देश के 15 करोड़ से ज्यादा बुजुर्गों की खुशहाली का प्रस्ताव सुनकर भावुक हुईं राष्ट्रपति
पीएम के संसदीय क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार ने काशी के 136 साल पुराने मिष्ठान भंडार "श्री राजबंधु" की ओर से मोटे अनाज मूंग दाल से निर्मित विशेष मिठाई भेंट की
नई दिल्ली। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को कई बार भावुक हो उठीं और उनकी आंखे नम हो गईं। उन्होंने कहा कि मै काफी अर्से से इस संबंध में कुछ करने की सोच रही थी। लेकिन समझ नही पा रही थी कि कैसे करूं। आपने राह दिखा दी है और इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं।
उक्त उद्गार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हैं जब उनसे बुधवार 22 मार्च को “प्रत्येक भारतीय वरिष्ठ नागरिक के लिए प्रसन्न एवं गरिमामय जीवन संध्या” अभियान के अंतर्गत अर्थ क्रान्ति के जनक अनिल बोकिल जी के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन के भव्य कक्ष में दोपहर में भेंट की।
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ओ पी मिश्रा ( भुवनेश्वर ) , प्रवीण शुक्ला ( पुणे ) और पदमपति शर्मा के साथ अनिल बोकिल जी निर्धारित समय से आधा घंटा पहले ही समस्त औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति भवन पंहुच गए थे। अल्पाहार से हम सभी का स्वागत किया गया। तीन अन्य प्रतिनिधिमंडल वहां पहले से मौजूद था। हमारी बारी आने के पहले मेजर रैंक के एक सैन्य अधिकारी ने हमें महामहिम के सामने जाने के लिए शिष्टाचार समझाया। कक्ष में प्रवेश करने पर सामने सादगी की प्रतिमूर्ति देश की प्रथम नागरिक कुर्सी पर विराजमान थीं। करीब दो मीटर की दूरी पर बांए और दांए रखे दो सोफों पर हम अभिवादन के बाद बैठे।
अनिल जी विषय को सामने रखते हुए तुरंत ही शुरू हो गए। “वरिष्ठ नागरिक राष्ट्रीय संपदा है”, इस पहले वाक्य ने ही महामहिम को भावुक कर दिया। इसके बाद उन्हें बताया गया पांच सूत्रीय प्रस्ताव के बारे में जिसके तहत 60 वर्ष से ज्यादा उम्र का हर नागरिक बिना किसी भेदभाव के वरिष्ठ नागरिक श्रेणी का पात्र होगा। प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जिसकी आमदनी औसतन राष्ट्रीय आय से कम है, राजकीय कोष से प्रतिमाह दस हजार रुपए मानदेय ( महगाई भत्ते से जुड़ा ) पाने का हकदार हो। वह विशेष श्रेणी की समस्त नागरिक सेवाओं ( आरोग्य, निजी संरक्षण, फुटपाथ, बुनियादी सेवाएं, परिवहन और कानून आदि सेवाएं ) का कानूनन हकदार हो। प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक की गरिमा और उसका सम्मान सुनिश्चित करने के लिए अट्रासिटी कानून जैसी विशेष आचार संहिता का निर्धारण किया जाए। प्रस्ताव के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार कैबिनेट स्तर पर वरिष्ठ नागरिक सम्मान मंत्रालय की स्थापना करे ।
वार्ता के दौरान कई अवसर ऐसे आए जब हर प्रस्ताव पर न सिर्फ उन्होने सहमति में सिर हिलाया बल्कि अपनी ओर से टिप्पणी भी करती रहीं। उनको बताया गया गांव में हो रहे पलायन के बारे में, साथ ही यह भी कि लगभग 14 लाख कर्मियों वाली रेलवे और 16 लाख सैन्य बल के लिए मंत्रालय और अलग से बजट है। लेकिन देश के तकरीबन 15 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या वाले बुजुर्गों के लिए कोई मंत्रालय नहीं है। किसान, रिक्शा चालक, ठेले वाले, रेहड़ी लगाने वाले, मजदूर बुजुर्गों की दयनीय हालत के बारे में सुनकर भगवान जगन्नाथ की अनन्य उपासक राष्ट्रमाता , जो देश की प्रथम नागरिक के सिंहासन पर निर्वाचित होने के बावजूद सारे प्रोटोकाल को दरकिनार कर दो बार जगन्नाथ के दर्शन हेतु तीन किलोमीटर पहले ही नंगे पांव पैदल चलीं, भावविह्वल हो उठीं। उन्होंने कहा, ” सम्मान निधि मिलने के बाद बूढ़े-बुढ़िया को छोड़कर बेटे गांव से पलायन नहीं करेंगे।” जब उन्होंने यह सुना कि बुजुर्ग नागरिक को दिए विशेष नंबर पर काल करते ही पांच मिनट में एम्बुलेंस हाजिर हो जाए, ट्रेनों में उनके लिए (प्रत्येक श्रेणी) विशेष कोच लगे, महामहिम ने कहा यह अत्यंत जरूरी है। उन्होने इस अभियान को संपूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान निधि देने और इनके लिए मंत्रालय गठित करने के लिए सरकार तत्काल कदम उठाए। उन्होने प्रधान मंत्री का नाम लिए बिना कहा कि इस बारे में मैं बात करूंगी। बताने की जरूरत नहीं कि राष्ट्राध्यक्ष अपनी बात किससे करता है ।
विदा होने पहले पदमपति शर्मा ने उन्हें काशी के 136 साल पुराने मिष्ठान भंडार “श्री राजबंधु” की ओर से मोटे अनाज मूंग दाल से निर्मित विशेष मिठाई भेंट करने साथ बताया कि इनके यहां आधी सदी से भी ज्यादा समय से सर्दियों में बाजरे का मगदल बनाया जाता है जो विशुद्ध देसी घी से बनता है।