दुनिया भारत के नेतृत्व और मार्गदर्शन को स्वीकार कर रही है : संघ प्रमुख मोहन भागवत

सिलीगुड़ी : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन बेहद सफल रहा। इससे जी-20 शिखर सम्मेलन की प्रसिद्धि और भी ज्यादा बढ़ गई। यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि दुनिया भारत के नेतृत्व और मार्गदर्शन को स्वीकार कर रही है। आरएसएस से जुड़ी बंगाली पत्रिका ‘स्वस्तिक की 75वीं वर्षगांठ समारोह में मोहन भागवत ने कहा, जी-20 कार्यक्रम पहले भी आयोजित किए गए थे। जब इसे भारत की अध्यक्षता में ‘वसुधैव कुटुंबकम के मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ आयोजित किया गया, तो इसे महत्वपूर्ण प्रसिद्धि मिली। भारत को दुनिया के लिए मार्गदर्शक बनना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को न केवल दुनिया के लिए एक नया रास्ता बनाना है, बल्कि अपनी परंपराओं, संस्कृति और विरासत को भी संरक्षित करना है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि देश को पूरे विश्व को ‘धर्म प्रदान करना है। यदि आप महात्मा गांधी, बीआर आंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस या गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षाओं और सिद्धांतों पर विचार करते हैं, तो आप पाएंगे कि उनमें से प्रत्येक ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद देश को आगे ले जाने का मार्ग सुझाया। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने अपने स्वतंत्रता सेनानियों और महान विचारकों के सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन नहीं किया। अब हमें इसका पालन करने के लिए तैयार होना होगा। उन्होंने कहा कि यदि ईश्वर की इच्छा है कि सनातन धर्म का उत्थान हो जिससे भारत का उत्थान हो तो हम इसके लिए आगे बढ़ेंगे। हम किसी विचारधारा की नहीं बल्कि सच्चाई की बात कर रहे हैं। सच तो यह है कि सब अपने हैं और सबको रास्ता हमें ही दिखाना है। मोहन भागवत ने कहा, गांधी, बोस, अंबेडकर, टैगोर ने हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। आजादी के बाद हम उस रास्ते पर नहीं चले। हम दूसरी दिशा में चले गए, अब हम धीरे-धीरे उस दिशा में जा रहे हैं। हेडगेवार ने कांग्रेस को 2 अंक दिए थे, उन्होंने नहीं माने। एक थी गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध और दूसरा थी पूर्ण स्वतंत्रता। वह चाहते थे कि भारत दुनिया को एक ऐसी लॉबी से छुटकारा दिलाए जो पूंजीवादी और साम्यवादी दोनों को चलाती थी और अपनी शर्तें तय करती थी। भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने अपने स्वतंत्रता सेनानियों और महान विचारकों के सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन नहीं किया। राष्ट्र द्वारा “अमृत काल” मनाए जाने पर उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के प्रति कर्त्तव्य (कर्तव्यों) को प्राथमिकता देने के लिए “कर्तव्य काल” पर जोर दिया जाना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि इस देश के युवाओं और बुद्धिजीवियों का एक वर्ग “पश्चिम” से गलत तरीके से प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा, “जो लोग गलत काम होते हुए भी चुप रहते हैं, वे ऐसा करने वालों की तुलना में समाज को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. जहां कोई गलत काम हो, झूठ हो, हमें बोलना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा, भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि दुनिया नेतृत्व और मार्गदर्शन के लिए तेजी से देश की ओर रुख कर रही है। रिपोर्ट अशोक झा

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