बांदा में बेटा न होने पर आरपीएफ में तैनात दरोगा ससुर ने 4 बच्चियों समेत बहू को घर से निकाला

दारोगा ने आरोपों को गलत बताया,कहा- मुकदमे मे फंसाकर पैसा हडपना चाहती है बहू

 

बांदा। आरपीएफ में तैनात दरोगा ससुर ने बेटे की मौत के बाद बहू और उसकी 4 बच्चियों को घर से निकाल दिया। महिला चारों बच्चियों को लेकर सड़कों पर भटक रही है। शनिवार को वह बच्चियों को लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंची और पुलिस अफसरों से न्याय की गुहार लगाई है। एसएसपी ने पूरे मामले की जांच महिला थाना पुलिस को सौंपी है। हालांकि ससुर ने सभी आरोपों को गलत बताया है।
घटना झांसी शहर के थाना प्रेमनगर क्षेत्र के हंसारी की है।पीडित महिला सुमन ने बताया कि ”ससुराल वाले कहते हैं कि लड़कियों का क्या करेंगे? अगर तुमने एक बेटे को जन्म दिया होता, तो घर में रख लेते। ससुर ने मुझे बेटा न होने की सजा दी है। बेघर होने के बाद सुमन अपने बेटियों के साथ एक रिश्तेदार के घर पर रुकी हैं।
मध्य प्रदेश के निवाड़ी की रहने वाली सुमन अहिरवार की शादी 5 मई 2011 को हंसारी के रवि कुमार के साथ हुई थी। महिला ने बताया कि मेरे पति रवि अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। मैं भी अपनी माता-पिता की इकलौती बेटी हूं। घरवालों ने शादी में अपाचे बाइक सहित 4 लाख रुपए दहेज दिए थे। शादी में 6 से 7 लाख रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद उनकी चार बेटियां हुईं। महिला ने बताया कि बेटियों के होने से ससुराल के लोग मुझसे नाखुश रहते थे। इसको लेकर अक्सर ताना मारते थे। पति रवि शराब के आदी थे। इससे उनका लीवर खराब हो गया और 2019 में उनकी मौत हो गई। इसके बाद ससुराल में मेरी प्रताड़ना का सिलसिला तेज हो गया। मेरे ससुर झांसी आर पी एफ में दरोगा हैं। वह शहर में ही तैनात हैं।
महिला ने बताया कि पति की मौत के बाद बेटियों को लेकर वह मायके चली गई थी।बीते 16 मार्च को ससुराल लौटी। इसके बाद ससुराल वालों ने बेटियों समेत घर से निकाल दिया।
महिला ने बताया कि मेरी चारों बेटियां निवाड़ी के रानी लक्ष्मीबाई पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। 11 साल की अस्मिता 5वीं क्लास , 9 साल की अर्पिता चौथी क्लास और 7 साल की जुड़वां रिद्धि-सिद्धि फर्स्ट में पढ़ती हैं। 3 बेटियों के 20 मार्च से एग्जाम हैं। जबकि सबसे बड़ी अस्मिता के 25 मार्च से एग्जाम हैं।
एसएसपी से फरियाद सुनाने आई महिला ने एसएसपी कार्यालय के बाहर खाना खाया। बच्चियां सड़क पर बैठकर पढ़ती नजर आईं। इस सिलसिले में महिला ने कहा कि आने वाली 20 तारीख से बच्चों की परीक्षा शुरू होने वाली है। इस वजह से वे किताबें लेकर आई हैं।
दरोगा ससुर श्रीलाल ने सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि साल 2016 में बहू ने दहेज उत्पीड़न का पति और सास-ससुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। साल 2022 में कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। बेटे की मौत के बाद सास-सुसर के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस कर दिया। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। रिटायरमेंट मेरा करीब है। मुझे फंसाकर बहू पैसा हड़पना चाहती है।
उन्होंने कहा कि मकान में ऊपर का हिस्सा बहू को दिया है। हर महीने दो तारीख को 4 से 5 हजार रुपए देता हूं। जब भी बहू घर आती है, सास से लड़ाई करती है। 16 मार्च को चौकीवालों ने बुलाया था। इसके बाद वहां पहुंचकर अपनी बात बताई थी।
मामले में एसपी. सिटी ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है, ”पीड़ित महिला ने शिकायत दी है। मामला पारिवारिक है। दोनों पक्षों को बुलाकर महिला थाने में जानकारी लेकर काउंसलिंग कराकर मामले का निपटान कराया जायेगा।

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