वाराणसी में हत्या के 40 साल बाद दोषी को उम्रकैद
वाराणसी : हत्या के 40 साल बाद दोषी को उम्रकैद
वाराणसी : हत्या के 40 साल बाद दोषी को उम्रकैद, साइकिल स्टैंड ठेका विवाद में हुआ था
वाराणसी। दशाश्वमेध क्षेत्र के चितरंजन पार्क स्थित साइकिल स्टैंड ठेका विवाद में 40 साल पहले हुई हत्या के मामले में बुधवार को दोषी पारसनाथ यादव को आजीवन कारावास की सजा हुई। अपर जिला जज (13वें) मनोज कुमार सिंह की अदालत ने मानमंदिर मोहल्ला निवासी अभियुक्त को आजीवन कारावास व 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने जुर्माना की रकम 25 हजार रुपये मृतक के वारिस को देने का आदेश दिया।
अदालत में अभियोजन की ओर से एडीजीसी ज्योतिशंकर उपाध्याय व हृदय नारायण द्विवेदी ने अदालत में पक्ष रखा। बताया कि अगस्तकुंडा, दशाश्वमेध निवासी सतीश कुमार दुबे ने 11 जून 1983 को पारसनाथ यादव, विजय यादव, प्रीतम बंगाली उर्फ प्रीतम राय, हरिनाथ व बबली उर्फ अशोक कपूर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि चितरंजन पार्क स्थित साइकिल स्टैंड ठेके को लेकर उसके भाई विजय कुमार दुबे से परासनाथ यादव की रंजिश थी। 11 जून 1983 को सुबह के वक्त पारसनाथ यादव अपने भाई भरत, मौसेरे भाई विजय यादव व अन्य साथियों संग हाथ में भुजाली और चाकू लेकर साइकिल स्टैंड पर आया। पारस व उसके साथियों ने चाकू व भुजाली से हमलाकर विजय कुमार दुबे को गंभीर रुप से जख्मी कर दिया। बाद में विजय कुमार दुबे कि मौत हो गई।
अदालत में मुकदमे की सुनवाई चल रही थी, इसी बीच हाईकोर्ट ने सात मई 1984 को स्थगन आदेश पारित कर दिया। 37 सालों के बाद 21 जुलाई 2021 से मुकदमे की सुनवाई शुरु हुई। अदालत ने गवाहों के बयान और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद आरोपित पारसनाथ यादव को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।