करौली सरकार के दरबार में असाध्य रोगियों के मुफ्त इलाज के रजिस्ट्रेशन की लगी है कतार

करौली सरकार के दरबार में असाध्य रोगियों के मुफ्त इलाज के रजिस्ट्रेशन की लगी है कतार
कानपुर में दिव्य दरबार करौली सरकार पूर्वज मुक्ति धाम, पिपरगवां आज के समय किसी परिचय का मोहताज नही है । देश ही नही विदेश में भी दरबार की घंटी बज चुकी है। NRI के अलावा 17 से अधिक अन्य देशों के मूलनिवासी भी हमारे परम पूज्य गुरुदेव पंडित राधा रमण जी मिश्र बाबा जी के दीवाने हो कर कानपुर आ कर बाबा जी से दीक्षा ले कर बाबा जी के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं। जो भी आध्यात्म में रुचि रखने वाले पाठक हैं वो यह जानते होंगे, या कभी न कभी, कहीं न कहीं , यह सुना होगा कि हिमालय पर्वत पर अध्यात्म का विश्वविद्यालय है, वहां समय समय पर सूक्ष्म जगत की महान हस्तियां एकत्रित होती हैं और विश्व में जनकल्याण कैसे हो इस पर विचार विमर्श होता रहता है। हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी भी सूक्ष्म जगत के दिशा निर्देश पर ही कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जैसा कि आप सभी जानते हैं गोरक्ष पीठ जो कि पूर्ण गुरु की सिद्ध पीठ है, के महंत हैं। यहां तक पहुंचना बिना ईश्वरीय शक्ति के असंभव ही है। ऐसे ही हैं करौली सरकार के गुरुदेव डॉ. संतोष भदौरिया जी हैं जिन्हें उनके भक्त करौली शंकर बाबा जी के नाम से भी जानते हैं। समय समय पर हमारे देश में सिद्ध महापुरुष अवतरित होते रहे हैं। हमें या आपको समय रहते इसकी जानकारी न हो वो अलग बात है।
तो आइए जानते हैं कौन हैं करौली शंकर महादेव बाबा? कैसे करते हैं चिकित्सा, जिससे पूरा चिकित्सा जगत हिला हुआ है? क्या होती है वैदिक प्रक्रिया और कैसे बाबा जी के “ॐ, शिव, बैलेंस” बोलते ही पूरे डीएनए की ऊर्जा बैलेंस हो जाती है? उसके बाद आंख खोलते ही कष्ट ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे नींद से जागते ही देख रहे स्वप्न । मात्र 18 वर्ष की आयु का एक बालक जो जीवनभर अन्न न खाने का संकल्प लेता है। दो वर्ष पूर्व होने के बाद तीसरा साल चल रहा था जब वह बाबा जी यानी पंडित श्री राधा रमण मिश्र जी से मिलने पहली बार जाते हैं, कुछ देर बैठने के बाद बाबा जी कहते हैं काल से खाए लगि हैं। तब गुरुजी को कुछ खास समझ नहीं आया मन में चलता रहा कि कैसे खाने लगेंगे, कुछ भी मैने तो जीवन भर व्रत रहने का संकल्प लिया है। लेकिन अगले दिन ही कुछ ऐसी घटना घटी कि गुरु जी का संकल्प टूटा और उन्होंने जैसे ही पहला निवाला मुंह में रख कर खाया खाते ही बाबा जी की बात याद आई और अगले दिन ही सुबह जल्दी उठकर ही बाबा जी से मिलने चले गए और बाबा जी के पैर पकड़ लिए। फिर क्या? उस दिन से जो पैर पकड़े जन्म – जन्मांतर तक के लिए बाबा जी के हो गए । इस प्रकार विभिन्न स्थितियों से गुजरते हुए आज करौली शंकर महादेव बाबा के नाम से गुरुदेव जाने जाते हैं। यह है संक्षिप्त परिचय करौली शंकर महादेव बाबा का। कैसे करते हैं चिकित्सा – यहां मानव कल्याण के लिए क्या बेहतर से बेहतर तरीका हो सकता है इस पर अनुसंधान चल रहा था जो 26 जून 2022 को पूर्ण हुआ। यहां स्थूल शरीर के अलावा सूक्ष्म शरीर की चिकित्सा की जाती है। सूक्ष्म शरीर के साथ ही DNA को ब्रेक करके लोग अपना अलग डीएनए बनाते हैं। उस स्वयं के बनाए गए डीएनए में रखे गए सभी लोगो की चिकित्सा उनके सूक्ष्म शरीरों पर होती है। सूक्ष्म शरीर पर की गई चिकित्सा टेस्टिंग मशीन में दिखने में 90 दिन का समय लगता है। लेकिन शरीर पर उसका प्रभाव तत्काल से महसूस होता है। क्या है वैदिक प्रक्रिया? पुरातन काल से ही हमारे ऋषि मुनि यज्ञ, हवन आदि किया करते थे। जिसे आज के समय में लोगों ने भुला दिया है। इस दरबार ने पुरातन पद्धति को फिर से जनकल्याणनार्थ जागृत किया है। यहां एक बात ध्यान देने की है कि आप यहां आकर स्वयं ही सब कुछ करते हैं कोई दूसरा कुछ नहीं करता है। बस आपकी सहायता के लिए हेल्प डेस्क और दरबार के सेवक हैं। वह सिर्फ आपको प्रक्रिया बताते हैं , करना स्वयं ही होता है। जैसे हम स्वयं भोजन करते हैं तो ही हमारा पेट भरता है या स्वाद आता है किसी दूसरे के खाने से नहीं। एक अन्य उदाहरण – DNA के लिए जैसे परिवार में कोई एक व्यक्ति कमाता है लेकिन घर में रहने वाले 4-5 सभी लोग उसी एक आदमी की कमाई खर्च करते हैं। उसी प्रकार डीएनए में रहने वाले सभी सदस्यों को लाभ होता है।जब आप वैदिक प्रक्रिया पूरी करके आते है तब गुरु जी आपके द्वारा उत्पन्न की गई ऊर्जा को बैलेंस कर देते है और आप स्वस्थ होते हैं। ऐसे होती है चिकित्सा। करौली शंकर महादेव बाबा ने अप्रैल माह की पूर्णिमा के दिन घोषणा की है कि दरबार उन सभी असाध्य रोगियों की चिकित्सा एवं उनकी वैदिक प्रक्रिया बिलकुल मुफ्त करेगा। तभी से दरबार में असाध्य रोगियों तथा उनके परिजनों की रजिस्ट्रेशन कराने को बड़ी संख्या में श्रद्धालु दरबार पहुंच रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव बाबा पंडित श्री राधा रमण जी मिश्र ने समस्त पृथ्वी को निरोगी करने और मानव कल्याण हेतु ही इस दरबार की स्थापना की है।
प्रस्तुति-शालिनी द्विवेदी

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