मोहर्रम में ताजियों के साथ निकाले गए मातमी जुलूस
हुसैन की याद मे लोगों ने किया अपने गम का इजहार
बांदा । शनिवार को मोहर्रम के मौके पर कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच मोहर्रम के मातमी जुलूस निकाले गए। मोहम्मद साहब के नवासे (नाती) हजरत हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करते हुए शिया-सुन्नी दोनों समुदायों ने अपने-अपने इलाकों से ताजिये निकाले । इस दौरान लोगों ने हुसैन की कुर्बानी को याद करते हुए शोक मनाया।बुन्देलखंड के
बांदा,महोबा,हमीरपुर,चित्रकूट,
झांसी,ललितपुर,औरजालौन, जिला मुख्यालयों समेत आस पास के गांवों,कस्बों में छोटे-बड़े करीब 400 से ज्यादा ताजियों के जुलूस निकाले गए। लोगों ने मातम मनाते हुए इन ताजियों को अलग-अलग कर्बला (कब्रिस्तान) में सुपुर्द-ए-खाक किया। कई जगहों में अन्य धर्मों के लोगों ने छबील लगाकर लोगों को शर्बत और फल वितरित किये।
बताते हैं कि मोहर्रम की दसवीं तारीख यौम-ए-आशूर के दिन पूरी दुनिया में या हुसैन,या हुसैन की सदाएं गूंजती हैं। कर्बला के 72 शहीदों का गम मनाने के लिए अकीदतमंद बेकरार दिखते हैं। यहां समूचे बुन्देलखंड मे शनिवार को मुस्लिम समुदाय ने अपने-अपने तरीकों से हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को खिराजे अकीदत पेश की। बांदा शहर में दिन भर मातम और ताजिया दफन करने का सिलसिला चलता रहा। घरों में नमाज का आयोजन किया गया। सुन्नी समुदाय ने रोजा रखा, तो शिया समुदाय ने फाका कर
हजरत इमाम हुसैन को पुरसा दिया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे जगह-जगह जुलूस निकालने की वजह से कई मुख्य मार्गों पर जाम लगा रहा।
मोहर्रम के मौके पर शहीद हुए लोगों को याद करने के अलावा बच्चों और महिलाओं ने अपने वतन और पूरी दुनिया के लिए अमन की दुआएं मांगी।सभी जगहों पर निकले जुलूसों में भारी संख्या में औरतों और बच्चों ने भाग लिया।वहीं सुरक्षा व्यवस्था के लिए सैकडों पुलिसकर्मी सादी वर्दी में भी देखे गए।