बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से तबाह हो गये बुन्देलखंड के किसान
बारिस के साथ ओले पडने से जमीदोज हो गयीं फसलें

बुंदेलखंड में पिछले तीन दिनों से जिले मे हो रही ओलावृष्टि और बेमौसम बारिस से यहां के किसानों के हौसले पस्त हो गये हैं। रविवार और सोमवार को जिले के कई इलाकों मे हुई ओलावृष्टि से गेहूं की खड़ी फसल खेतों में गिर गई है। चना ,मसूर,सरसों अलसी की फसल खेतों में कटी पड़ी थी,जो अब सडने की कगार पर पहुंच गयी हैं| बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पडा है। पिछले कई वर्षों से बुंदेलखंड के किसान मौसम की मार से उबर नहीं पा रहे थे। लेकिन इस साल धान की अच्छी फसल के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि गेहूं,चना, और तिलहन की फसल किसानों के पुराने घावों पर मरहम का काम करेगी ! किन्तु बेमौसम बारिस,और ओलावृष्टि के रुप मे आए इस प्राकृतिक प्रकोप ने किसानों को जार बेजार होकर आंसू बहाने को मजबूर कर दिया है।
पिछले एक दशक से प्रकृति का प्रकोप झेल रहे बुन्देलखंड के किसान कर्ज मेंआकंठ डूब चुके हैं। उनकी जमीनें लगातार नीलाम हो रही है। कर्ज के ही बोझ के दबाव के कारण तमाम किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होते हैं | बांदा के बदौसा, फतेहगंज, क्षेत्र के किसान सुखनिधान, शिवमंगल, कोदा प्रसाद, राजाभईया, पप्पू, राजा बाबू, आदि लोगों ने बताया कि पूरे साल की कड़ी मेहनत के बाद हमारी फसलें पक कर खड़ी थी। हमें उम्मीद थी कि इस साल अच्छा उत्पादन होगा। जिससे हम अपने जीवन स्तर में सुधार लाएंगे। लेकिन तीन दिनो से हो रही बेमौसम बारिश ने हमारी खड़ी फसलों पर बहुत बड़ा आघात किया है। हम आर्थिक रूप से टूट चुके हैं। किसी तरह कर्ज लेकर खेतों मे फसलें उगाई थीं। किन्तु ऐन वक्त पर प्रकृति की मार ने हम सबको तबाह कर दिया है। फसल ठीक न हुई तो कर्ज कैसे चुकायेंगे ? हमें अपनी गृहस्थी चलाने में भी बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। |
नरैनी,कालिंजर, इलाके के करतल, नेढुवा, गुढा,नौगवां, नीबी, सढा, गोरेमऊ, रक्सी, बिरौना,आदि गांवों के किसान शिवमंगल सिंह, रामऔतार, सूर्यप्रकाश, सौखीलाल, देवीदीन, झगडू, नन्हुआ,लछ्मी, गोरेलाल, आदि ने बताया कि बेमौसम बारिस से खेतों मे कटी पडी चना, सरसो, मसूर, अलसी,आदि की फसल सडने लगी है। ओलावृष्टि, बारिस, और तेज हवाओं से गेहूं की फसल खेतों मे गिर गयी है। बीते सोमवार की शाम से देर रात तक बारिस होती रही। रविवार को भी पानी बरसता रहा। जिससे खेतों मे पानी भर गया है।
सढा गांव के किसान सूर्यप्रकाश, पुन्नालाल, बशीर अहमद, रामेश्वर,आदि का कहना है कि पहले दिन यहां शुक्रवार और शनिवार को हल्की बरसात हुई थी। सबने सोंचा कि हल्की फुहारें मारकर मेघा शांत हो जायेंगे। किन्तु रविवार और सोमवार को तो प्रकृति ने रौद्र रुप धारण कर लिया। बरसात के साथ ओले भी गिरने लगे। जिससे फसलें छतिग्रस्त हो गयीं।
चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर,ललितपुर, झांसी जिले के किसानों के भी हाल,बेहाल हैं। लितपुर और झांसी जिले मे औलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। बांदा और चित्रकूट मे तेज बारिस और ओला पडने से ज्यादातर किसानों की गेहूं और चना की फसलें जमीदोज हो गयी है। फसलों की बरबादी देखकर यहां के किसान फूट-फूट कर रो रहे हैं।