम्भावनाएं हैं। इसमें आप कार्य कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश मंे स्किल्ड तथा अनस्किल्ड मैनपावर उपलब्ध है। भारत दुनिया में सबसे युवा राष्ट्र है। उत्तर प्रदेश देश में सबसे युवा राज्य है। सबसे अधिक यूथ हमारे पास है। इन युवाओं में अनन्त सम्भावनाएं हैं। इनकी सम्भावनाओं को आगे बढ़ाना होगा। शैक्षिक संस्थानों को उद्योगों के साथ प्रारम्भ से ही एम0ओ0यू0 करना चाहिए। विश्वविद्यालयों को स्थानीय स्थितियों पर कार्य करना चाहिए। सरकार जब भी कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करती है, तो इसके लिए सोशल इम्पैक्ट स्टडी कराती है। विश्वविद्यालयों को सरकार के लिए यह स्टडी करनी चाहिए। इस कार्य के लिए संस्थानों को अपने आपको तैयार करना चाहिए। जिस क्षेत्र में आपका विश्वविद्यालय स्थापित है, वहां के समाज के प्रति आपकी जवाबदेही भी है। उन लोगों की सामाजिक तथा भौगोलिक स्थिति के बारे में आपके पास स्टडी होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के देशों के लिए वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय सीमा तय की है। यह कार्य सरकार के साथ-साथ हमारे शैक्षिक संस्थानों का भी है। संस्थाएं इन जिम्मेदारियों से जुड़कर प्रयास प्रारम्भ करेंगी, तो उनके पास बहुत उपलब्धियां होंगी। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस के कारण प्रतिवर्ष हजारों बच्चों की मृत्यु होती थी। 40 वर्षों तक यह सिलसिला चलता रहा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के सांसद के रूप मंे वे अपने स्तर पर बीमारी के समाधान के लिए प्रयास करते रहे तथा सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहे। पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय, मेडिकल काॅलेज अथवा किसी डाॅक्टर ने इस विषय पर एक भी रिसर्च पेपर नहीं लिखा जबकि उस क्षेत्र में लगभग 10 हजार चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते हैं। वर्ष 2017 में सत्ता में आने के बाद इस बीमारी के समाधान की जिम्मेदारी उन पर आयी। इसके लिए अन्तर्विभागीय समन्वय के माध्यम से मिशन मोड में कार्य करते हुए स्वच्छता का वृहद अभियान चलाया गया, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की गई, शौचालय बनवाये गये, चिकित्सालयों की व्यवस्था को बेहतर किया गया तथा सर्विलांस की व्यवस्था की गई। आज इस बीमारी से होने वाली मृत्यु को 95 से 97 प्रतिशत तक नियंत्रित किया गया है। यदि इन्सेफेलाइटिस के सम्बन्ध में कोई अध्ययन हुआ होता, तो बहुत पहले ही इसे नियंत्रित किया जा सकता था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को समाज की हर समस्या पर अध्ययन करने का केन्द्र बनाना चाहिए। निजी क्षेत्र, राज्य शासन अथवा केन्द्रीय शासन से जुड़ी सभी संस्थाओं को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र में नये विश्वविद्यालय स्थापित करने के मार्ग पर आने वाली सभी बाधाएं हटा ली है। राज्य में अपना निजी विश्वविद्यालय अधिनियम है। यह अधिनियम सभी के लिए समान रूप से लागू है। विश्वविद्यालयों में अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर, फैकेल्टी, लैब्स तथा डिजिटल लाइबे्ररी की व्यवस्था करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भारतीय मूल्यों और आदर्शों से भटकाव की स्थिति न हो। कैम्पस में मूल्यों, आदर्शों तथा राष्ट्रीयता के विपरीत किसी नई धारा को जन्म नहीं देना चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आज दिन भर चलने वाले इस काॅन्क्लेव से ठोस परिणाम निकलेंगे, जो प्रदेश की उच्च शिक्षा के लिए माॅडल बनेंगे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने ‘तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित’ को आदर्श मानकर अपना जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित किया है। मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश को नई दिशा दी है। वह प्रदेश को आर्थिक उन्नति की ओर ले जा रहे हैं। उनके नेतृत्व में शिक्षा की गुणवत्ता तथा प्रसार में वृद्धि हुई है।
इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती गुलाब देवी, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, शिक्षा सलाहकार मुख्यमंत्री डीपी सिंह, आर्थिक सलाहकार मुख्यमंत्री केवी राजू, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा सुधीर एम बोबडे, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद, लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति सहित अन्य शिक्षाविद उपस्थित थे।