बांदा में 300 मीटर सड़क के लिये महिलाओं ने शुरु किया डंडा आन्दोलन
बांदा। पत्थर की सिलबट्टी,जांत, चकरी,टांक कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली दलित कुचबंधिया बस्ती की महिलायें अब “डंडा आन्दोलन”की राह पर निकल पडी हैं। इनका कहना है कि हम सब पिछले एक दशक से बस्ती से लिंक रोड तक महज 300 मीटर सडक बनवाने के लिये डीएम, कमिश्नर, विधायक, सांसद, यहां तक कि सरकार के तमाम मंत्री-मिनिस्टरों से अपनी अरदास सुना चुकी हैं,लेकिन किसी ने उनकी इस छोटी सी मांग पर विचार नहीं किया। मजबूर होकर उन्हे सत्याग्रह का रास्ता अपनाना पडा है। अब वे अपने पैर पीछे नहीं खीचेंगी। सडक निर्माण से लेकर बस्ती की हर समस्या का निवारण न होने तक आंदोलन जारी रखेंगी। इन महिलाओं का समर्थन करते हुए महिलाओं के हक की लडाई लडने वाले चिंगारी संगठन ने भी चेतावनी दी है कि अगर इनकी मांगे जल्दी नहीं पूरी की गई तो 40 गांवों में एक साथ सत्याग्रह शुरू किया जायेगा।
डंडा आन्दोलन शुरु करने वाली यह दलित महिलायें बांदा जिले के महुआ ग्राम पंचायत के मजरा राजाराम के पुरवा से ताल्लुक रखती हैं। इस पुरवा के अंतिम छोर मे दलित,कुचबंधिया बिरादरी के कुल 49 परिवारों मे से आधे से ज्यादा परिवार घास-फूस की झोपडियों मे अपनी जिन्दगी के दिन काट रहे हैं। इनके नंगे-धडंगे बच्चे पूरा दिन या तो कंचा खेलते रहते हैं ! या फिर आपस मे लडते-झगडते रहते हैं। इस गांव तक पहुंचने के लिए फिलहाल कोई मार्ग नहीं है। यहां की महिलाओं और ग्रामीणों का कहना है कि हमें आज भी गांव से पगडंडियों या दूसरे लोगों की जमीन से निकल कर जाना पड़ता है। संपर्क मार्ग न होने के कारण गांव का एक भी बच्चा स्कूल नहीं जा पाता। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मरीज को चारपाई में लिटा कर ले जाया जाता है। हम लंबे समय से संपर्क मार्ग की मांग कर रहे हैं।
डंडा आन्दोलन में शामिल बस्ती की
वंदना,श्यामकली,अर्चना,नीलम,सुनैना,सुमन,किरन,उषा,राजकुमारी,आदि ने कहा कि हम कुचबंधिया समुदाय के लोग हैं। हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है। गीता,प्रीती,मधु,तारा,फूला, और श्यामकली ने बताया कि इस! गांव में 49 परिवार हैं, जिनमें कुल 14 परिवारों के जॉब कार्ड बने हैं। पिछले 5 साल से किसी को काम नहीं मिला है। 44 परिवार भूमिहीन है। सभी मजदूरी करते हैं। 46 परिवार साहूकार के कर्जदार हैं। कर्ज की ब्याज लगातार बढ़ रही है। यहां मजबूरी में लोग 10 रुपये की दर से ब्याज का पैसा लेते हैं। कुल 25 लोगों के ही राशन कार्ड बने हैं। आवास के लिए सभी पात्र हैं, फिर भी कुल 13 परिवारों को ही आवास दिए गए हैं।
बच्चों के लिये नहीं है स्कूल
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दलित और कुचबंधिया बिरादरी के बच्चों के लिये यहां कोई स्कूल नहीं है। चार साल से लेकर करीब बारह साल के बच्चों की संख्या यहां 125 के आस-पास हैं। इनमे से करीब 8 बच्चे बस्ती से 10 किमी दूर महुआ ब्लाक के स्कूल मे पैदल पढने जाते हैं। लेकिन बरसात के महीनों मे जल भराव के कारण यह भी स्कूल नहीं पहुंच पाते।