देश की सबसे बड़ी पूँजी हैं शोधार्थी : विवेक काटजू

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सरदार वल्लभभाई पटेल छात्रावास में रविवार को ‘महामनामृत व्याख्यान श्रृंखला’ की शुरुआत हुई। भारत के जी 20 की अध्यक्षता वर्ष में शुरू हो रहे इस व्याख्यान श्रृंखला में पूर्व राजनयिक विवेक काटजू ने ‘भारतीय विदेश सेवा के संदर्भ में एक राजनयिक के अनुभव’ विषय पर शोधार्थियों को व्याख्यान दिया। काटजू ने कहा कि किसी भी देश के लिए उसकी सबसे बड़ी पूँजी उसके युवा और उनकी मेधा होती है। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश का उदाहरण देते हुए कहा कि उन देशों के पास तेल से आने वाले खूब सारे पैसे और संपत्तियाँ हैं पर उनके पास आप जैसा मानव संसाधन नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी आजादी के बाद अपने युवाओं की शिक्षा एवं उनकी मेधा के विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जिसके फलस्वरूप यहां के युवाओं ने पढ़-लिख कर सारी उपलब्धियां हासिल की। काटजू ने कहा कि हमें भविष्य की ओर देखना चाहिए और उसकी चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। चीन भविष्य के लिए बड़ी चुनौती है, उससे निपटने के लिए हमें अपनी अकादमिक मेधा का सहारा लेना होगा। हमें मौलिक शोध और चिंतन के जरिए चीन को परास्त करने की कवायद करनी होगी। डिजिटल दुनिया में जो देश विज्ञान व तकनीकी में आगे रहेगा वही नेतृत्व करेगा।
काटजू ने कहा कि मालवीय जी का योगदान भारत के विकास में बहुत बड़ा है। एक ऐसे दौर में जब सारे देश की दृष्टि में सिर्फ आजादी का सपना था तब मालवीय जी की दृष्टि उससे भी आगे देख रही थी। यही कारण है कि पश्चिम के विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा दोनों के अनूठे संगम के रूप में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने इस विश्वविद्यालय के रूप में भारत के विकास के लिए सबसे बड़ी पूंजी दी है। काटजू ने सरदार वल्लभभाई पटेल छात्रावास के परिवेश सराहा। उन्होंने मिस्र, ईरान, फिजी से जुड़े अपने कार्य अनुभव के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर उन्होंने शोधार्थियों के राजनयिक सेवा व अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से जुड़े कई सवालों का जवाब दिया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहे छात्रावास के प्रशासनिक संरक्षक डॉ.धीरेंद्र कुमार राय ने बताया कि 5 फरवरी 2023 से शुरू हुआ ‘महामनामृत व्याख्यान श्रृंखला’ग्रेगरोरियन कैलेंडर के अनुसार 4 फरवरी 2024 को विश्वविद्यालय के 108 वर्ष पूरे होने तक चलेगा। इसके अंतर्गत मालवीय जी की संकल्पना के अनुरूप विविध विषयों एवं उनके आयामों पर विशेषज्ञों के साप्ताहिक व्याख्यान आयोजित किये जायेंगे। इस अवसर पर डॉ. उपेंद्र समेत विभिन्न विभागों के शोधार्थी उपस्थित रहे, धन्यवाद ज्ञापन संरक्षक डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने किया। ।

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