बुंदेलखंड में किसानों की आय का प्रमुख साधन बन सकता है मशरुम

 

बांदा कृषि विवि मे किसानो और युवाओंं को दिया गया मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

बांदा / कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा मे मशरूम व्यवसाय के महत्व और लोगों में इस काम के लिए तकनीकी कुशलता की आवश्यकता को देखते हुए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मे मशरूम उत्पादन में उद्यम विकास के इच्छुक 18 कृषकों और युवाओं ने प्रतिभाग किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. जी. एस. पंवार ने बताया कि मशरूम एक पौष्टिक और औषधीय गुण से परिपूर्ण उच्च कोटि का भोज्य पदार्थ है। यह मानव शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। मशरूम उत्पादन एक आदर्श कृषि आधारित सहायक उद्यम है जो ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों और किसानों की आय के प्रमुख स्रोत का साधन बन सकता है। मशरूम की खेती युवाओं, किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के पोषण सुरक्षा और स्वरोजगार के लिए एक बहुत अच्छा साधन है।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा. एच. एस. नेगी ने बताया कि इस प्रशिक्षण में 11 प्रक्षिशको ने मशरूम उत्पादन के विभिन्न विषयों जैसे मशरूम स्पान उत्पादन, श्वेत बटन, ढींगरी और दूधिया मशरूम उत्पादन, रोग व्याधि, उद्यमिता विकास, मशरूम विपणन, मशरूम के मूल्यवर्धित उत्पाद इत्यादि विषयों पर कुल 20 सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक व्याख्यान दिए।
प्रषिक्षण कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि मशरूम उत्पादन और इसके सफल व्यवसाय से सम्बंधित समस्त पहलुओं पर गहनता से चर्चा, विस्तार से विचार-विमर्श, और युवाओं व किसानों को मशरूम उत्पादन और व्यवसाय से सम्बंधित समस्त पहलुओं पर तकनीकी ज्ञान प्रदान करना इस प्रषिक्षण कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य था। जिससे लोग प्रशिक्षण लेकर मशरूम व्यवसाय से अच्छा लाभ अर्जित कर सकें।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह, प्राध्यापक, पादप रोग विज्ञान विभाग, सह-आयोजनकर्ता डॉ. विवेक सिंह सदस्य डॉ. सुनील कुमार, डॉ. उमेश चंद्र,और डॉ. धीरज मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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