अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के स्वागत के लिए लिए बीएचयू में परिचर्चा

वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के स्वागत के लिए लिए बीएचयू में परिचर्चा का आयोजन किया गया। आगामी 8 मार्च को आने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 के स्वागत के लिए, नेशनल एकेडमी ऑफ
साइंसेज इंडिया (NASI) और जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) ने एसटीईएम (STEM) में
महिलाओं पर एक ओपन फोरम चर्चा का आयोजन किया. जिसकी अध्यक्षता भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी
की पहली महिला अध्यक्ष प्रो. चंद्रिमा शाहा ने किया।
आईएसएलएस, बीएचयू में 3 मार्च को आयोजित इस कार्यक्रम ने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों और नीति
निर्माताओं ने एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने
वाली चुनौतियों पर गहन चर्चा की। जिसका थीम लैंगिक असमानता को कैसे दूर करे था। विज्ञान संस्थान,
मेडिकल साइंस, आई आई टी-बी एच् यू, महिला महाविद्यालय और कृषि विज्ञान संस्थान के संकाय और
पीएचडी छात्रों सहित 98 प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में, प्रो. शाहा ने अपनी करियर वृत्तान्त बताया और एसटीईएम में महिलाओं के लिए
अधिक समावेशी और बेहतर वातावरण बनाने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता से
उपहार में मिले एक छोटे से माइक्रोस्कोप ने विज्ञान में उनकी खोज को प्रेरित किया है। उन्होंने रूढ़ियों को दूर
करने, सलाह और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करने और एसटीईएम कार्यस्थलों और संस्थानों में लैंगिक समानता
की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने जीवन के प्रति एक सम्पूर्ण समग्र दृष्टिकोण के महत्व
पर भी जोर दिया और बताया की जीवन के उनके अनुभव बाद में उनकी करियर यात्रा में बहुत उपयोगी रहे।
उदाहरण के लिए उनका राज्य की क्रिकेट टीम का उप-कप्तान होना उन्हें टीम निर्माण और नेतृत्व के गुण
सीखाया। उन्होंने कहा की "व्यक्ति को आंतरिक रूप से प्रेरित होना चाहिए और यह आपको अजेय बना देगा"।
इस इंटरैक्टिव चर्चा ने प्रतिभागियों को अपने विचार और अनुभव साझा करने और विषय पर एक उपयोगी
संवाद में शामिल होने का अवसर प्रदान किया। प्रतिभागियों ने एसटीईएम नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं के
प्रतिनिधित्व को बढ़ाने, शिक्षा और प्रशिक्षण तक पहुंच प्रदान करने और कार्य-जीवन संतुलन और लिंग आधारित
भेदभाव के मुद्दों को संबोधित करने के महत्व पर भी गहन मंथन किया।
यह कार्यक्रम जीएटीआई और एनएएसआई के एसटीईएम क्षेत्रों में लैंगिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा
देने और एक अधिक विविध और समान वैज्ञानिक समुदाय बनाने के लिए चल रहे प्रयासों के तत्वावधान में
आयोजित किया गया था और इसका नेतृत्व प्रोफेसर मधुलिका अग्रवाल और बीएचयू की युवा वैज्ञानिक- डॉ
चंदना बसु, डॉ गरिमा जैन और डॉ अर्चना तिवारी ने किया था।

जीएटीआई पायलट बीएचयू के नोडल अधिकारी और , विज्ञान संकाय डीन प्रो मधुलिका अग्रवाल ने कहा की –
"विभिन्न क्षेत्रों से युवा महिलाओ की भागीदारी को देखकर बहुत खुशी हुई और इस तरह के आयोजनों को आगे
बढ़ाया जायेगा और हम इन चर्चाओं को जारी रखने की उम्मीद करते हैं।

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